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भारत में रेस फॉर7 के दसवें संस्करण का आयोजन 21 शहरों में हुआ

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दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सहयोग देने के लिए हजारों लोग 7 किलोमीटर की दौड़ में शामिल

मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर रेयर डिज़ीज़ इंडिया (आरडी) ने अपनी प्रमुख वार्षिक जागरूकता दौड़, रेस फॉर, के 10वें संस्करण का आयोजन किया। इस 7-किलोमीटर की मैराथन का उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वास्थ्य सेवाओं तथा संसाधनों तक रोगियों की पहुंच को सुगम बनाना है। इस वर्ष, 21 शहरों में मरीज़ों और देखभालकर्ताओं के साथ 8300 से ज्यादा प्रतिभागियों ने इस दौड़ में हिस्सा लिया।

मुंबई में यह दौड़ सुबह 6 बजे एम्स से शुरू हुई। 2016 में, बेंगलुरु में इसके शुरुवात के बाद से, यह कार्यक्रम एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है। इस वर्ष, “फॉर रेयर, एवरीव्हेयर” थीम के अंतर्गत, यह दौड़ एक साथ कई शहरों में आयोजित की गयी, जिनमें शामिल हैं बेंगलुरु, नई दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता,अहमदाबाद, चंडीगढ़, जयपुर, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, पुणे, मैसूर, मैंगलोर, अलवर, वृन्दावन, पाली, जम्मू, आसनसोल, भटिंडा और त्रिस्सूर।

विचार-विमर्श को आगे बढ़ाते हुए, ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर रेयर डिज़ीज़ इंडिया(आरडी) के सह-संस्थापक और बोर्ड डायरेक्टर, प्रसन्ना शिरोल ने कहा “दुर्लभरोग से पीड़ित मरीज़ों और देखभालकर्ताओं का समर्थन करने के लिए, मैं बैंगलोर और 20 अन्य शहरों के लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। रेस फॉर 7 के माध्यम से, लोगों ने “फॉर रेयर, एवरीव्हेयर” की भावना को साकार किया है। लोगों का यह समर्थन हमें याद दिलाता है कि हम अकेले नहीं हैं साथ ही यह हमारी आवाज़ को नीति निर्माताओं और हितधारकों तक पहुंचाने तथा पूरे भारत में जागरूकता बढ़ाने में सशक्त बनाता है।
रोश के प्रवक्ता, इस कार्यक्रम के मुख्य स्पॉनसर ने कहा, “रेसफोर 7 एक शानदार पहल है जो समुदायों, देखभालकर्ताओं, और समर्थकों को एक साथ लाती है ताकि दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मरीज़ों के संघर्ष को उजागर किया जा सके। यह कार्यक्रम जागरूकता और नीति में बदलाव लाने के लिए आवश्यक सामूहिक प्रयास का प्रमाण है। रोश में, हम आरडी के लक्ष्य का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उचित स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। स्टेकहोल्डर्स के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करके, हम निदान की प्रक्रिया में सुधार कर सकते हैं, उपचार की उपलब्धता में सुधार कर सकते हैं, और दुर्लभ रोग समुदाय पर मजबूत प्रभाव बना सकते हैं।”

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