जयपुर। दिव्यराष्ट्र/। राजस्थानी भाषा देश की समृद्ध भाषाओं में से एक है, इसका उल्लेखनीय प्राचीन एवं आधुनिक साहित्य है, अपनी व्याकरण एवं अपना शब्दकोश है, इसको संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिलना चाहिए।
यह विचार राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.जहूर खां मेहर ने रविवार शाम प्रयास संस्थान चूरू द्वारा कन्हैयालाल रतनलाल पारख साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद प्रत्युत्तर में व्यक्त किए। प्रो.मेहर ने कहा कि लेखक के घर आकर अंलकृत करने से बड़ा क्या सम्मान होता है और ऐसा कोई संस्थान कर रहा है तो यह संपूर्ण साहित्य एवं भाषा का सम्मान है।
प्रयास संस्थान के अध्यक्ष एवं राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. दुलाराम सहारण ने कहा कि प्रो. मेहर का आधुनिक राजस्थानी निबंध साहित्य में जो योगदान है, वह अद्वितीय है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभागाध्यक्ष एवं साहित्यकार डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित ने प्रो. मेहर को भाषा एवं साहित्य की समन्वित धारा के वाहक बताया तो राजस्थान साहित्य अकादमी की सरस्वती सभा के पूर्व सदस्य डॉ. कालूराम परिहार, साहित्यकार भंवरलाल सुथार, अशोक डूडी ने भी प्रो. मेहर के योगदान को रेखांकित किया। इससे पूर्व सुंदरदेवी लक्ष्मीदेवी पारख ट्रस्ट कोलकाता प्रायोजित कन्हैयालाल रतनलाल पारख साहित्य पुरस्कार के तहत वर्ष 2024 अंतर्गत इक्कावन हजार रुपये का चैक, शॉल, साफा, प्रतीक चिह्न से प्रो. मेहर को अंलकृत किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रो. मेहर उम्र आधिक्य एवं स्वास्थ्य कारणों के चलते प्रयास संस्थान द्वारा चूरू में आयोजित समारोह में शिरकत नहीं कर पाए थे। इसी के अनुक्रम में संस्थान ने जोधपुर उनके घर आकर यह सम्मान प्रदान किया।