(दिव्यराष्ट्र)
जयपुर। राज्य सरकार एक तरफ राइजिंग राजस्थान का आयोजन कर देश- विदेश से निवेशकों को राजस्थान में उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित कर रही है, जबकि दूसरी तरफ टैक्स की दोहरी मार से प्रदेश का दलहन आधारित उद्योग संकट में है। दाल मिलों पर ताले लगने की नौबत आ गई हैं। दाल मिल व्यवसाई अपने उद्योग को उन पड़ोसी राज्यों में सिफ्ट करने
पर विचार कर रहे है जहां टैक्स की मार कम है। दलहन उत्पादन में भले ही मध्य प्रदेश राजस्थान से आगे हो, लेकिन दाल उत्पादन में राजस्थान देश में नंबर वन पर है। राजस्थान में तीन हजार से अधिक मिले हैं जिनके माध्यम से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ हैं।
दाल मिलों के दूसरे राज्यों में पलायन का मुख्य कारण मंडी शुल्क पड़ोसी राज्यों से ज्यादा होने और कोराना काल में थोपा गया कृषि कल्याण शुल्क हैं। व्यवसाई बताते है कि उन्हें अपने कच्चे माल की पूर्ति के लिए पड़ोसी राज्यों से मंडी शुल्क चुका कर माल खरीदना पड़ता है, फिर यहां आते ही फिर से मंडी टैक्स के साथ कृषि कल्याण टैक्स की मार हैं। इतना ही नहीं दूसरे राज्यों की तुलना में मंडी टैक्स भी राजस्थान में ज्यादा हैं। कई राज्यों में तो टैक्स है ही नहीं।
इसका फायदा उठा कर दूसरे राज्य के लोग राजस्थान में दाल बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। यहीं कारण है कि राज्य के दलहन उद्योग अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं।
यह है दाल मिल संचालकों की मांग
राजस्थान में मंडी शुल्क कम करने, कृषक कल्याण शुल्क का समाप्त करने और राज्य के बाहर से आने वाले दलहन को मंडी टैक्स के दायरे से बाहर करने की मांग प्रमुख है। इन मांगों को लेकर दाल मिल संचालकों की ओर से लगातार ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि कृषक कल्याण शुल्क कांग्रेस सरकार ने कोराना काल में लागू किया था, तब भाजपा ने इसका विरोध किया। अब राज्य में भाजपा सरकार है, इसलिए कृषक कल्याण शुल्क हटाया जाना चाहिए।
ये अंतर है अन्य राज्यों में
राजस्थान में दलहन पर 1.60 प्रतिशत मण्डी शुल्क और 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण नामक सेस वसूला जा रहा है, जबकि गुजरात में मंडी टैक्स 0.60 प्रतिशत, हरियाणा में 1 प्रतिशत, पंजाब, दिल्ली और बिहार में कोई मण्डी टैक्स नहीं वसूला जाता हैं। व्यवसाईयों के अनुसार मंडी टैक्स तो इससे जुड़े उधमियों को बिना विश्वास में लिए नए सिरे से थोपा गया है। कोराना अब रहा नहीं ऐसे में कृषक कल्याण सेस को लागू रखे रखने का कोई औचित्य ही नहीं।
व्यापारी बोले
– राजस्थान में दाल मिल यूनिटों को संबल प्रदान करने के लिए कृषक कल्याण शुल्क पूरी तरह हटाने, मंडी टैक्स कम करने तथा मंडी से बाहर खरीद पर टैक्स में छूट के लिए ऑल इंडिया स्तर से भी मुख्यमंत्री भजन लाल जी से अनुरोध किया गया हैं। हमें भरोसा हैं कि दाल मिल उद्योग को बचाने के लिए मिल मालिको की उचित मांग को सरकार अवश्य मानेगी।
सुरेश अग्रवाल
अध्यक्ष
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिशन ,इंदौर
– राजस्थान राज्य के बाहर से आने वाले कच्चे माल ( दलहन ) को मंडी टैक्स से मुक्त किया जाय, क्योंकि उस पर पहले से ही टैक्स लगा हुआ रहता है। दुबारा टैक्स लगाना न्यायसंगत नहीं है। कोरोना काल में लगाया गया कृषि कल्याण शेष खत्म किया जाए। मंडी टैक्स दर 1.60% बहुत ज्यादा है इसे कम किया जाए।
-रामप्रकाश बीरमीवाला, दाल मिल संचालक ,बिसाऊ