पहलगाम की चीखों का बदला : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से दहला आतंकवाद का साम्राज्य

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(दिव्यराष्ट्र के लिए गिरिराज अग्रवाल )

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को हुए बर्बर आतंकवादी हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। इस कायराना हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी, जिनमें नवविवाहित जोड़े भी शामिल थे। इस घटना ने न केवल शोक की लहर पैदा की, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को भी और मजबूत किया। इस जघन्य कृत्य के जवाब में, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य सीमा पार स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाना था।
पहलगाम हमले के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों को “कल्पना से परे” सजा देने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को साकार करते हुए, भारतीय सशस्त्र बलों ने 6 और 7 मई की मध्यरात्रि को एक सटीक और लक्षित अभियान चलाया, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। इस ऑपरेशन के तहत, पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को मिसाइलों से निशाना बनाया गया।
इन ठिकानों में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर, हथियारों के डिपो और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे प्रमुख आतंकवादी संगठनों के ठिकाने शामिल थे। भारतीय सेना के प्रवक्ता ने इस कार्रवाई को पूरी तरह से आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने पर केंद्रित बताया और स्पष्ट किया कि इसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया। ऑपरेशन को “लक्षित, मापा और गैर-बढ़ावा देने वाला” करार दिया गया, जिसमें भारत ने लक्ष्य चयन और निष्पादन में “काफी संयम” का प्रदर्शन किया।
आतंकवादियों को हुई महत्वपूर्ण क्षति:
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आतंकवादी संगठनों को महत्वपूर्ण क्षति पहुंचाई है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इन हमलों में कई शीर्ष कमांडरों सहित बड़ी संख्या में आतंकवादियों के हताहत होने की सूचना है। इन हमलों ने न केवल उनकी प्रशिक्षण क्षमताओं को बाधित किया है, बल्कि उनके मनोबल को भी कमजोर किया है। जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया, वे लंबे समय से आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बने हुए थे, जहाँ से वे भारत में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाते और उन्हें अंजाम देते थे। इन ठिकानों का नष्ट होना सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि उनके नापाक मंसूबे अब सुरक्षित नहीं हैं।
आतंकवाद के खिलाफ भारत का दृढ़ रुख:
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दूरगामी परिणाम भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हैं। इस ऑपरेशन ने स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है कि भारत अब सीमा पार से होने वाले किसी भी आतंकवादी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा और उसका दृढ़ता से जवाब देगा। यह कार्रवाई भारत की “शून्य सहिष्णुता” की नीति को सुदृढ़ करती है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देती है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है।
इस ऑपरेशन का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे पाकिस्तान के भीतर गहराई तक अंजाम दिया गया, जो पहले की सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक से आगे जाता है। यह दर्शाता है कि भारत के पास अब सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की क्षमता और दृढ़ संकल्प दोनों मौजूद हैं। यह भविष्य में होने वाले किसी भी आतंकवादी हमले के लिए एक मजबूत निवारक के रूप में कार्य करेगा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की स्थिति:
जम्मू-कश्मीर दशकों से आतंकवाद से जूझ रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदमों के परिणामस्वरूप आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में 228 आतंकवादी घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 30 नवंबर, 2023 तक यह संख्या घटकर 43 रह गई। इसी अवधि में नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौतों में भी उल्लेखनीय कमी आई है।
हालांकि, पहलगाम जैसा हमला यह याद दिलाता है कि आतंकवाद की चुनौती अभी भी मौजूद है और सीमा पार स्थित आतंकवादी संगठन लगातार भारत में अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) जैसे छद्म संगठनों द्वारा हमलों की जिम्मेदारी लेना पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की संलिप्तता को उजागर करता है।
पिछली कार्रवाइयों का प्रभाव:
भारत ने अतीत में भी आतंकवादी हमलों के जवाब में निर्णायक कार्रवाई की है। 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इन कार्रवाइयों ने न केवल आतंकवादियों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि पाकिस्तान को भी यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो पिछली कार्रवाइयों से प्राप्त सीखों के आधार पर अधिक सटीकता और दृढ़ता के साथ अंजाम दिया गया है।
आतंकवाद पर निर्णायक प्रतिक्रिया की दिशा में:
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पहलगाम हमले के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस ऑपरेशन का तात्कालिक प्रभाव आतंकवादियों को महत्वपूर्ण क्षति पहुंचाना और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करना है। इसके दूरगामी परिणाम सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों के लिए एक मजबूत निवारक के रूप में कार्य करेंगे और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को और सुदृढ़ करेंगे।
हालांकि, आतंकवाद की चुनौती अभी भी जटिल है और इसके स्थायी समाधान के लिए निरंतर प्रयासों, मजबूत खुफिया जानकारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ यह स्पष्ट करता है कि भारत अब रक्षात्मक रुख अपनाने के बजाय आतंकवाद के स्रोत पर कार्रवाई करने की क्षमता और इच्छाशक्ति रखता है, जो आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह भारत का एक स्पष्ट संदेश है कि अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को यह समझने के लिए मजबूर करेगा कि उनके कृत्यों के गंभीर परिणाम होंगे।

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