दिव्यराष्ट्र, जयपुर: भारत के थार मरुस्थल के केंद्र में, जहां पानी की कमी ने लंबे समय से लोगों के जीवन को प्रभावित किया हुआ है, वहां राजस्थान में जमीनी स्तर पर काम कर रहे एनजीओ सोशल एक्शन फॉर रूरल एडवांसमेंट (सारा) ने कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन आनंदना के समर्थन से पानी तक पहुंच को सुगम बनाने की दिशा में काम किया है। इसके लिए तालाब जैसे पारंपरिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित किया गया है और चेक डैम बनाए गए हैं। करीब एक दशक में इस प्रोजेक्ट ने राजस्थान के छह गांवों: राजपुरा, बाल्यावास, कराद, खोड़ा, डुंगरी खुर्द और छोटा नरेना में 18,000 से ज्यादा लोगों के जीवन को सकारात्मक तरीके से बदला है।
सालाना मात्र 550 मिलीमीटर की औसत बारिश और क्षेत्र का 70 प्रतिशत से ज्यादा भूजल पीने योग्य नहीं होने के कारण राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके के लोगों को दैनिक जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। सारा ने यहां की स्थिति को देखकर यह समझा कि पानी की जरूरत केवल एक भौतिक संसाधन के रूप में नहीं है, बल्कि यह सम्मान, आत्मनिर्भरता और ग्रामीण समृद्धि का प्रमुख उत्प्रेरक भी है।
सोशल एक्शन फॉर रूरल एडवांसमेंट (सारा) के डायरेक्टर मोटा राम ने कहा, ‘यह प्रोजेक्ट सिर्फ इन निर्माण कार्यों की वजह से अलग नहीं है, बल्कि हमने लोगों की सोच को बदलने में मदद की है। हमने ऐसा नहीं किया कि मशीन लेकर आए और कंक्रीट की संरचनाएं बनाकर छोड़ दीं। हमने समाज के साथ मिलकर काम किया, परिवारों ने इसमें योगदान दिया। किसी ने 100 रुपये दिए तो किसी ने श्रमदान किया और कुछ लोगों ने अपनी जमीनें दीं। इस प्रक्रिया ने सब कुछ बदल दिया। हमने महिलाओं को भी बराबर वेतन देन पर जोर दिया, उन्हें इंजीनियरों की तरह प्रशिक्षित किया और एक ग्रामीण विकास कमेटी बनाने में मदद की, जो अब खुद ही इस वाटर सिस्टम की देखरेख करती है। प्रोजेक्ट के पूरा होने के नौ साल बाद भी यह कमेटी पूरी व्यवस्था को संभाल रही है, नई चीजें अपना रही है और इनोवेशन भी कर रही है। कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन आनंदना के समर्थन से हमने सिर्फ एक रिचार्ज स्ट्रक्चर ही नहीं बनाया है, बल्कि सस्टेनेबिलिटी की एक स्थानीय व्यवस्था तैयार की है।’