
एनआईआरएफ 2025 में ‘इंजीनियरिंग’ श्रेणी में लगातार 10वें वर्ष और ‘सकल’ श्रेणी में लगातार 7वें वर्ष संस्थान नंबर 1 स्थान पर; भारतीय शिक्षा जगत के अग्रणी संस्थान के रूप में प्रतिष्ठा और बढ़ी
जयपुर, दिव्यराष्ट्र/भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) ने एक बार फिर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। संस्थान ने इंजीनियरिंग शिक्षा में दशकों की उत्कृष्टता का इतिहास लिखा है। आज नई दिल्ली में एक पुरस्कार समारोह में इस रैंकिंग की घोषणा की गई।
एनआईआरएफ 2025 में ‘इंजीनियरिंग’ श्रेणी’ में लगातार 10वें वर्ष और ‘सकल’ श्रेणी में लगातार 7वें वर्ष नंबर 1 रैंक अपने नाम कर आईआईटी मद्रास ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में पुनः परचम लहरा दिया है। भारतीय शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी रहने की अपनी दावेदारी पक्की कर ली है। एनआईआरएफ रैंकिंग के आरंभ से ही आईआईटी मद्रास हर साल इंजीनियरिंग श्रेणी में नंबर 1 स्थान पर रहा है।
संस्थान ने ‘नवाचार’ श्रेणी (पहले नवाचार की उपलब्धियों के लिए संस्थानों की अटल रैंकिंग) में भी नंबर 1 रैंक हासिल की है। यह पिछले साल इसी श्रेणी में संस्थान के नंबर 2 से बेहतर रैंक है। संस्थान ने हाल में डीप-टेक स्टार्ट-अप का विश्व स्तरीय इकोसिस्टम बनाने के लक्ष्य से स्कूल ऑफ इनोवेशन एंड आंत्रप्रेन्योरशिप की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य पूरी दुनिया में उद्यमशीलता उन्मुख विश्वविद्यालयों में संस्थान का नाम करना है।
आईआईटी मद्रास ने ‘शोध संस्थान’ श्रेणी में पिछले वर्ष का अपना नंबर 2 स्थान बरकरार रखा है। इससे श्रेष्ठ स्थान पर सिर्फ भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर है।
उल्लेखनीय है कि आईआईटी मद्रास ने ‘सस्टेनेबलिटी डेवलपमेंट गोल्स’ (एसडीजी) श्रेणी में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जिसकी शुरुआत इसी वर्ष की गई है। संस्थान ने अक्टूबर 2023 में एक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी की शुरुआत कर इस क्षेत्र के अनुकरणीय कार्यों को प्रोत्साहित किया है।
4 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग के 10वें संस्करण के परिणामों की घोषणा केंद्रीय शिक्षा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की। इस अवसर पर माननीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार; उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी; एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम; एनबीए के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे; और एनबीए के सदस्य सचिव डॉ. अनिल कुमार नासा भी उपस्थित थे, जिन्होंने पदक प्रदान किए।
एनआईआरएफ 2025 में भाग लेने वाले सभी संस्थानों को बधाई देते हुए, धर्मेंद्र प्रधान, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, “मैं उन सभी संस्थानों को बधाई देता हूँ, जिन्होंने इस साल की रैंकिंग में हिस्सा लिया और अपनी-अपनी श्रेणियों में शीर्ष स्थान पाया। पिछले साल 16 कैटेगरी थीं, इस साल 17, जो भारत में उच्च शिक्षा की बढ़ती विविधता को दर्शाती हैं। एक मजबूत रैंकिंग और मान्यता प्रणाली न सिर्फ प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगी, बल्कि राष्ट्रनिर्माण में भी अहम् भूमिका निभाएगी।”
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा, “वर्ष 2014-15 में भारत में उच्च शिक्षा में छात्र संख्या 3.5 करोड़ से कम थी; आज यह संख्या 4.5 करोड़ से ज्यादा हो गई है। हमारा लक्ष्य 2030 तक 9 करोड़ छात्रों तक पहुँचने का है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए विभिन्न मार्ग प्रशस्त करती है। संस्थानों की रैंकिंग और मान्यता इस यात्रा में गुणवत्ता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की नींव में से एक होगी।”
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने स्वयं ये पुरस्कार ग्रहण किए। उनके साथ आईआईटी मद्रास के डीन (योजना) प्रो. आर. सारथी और आईआईटी मद्रास की रैंकिंग समिति के अध्यक्ष प्रो. रजनीश कुमार भी मौजूद थे।
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने छात्रों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उनके अथक परिश्रम से संस्थान को महान बनाने की बधाई देते हुए कहा, ‘‘हम इसलिए लगातार टॉपर रहे हैं, क्योंकि आप सभी ने मिल कर एकजुटता के साथ प्रयास किया और लक्ष्य पर केंद्रित रहे। हम ईश्वर का धन्यवाद् करते हैं कि हमें ऐसी अद्भुत टीम का वरदान मिला है। हम सबने मिलकर विकसित भारत/2047 के लिए जी-जान से काम करने का संकल्प लिया है।’’