जयपुर, दिव्य राष्ट्/ आयरन लेडी के रूप में पहचाने जाने वाली जयपुर की 59 वर्षीय साइक्लिस्ट रेणु सिंघी ने एक और उपलब्धि अपने नाम की है। उन्होंने यूरोप में आयोजित अल्ट्रा साइकिलिंग चैलेंज ‘नॉर्थकेप—4000’ को सफलतापूर्वक पूरा किया है और ऐसा करने वाली वे देश की प्रथम महिला बन गई हैं। 4200 किलोमीटर के इस अनसपोर्टेड बाइसाइक्लिंग एडवेंचर के काफी मुश्किल होने से इसमें गिने—चुने साइक्लिस्ट ही शामिल होते हैं। इस बार इसके 44 देशों के 350 प्रतिभागियों में भारत के सिर्फ पांच साइक्लिस्ट थे। इनमें देश की पहली महिला साइक्लिस्ट के तौर पर रेणु सिंघी न सिर्फ शामिल हुईं, बल्कि इसे फिनिश कर देश को गौरवान्वित भी किया।
इटली के रोवरेटो से शुरू हुई इस राइड का 4200 किलोमीटर का रूट जर्मनी, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड व नॉर्वे सहित सात देशों से होते हुए तय किया गया था। पार्टिसिपेंट्स को 22 दिन में नॉर्वे के नॉर्थकेप पहुंचना था, लेकिन रेणु सिंघी ने यह सफर 19 दिन में ही पूरा कर लिया।
उन्होंने बताया कि “इसके नियमानुसार प्रतिभागी किसी भी प्रकार की बाहरी मदद नहीं ले सकते थे, जिससे हमारे लिए यह राइड न सिर्फ फिजिकल फिटनेस की, बल्कि धैर्य व दृढ़ संकल्प का भी कड़ा इम्तिहान रही। इस दौरान अधिकांश सफर जंगल के बीच से रहा, जहां सुविधा तो दूर, कई किलोमीटर तो स्थानीय लोग भी नजर नहीं आए। कई बार भूखे—प्यासे रहकर आगे बढ़ते गए। बीच—बीच में खड़ी चढ़ाई ने इस चैलेंज को और अधिक मुश्किल बनाया। कुछ स्थानों पर बारिश होने से कीचड़—कंकड़ ने राह को और अधिक दुर्गम बना दिया। रास्ते में साइकिल कई बार पंक्चर हुई और गियर वायर भी टूटा। रात को सिर्फ तीन या चार घंटे नींद लेकर फिर मंजिल की ओर बढ़ जाते थे।”
उल्लेखनीय है कि रेणु सिंघी पूर्णिमा यूनिवर्सिटी, जयपुर की एडवाइजर हैं। वे ‘नॉर्थकेप—4000’ से पूर्व एकमात्र भारतीय महिला साइक्लिस्ट के तौर पर ‘लंदन-एडिनबर्ग-लंदन 2022’ फिनिश कर चुकी हैं और वे लगातार 11 बार एसआर का स्टेटस भी हासिल कर चुकी हैं। वे वर्ष 2019 में फ्रांस में आयोजित ‘पेरिस—बे—पेरिस’ में 92 घंटे में 1220 किलोमीटर साइकिलिंग कर चुकी हैं। यही नहीं, उन्होंने अक्टूबर—21 में श्रीनगर से खारदुंग-ला होते हुए तुरतुक तक करीब 620 किलोमीटर की टास्क भी पूरी की है। साइकिलिंग के प्रति खास जुनून की वजह से वे आज एक मिसाल बन चुकी हैं और साइक्लिंग ग्रुप में उन्हें आयरन लेडी के रूप में जाना जाता है। इनकी खास बात यह है कि 51 वर्ष की उम्र में साइकिलिंग शुरू करने के बाद वे आठ वर्ष में एक लाख किलोमीटर से अधिक साइकिलिंग कर चुकी हैं।