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फडणवीस फैक्टर: उथल-पुथल भरे महाराष्ट्र के लिए रणनीतिक धुरी

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(दिव्यराष्ट्र के लिए दीपांशु पाठक, सहायक आचार्य, सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय)

2024 के आम चुनावों ने देश को यह याद दिलाया कि भारत में चुनावी राजनीति एक पॉटबॉयलर की तरह है, जहाँ आलस्य या आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं है। हालिया वर्षों में राजनीतिक उतार-चढ़ाव के साथ महाराष्ट्र राज्य में अब हाईवॉल्यूम नाटक के लिए मंच तैयार है। सत्ता के कई नक्षत्र बनने के आसार नजर आ रहे हैं और पिछले पाँच वर्षों की अराजकता के बाद मतदाताओं के लिए स्थिरता की एक उम्मीद जगी है।
अनिश्चितता की स्थिति में घिरे भाजपा ने बँटे हुए शिवसेना के साथ गठबंधन तो कर लिया लेकिन 2024 के आम चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन औसत से कम रहा। ऊपरी तौर पर ऐसा लगता है कि उम्मीदवारों की पसंद के कारण भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, फिर भी पार्टी के अंदर की सुगबुगाहट बताती है कि राज्य इकाई के भीतर कुछ गंभीर तनाव हो सकता है। गडकरी अपनी ऊर्जा बतौर कैबिनेट मंत्री के रूप में केंद्रित कर रहे हैं, ऐसे में लगता है कि राज्य इकाई को सत्ता-संघर्ष के साथ छोड़ दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र में भाजपा के लिए एक्स फैक्टर कौन लाएगा?
राज्य में भाजपा के प्रदर्शन के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति देवेंद्र फडणवीस हैं। कुछ हद तक वह पार्टी के लिए एक पोस्टर चाइल्ड रहे हैं, जिन्होंने युवावस्था में आरएसएस के मजबूत जुड़ाव के साथ शुरुआत की और आज सत्ता के शिखर तक पहुँचे। गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद नेतृत्व की कमी को पूरा करने में फडणवीस की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। आगामी चुनाव के लिहाज से फडणवीस एक ऐसा नाम है, जिसे कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। वह महायुति को एक साथ जोड़ कर रखने में एक प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं, एक ऐसी गुगली की तरह जिसे किसी ने आते हुए नहीं देखा था। वह जिस तरह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ हैं, उसी तरह आरएसएस से भी अच्छे से जुड़े हुए हैं, जिससे वह एक सशक्त राजनीतिक व्यक्ति बन चुके हैं। वह महायुति या महाराष्ट्र में आकार लेने वाले किसी भी गठबंधन के लिए अपरिहार्य हैं। शायद फडणवीस के पास यही बहुमुखी शक्ति है जिसे उनके कुछ समकालीनों द्वारा नापसंद किया जा रहा है।
हाल ही में, अनिल देशमुख द्वारा फडणवीस के खिलाफ विधायकों की खरीद-फरोख्त और जबरदस्ती की राजनीतिक कार्रवाई के आरोपों की झड़ी ने उन्हें एक बार फिर राजनीतिक चर्चा में ला दिया है। हालाँकि, इन दावों के पीछे की सच्चाई का पता लगाया जाना बाकी है, लेकिन इन दावों के समय पर ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है। क्या फडणवीस को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह सत्ता की दौड़ में स्पष्ट रूप से आगे हैं? या फिर भाजपा के लिए आगे कोई गठबंधन नहीं होने की वजह से फडणवीस की छवि खराब की जा रही है? इन सिद्धांतों पर विराम नहीं लगाया जा सकता क्योंकि अगर फडणवीस की छवि खराब होगी तो हर प्रतिद्वंद्वी को फायदा होना तय है। उनके करीबी सहयोगी मोहित कंबोज भारतीय ने तो यहाँ तक कहा है कि राज्य में भाजपा के खराब प्रदर्शन के लिए फडणवीस को पटरी से उतारने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। सभी सबूत इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि राज्य का कोई भी राजनीतिक मुगल ‘फडणवीस फैक्टर’ को नजरअंदाज नहीं कर सकता है।
