Home न्यूज़ मे•गोंग फेस्टिवल 2024 के चौथे संस्करण का समापन

मे•गोंग फेस्टिवल 2024 के चौथे संस्करण का समापन

0

शिलांग, दिव्यराष्ट्र/: मे•गोंग फेस्टिवल 2024 के चौथे संस्करण का समापन प्रसिद्ध यूरोपीय रॉक बैंड यूरोप के शानदार प्रदर्शन के साथ हुआ। इस कार्यक्रम मे मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

मुख्यमंत्री ने बैंड यूरोप और अन्य कलाकारों का मेघालय और गारो हिल्स में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राज्य और पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई लोग इस बैंड के गानों को सुनते हुए बड़े हुए हैं, और यह कई लोगों के लिए एक सपना सच होने जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र पर 80 और 90 के दशक के रॉक संगीत का गहरा प्रभाव रहा है और मे•गोंग फेस्टिवल ने पूरे देश से बड़ी संख्या में प्रशंसकों को आकर्षित किया है।

यूरोप के मुख्य गायक जॉय टेम्पेस्ट ने कहा, “गारो हिल्स में मे•गोंग फेस्टिवल में परफॉर्म करना हमारे लिए बेहद खास है। यह अद्भुत है कि हमारी म्यूजिक इतनी दूर तक पहुंची है। 1988 के हमारे प्रशंसकों की ऊर्जा मुझे याद है, और यहां वही जुनून देखना शानदार है। गारो हिल्स की यह यात्रा हमारी आगामी गानों की प्रेरणा बनेगी।”

टेम्पेस्ट ने गारो हिल्स की खूबसूरत वादियों की तारीफ करते हुए कहा, “हमारा बैंड आज भी दुनिया के बेहतरीन बैंड्स में से एक है, और हमारी म्यूजिक का प्रभाव अब भी कायम है। म्यूजिक कभी खत्म नहीं होगा! रॉक म्यूजिक हर चीज की बुनियाद में है।”
उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “गारो हिल्स मीट्स गोरा!”

29 नवंबर 2024 से शुरू हुए इस दो दिवसीय फेस्टिवल में पहले ही दिन हजारों लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। पहले दिन के कार्यक्रम में गायक गजेंद्र वर्मा, भारत के प्रसिद्ध रॉक बैंड यूफोरिया और डीजे उदिता गोस्वामी के शानदार प्रदर्शन ने दर्शकों का दिल जीत लिया।

दूसरे दिन मेघालय ग्रासरूट म्यूजिक प्रोजेक्ट स्टेज पर स्थानीय कलाकारों जैसे सांस द क्लोथ्स, वांगकिमिट, स्ट्रेंज ओरिजिन्स, और आहइया ने शानदार प्रदर्शन किया। शाम के कार्यक्रम में रेस्टलेस डिजायर, शंका ट्राइब, इंडस क्रीड और यूरोप के धमाकेदार परफॉर्मेंस ने लाखों दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

मे•गोंग फेस्टिवल गारो समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है। इसमें हस्तशिल्प और हथकरघा प्रदर्शनियों के साथ स्थानीय कारीगरों द्वारा पारंपरिक गारो परिधानों की बुनाई के लाइव डेमो हुए। साथ ही, गारो के प्रामाणिक भोजन जैसे पंता भात, नाखम बिची और वाक पुरा का क्यूजीन शोकेस भी हुआ।
त्योहार के दौरान आगंतुकों को पारंपरिक गारो बुनाई तकनीक सीखने और बांस की टोकरी और मनकों की मालाएं बनाने जैसी गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिला।

फेस्टिवल ने पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए, प्लास्टिक-मुक्त जोन और ईको-फ्रेंडली वेस्ट डिस्पोजल बिन्स जैसी पहल की। स्थानीय सामग्री और खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय पर्यावरण संगठनों के सहयोग से पेड़ लगाने के अभियान भी चलाए गए।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version