ग्रैमी अवार्ड विजेता रिकी केज के द्वारा एसोसिएट प्रोड्यूसर के रूप में कोलकाता स्थित सांस्कृतिक कार्यकर्ता संदीप भूतोरिया के साथ तैयार किए गए भारतीय राष्ट्रगान के एक महाकाव्य संस्करण ने गायक मंडली की विशेषता वाले “सबसे बड़े गायन पाठ” के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रवेश करके एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। जिसमें ओडिशा के लगभग 14,000 आदिवासी बच्चों के गायक मंडल ने एक साथ प्रदर्शन किया।, उन्होंने ओडिशा के भुवनेश्वर में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में एक साथ इसका प्रदर्शन किया।
इस वीडियो में भारत के जीवित संगीत दिग्गज – पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, राकेश चौरसिया, अमन और अयान अली बंगश, राहुल शर्मा, जयंती कुमारेश, शेख और कलेशबी महबूब, गिरिधर उडुपा और यूके के रॉयल फिलहारमोनिक ऑर्केस्ट्रा के सदस्य भी शामिल थे।
इस अवसर पर प्रभा खेतान फाउंडेशन के ट्रस्टी संदीप भूतोरिया जो विश्व स्तर पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दे रहे हैं ने कहा, “यह परियोजना भारत की विविधता में एकता का सच्चा उत्सव है, इसके साथ ही यह संगीत के क्षेत्र में सहयोग और सांस्कृतिक जगत में प्रतिनिधित्व के मामले में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ओडिशा के हजारों बच्चों के साथ ऐसे दिग्गज कलाकारों के सहयोग से मिली उपलब्धि, पूरी दुनिया को हमारी सांस्कृतिक विरासत की ताकत के बारे में एक शक्तिशाली और गौरवपूर्ण संदेश देती है। इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनना हमारे लिए सम्मान की बात है।
रिकी केज ने कहा, “यह परियोजना संगीत की शक्ति का एक प्रमाण है, जो लोगों को एक साथ लाता है। यह हमारे विविध विरासत का उत्सव और भारत की भावना को सम्मानित करता है। हम ने जो हासिल किया है, उस पर मुझे अत्यंत गर्व है,”।
14,000 बच्चों ने भारत का एक मानव मानचित्र बनाया और हिंदी और अंग्रेजी में ‘भारत’ शब्द का निर्माण किया, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उसके युवा की असीम संभावनाओं का एक शक्तिशाली दृश्य प्रतिनिधित्व है। राष्ट्रगान के इस संस्करण को यूनिवर्सल म्यूजिक इंडिया द्वारा विभिन्न प्लेटफार्मों पर जारी किया गया है।
प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार रिकी केज ने भारतीय राष्ट्रगान की ऐतिहासिक संस्करण को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत करके एक बार फिर संगीत की उत्कृष्टता का स्तर ऊंचा उठाया है। 2023 में अपनी उल्लेखनीय उपलब्धि के बाद, जहां उन्होंने लंदन के एब्बे रोड स्टूडियो में भारतीय राष्ट्रगान प्रस्तुत करने के लिए अब तक के सबसे बड़े सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा (100-पीस रॉयल फिलहारमोनिक ऑर्केस्ट्रा, यूके) का संचालन किया।
रिकॉर्डिंग 14 अगस्त को, भारत के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, सभी स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों पर जारी की गई थी, यह केवल एक संगीत उपलब्धि नहीं है बल्कि एकता और विविधता का प्रतीक है जो राष्ट्र को परिभाषित करता है।
कुल मिलाकर, राष्ट्रगान की यह महाकाव्य संस्करण की प्रस्तुति न केवल संगीत की दुनिया में एक तकनीकी उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान के प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि भी प्रस्तुत करती है। यह भौगोलिक और सामाजिक सीमाओं के पार संगीत की एकजुट शक्ति का एक बेहतरीन उदाहरण है।