तपस्या जैन धर्म व भारतीय संस्कृति का मूल तत्त्व- आचार्य लोकेश
नई दिल्ली/ दुबई,, दिव्यराष्ट्र/संवत्सरी महापर्व के समापन पर क्षमायाचना व तपस्या के पारणा का कार्यक्रम अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक पूज्य जैन आचार्य लोकशजी के सानिध्य एवं तेरापंथ धर्मसंघ से समणी मधुर प्रज्ञाजी वं समणी मनन प्रज्ञा व पारस धाम से शासन प्रभावक परागभाई दिपालीबेन की पावन उपस्थिति में आयोजित हुआ जिसमें सैकड़ों तपस्वी व श्रद्धालु उपस्थित हुए। उल्लेखनीय है कि दुबई शहर में सवा सौ से अधिक अठाई व उससे अधिक तप कर भाई बहिनों ने नया इतिहास बनाया |
आचार्य लोकेश ने श्रद्धालुओं और तपस्वियों को संबोधित करते हुये कहा कि भगवान महावीर ने सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप को मोक्ष का मार्ग बताया है। सम्यक तप ही दोषों का परिमार्जन करता है , इसी से आचार की विशुद्धता और ज्ञान सम्यक होता है। परिणामों में निर्मलता आती है, संसार के दुखों से छुटकारा मिलता है। मात्र भोजन के त्याग का नाम तप नहीं है , पहले कषाय का त्याग, फिर पंचेन्द्रिय के विषयों का त्याग, फिर आहार का त्याग तब वह तप की संज्ञा पाता है | परिणामों में निर्मलता आती है, संसार के दुखों से छुटकारा मिलता है, मुक्ति का मार्ग निकट होता है, जैन शासन की महान प्रभावना होती है |
आचार्या लोकेश ने सभी तपस्वियों का अभिनंदन किया। उन्होने तपस्वियों से तपस्या के बाद आहार के प्रति सजग रहने को कहा और मार्गदर्शन दिया कि आने वाले दिनों मे किस प्रककर का आहार लेना चाहिए ताकि स्वास्थ्य ठीक बना रहे।आचार्य लोकेश ने “खमत खामणा मिच्छामी दुक्कड़म’ कहकर निर्मल हृदय से क्षमा याचना की |
समणी मधुर प्रज्ञा ने सवा सौ से अधिक अठाई तप करने वाले तपस्वियों को बधाई दी और कहा कि तपस्या आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने के लिए एक अहम कसौटी है, इससे आत्मा निर्मल होती है और चंदन की तरह पवित्र हो जाती है| जैन धर्म में बारह प्रकार के तपाचरण का उल्लेख है, जिनमें छः बाह्य तथा छः आभ्यंतर तप हैं। स्वाध्याय और ध्यान को सबसे उत्तम तप माना जाता है, इसका हम नियनित रूप से पालन कर सकते है |
दुबई जैन संघ के सभी पदाधिकार्यों ने आचार्याश्री का पर्युषन पर्व पर आध्यात्मिक प्रवचन के लिए अभिनंदन किया, अध्यक्ष विपुल कोठारी व सेक्रेटरी तरूण, शेखर पटनी, चन्दू भाई, राजेश भाई सिरोहिया ने कहा कि आचार्य लोकेशजी के आगमान से अभूतपूर्व उत्साह बना रहा | योग प्रशिक्षक कुन्दन का विशेष सहयोग रहा।