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प्रदूषण मुक्त राजस्थान के लिए संकल्पित राज्य सरकार

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जयपुर, जोधपुर एवं कोटा जिले में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किया जा रहा है व्यापक अध्ययन

जीवनशैली में बदलाव कर ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण संभव: सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल

प्रतिमाह ध्वनि बुलेटिन जारी कर ध्वनि प्रदूषण पर रखी जा रही कड़ी निगरानी

जयपुर, दिव्यराष्ट्र। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव विजय एन ने कहा कि वायु एवं जल प्रदूषण की तरह ही ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना मंडल की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में ध्वनि प्रदूषण से मानव एवं सामाजिक स्वास्थ्य पर पढ़ने वाले दुष्प्रभावों एवं ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के संभावित उपायों से आमजन को जागरूक करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य करना होगा ताकि मानवीय एवं वन्य जीवन को वायु एवं जल प्रदूषण के साथ ध्वनि प्रदूषण से भी सुरक्षित किया जा सके.

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव विजय एन बुद्धवार को यहाँ मंडल मुख्यालय में सीएसआईआर- सीआरआरआई , नई दिल्ली के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. नसीम अख्तर द्वारा नॉइज़ मैपिंग, हॉट स्पॉट्स आइडेंटिफिकेशन एवं मिटिगेशन प्लान फॉर कण्ट्रोल ऑफ़ नॉइज़ पॉल्यूशन फॉर जयपुर” विषय पर दिए गए पीपीटी प्रस्तुतीकरण के दौरान सम्बोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि मंडल द्वारा प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सख्ती से कार्य किया जा रहा है. इस दिशा में ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण कर आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ एवं शांत वातावरण देने के लिए हम प्रतिबद्ध है एवं इस दिशा में हर संभव प्रयास किये जा रहे है.

-संबंधित विभागों द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए किये जा रहे प्रयास सराहनीय

इस दौरान सदस्य सचिव ने मौजूद रेलवे, ट्रैफिक, जयपुर प्रशासन, एनएचएआई, जेडीए, रीको सहित अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों से विभागों द्वारा किये ध्वनि प्रदूषण के लिए किये जा रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी ली साथ ही उन्होंने कहा कि विभागों द्वारा किये जा रहे प्रयास सराहनीय है व आने वाले समय में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए संबंधित विभागों की भूमिका महत्वपूर्ण है.

जयपुर, जोधपुर एवं कोटा शहर के ध्वनि प्रदूषण का करवाया जा रहा अध्ययन*

इस दौरान सीएसआईआर- सीआरआरआई , नई दिल्ली के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नसीम अख्तर ने अपने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताया कि किस प्रकार ध्वनि प्रदूषण मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. उन्होंने कहा कि मांगलिक कार्यों के दौरान देर रात तक होने वाले शोर के अलावा ट्रैफिक लाइट पर होने वाली वाहनों की अनावश्यक हॉर्न की आवाज़, व्यापारिक संस्थानों में जेनेरेटर से होने वाले शोर से न केवल वातावरण प्रदूषित हो रहा है बल्कि मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर दिखाई दे रहा है जिसके लिए शीघ्र ही सम्बन्धी विभागों से समन्वय स्थापित कर कार्यवाही करने की आवश्यकता है.

ट्रैफिक ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण*

डॉ. नसीम अख्तर ने बताया कि अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि जयपुर, जोधपुर एवं कोटा शहर में ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत वाहनों के कारण होने वाले ट्रैफिक पाया गया है वहीँ ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हॉटस्पॉट्स की पहचान कर ली गयी है. इस संबंध में संबंधित विभागों से 20 जुलाई तक सुझाव आमंत्रित किये गए है जिनके आधार पर शीघ्र ही रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाकर ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय किये जा सकेंगे।

– प्रति माह नॉइज़ बुलेटिन जारी कर ध्वनि प्रदूषण पर रखी जा रही है कड़ी निगरानी

इस दौरान सदस्य सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि मंडल द्वारा ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इस ओर विशेष पहल करते हुए मंडल की वेबसाइट पर आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रति माह नॉइज़ बुलेटिन जारी किया जा रहा है जिसके तहत ध्वनि प्रदूषण वाले क्षेत्रों का सेम्पल एकत्रित कर उनका मापन कर ध्वनि प्रदूषण का स्तर जारी किया जा रहा है ताकि ध्वनि प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए संभावित उपाय किये जा सके।

इस दौरान रेलवे, ट्रैफिक, जयपुर प्रशासन, एनएचएआई, जेडीए, रीको सहित अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधि एवं मंडल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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