तो, इस ‘फडणवीस फैक्टर’ के पीछे क्या है? एक रणनीतिक दिमाग और वंशावली। भाजपा में वंशावली से बहुत फर्क पड़ता है। आरएसएस का अनुशासन, एबीवीपी की राजनीतिक तैयारी और भाजपा की रणनीतिक पैंतरेबाजी उसी की आवश्यक विशेषताएँ हैं। आश्चर्य कर देने वाली बात यह है कि फडणवीस के पास दोनों हैं। उनके पास महत्त्वपूर्ण गठबंधन बनाने का एक सफल रिकॉर्ड है, तब भी जब परिस्थितियाँ उनके विरुद्ध खड़ी हों। महाराष्ट्र की राजनीति अब एक द्विध्रुवीय खेल नहीं है, यह विभिन्न ताकतवर खिलाड़ियों का एक अजीब मिश्रण है जो अलग-अलग लक्षित समूहों को जवाब देते हैं। समय की मांग है कि सही शक्ति समूह को शिवसेना (शिंदे), राकांपा (अजित पवार) और मनसे के साथ मजबूत किया जाए। सिर्फ फडणवीस ने ही इन विविध शक्तियों के बीच एक पुल के रूप में कार्य करने की विनम्रता और चतुराई दिखाई है।
फिर भी, वह अपनी जटिलताओं से रहित नहीं है। फडणवीस को उनके शहरी-उन्मुख नीति निर्माण और जातिगत पूर्वाग्रह के लिए जाना जाता है। यह एक बड़ी आबादी को भाजपा के पाले में आने से अलग कर देता है। अधिक व्यापक रूप से स्वीकार किए जाने के लिए उन्हें राज्य के भीतर अपनी धारणा पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। उन्हें अपने सहयोगियों को पहले से कहीं अधिक करीब रखने की जरूरत है, क्योंकि राज्य एक और उथल-पुथल वाले चुनाव में प्रवेश कर रहा है। उन्हें पार्टी के भीतर की गतिशीलता को मजबूत करना होगा जो वर्तमान में अराजकता की स्थिति में नजर आ रही है।
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इस प्रकार, एक मजबूत और रणनीतिक नेतृत्व उनका सबसे अच्छा दांव है। देवेंद्र फडणवीस एक स्वाभाविक पसंद के रूप में दिखाई देते हैं, और वह बार-बार पार्टी के लिए उपयोगी साबित हुए हैं। फडणवीस को विशिष्ट रूप से बहुत मजबूत संबंधों वाले एक मिलनसार व शानदार नेता के रूप में रखा गया है। उनके पास आश्चर्यजनक विनम्रता है, जहाँ वह पार्टी को अपनी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं से आगे रख सकते हैं। वह राज्य की राजनीति से अच्छी तरह वाकिफ हैं, क्योंकि वह राज्य के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं, लेकिन जो चीज उन्हें बढ़त देती है, वह है उस ज्ञान का मूर्त उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की उनकी क्षमता। वह महागठबंधन बनाने और उसी की राख से उठने में सक्षम रहे हैं।
फडणवीस पर किए गए हमलों से स्पष्ट है कि वह प्रासंगिकता के शिखर पर हैं। राज्य में ऐसी कोई राजनीतिक चर्चा नहीं है, जिसकी कल्पना उनके बिना की जा सके। यह देखना अभी बाकी है कि वह सभी कमजोर सिरों को जोड़ने और महायुति को चुनावी जीत दिलाने में कितना सफल होते हैं। उन्हें अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आंतरिक और बाहरी दोनों चुनौतियों से पार पाना होगा। हालाँकि, यह निश्चित है कि महाराष्ट्र के राजनीतिक भविष्य में ‘फडणवीस फैक्टर’ महत्त्वपूर्ण रहेगा। अगर भाजपा महाराष्ट्र में प्रासंगिक और सक्रिय रहना चाहती है, तो केंद्रीय नेतृत्व को देवेंद्र फडणवीस के लिए रास्ता बनाना होगा।

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