Home हेल्थ दुनिया भर में मुँह के कैंसर के मामलों में से एक-तिहाई अकेले...

दुनिया भर में मुँह के कैंसर के मामलों में से एक-तिहाई अकेले भारत में हैं

28 views
0
Google search engine

मुँह के कैंसर की पहचान के लिए अपोलो ने शुरू किया स्क्रीनिंग प्रोग्राम

नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ :अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई (एएचएनएम ) ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर, मुँह के कैंसर की जल्द से जल्द पहचान के लिए सक्रिय स्क्रीनिंग पहल # I प्रोमिस शुरू की है। कार्यक्रम में जन जागरूकता, नियमित जांच और तंबाकू और शराब का सेवन करने वालों सहित उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए टार्गेटेड उपायों पर ज़ोर दिया जाता है। तंबाकू का सेवन अब व्यक्तिगत आदत नहीं रह गया है, बल्कि एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट बन गया है। पूरी दुनिया भर में मुँह के कैंसर के मामलों में से एक-तिहाई अकेले भारत में हैं। हर साल 77,000 नए निदान किए जाते हैं और 52,000 लोग अपनी जान गवां देते हैं। मुँह के कैंसर के मरीज़ों की जीवित रहने की दर सिर्फ़ 50% है, जो विकसित देशों की तुलना में काफ़ी कम है (लिंक)। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (2022-23) में स्पष्ट रूप से दिखाई गयी शहरी और ग्रामीण भारत दोनों में तंबाकू की बढ़ती खपत इस ख़तरनाक प्रवृत्ति का बढ़ना दर्शाती है। इसमें पान, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों पर बढ़ते खर्च का उल्लेख किया गया है।

डॉ.अनिल डीक्रूज़, डायरेक्टर ऑन्कोलॉजी और सीनियर हेड एंड नेक ऑन्को सर्जन, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,“तंबाकू का सेवन करने वालों में दूसरे (जो तंबाकू नहीं खाते हैं) लोगों की तुलना में मुँह का कैंसर होने की संभावना 6 से 7 गुना ज़्यादा होती है। मुँह के कैंसर उन कुछ कैंसर में से एक है जिसका पता मुँह की एक साधारण जांच से जल्दी लगाया जा सकता है। इस कार्यक्रम के साथ, हमारा लक्ष्य है मामलों का जल्दी पता लगाना है – इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। निवारक स्वास्थ्य सेवा की संस्कृति को बढ़ावा देना हमारा उद्देश्य है। अगर समय रहते पता चल जाए तो मुँह के कैंसर का इलाज संभव है। हम 30 साल से ज़्यादा उम्र के सभी लोगों, खास तौर पर तंबाकू का सेवन करने वालों से आग्रह करते हैं कि वे अपना स्क्रीनिंग करवा लें”

रिस्क फैक्टर, मुँह का कैंसर होने की संभावना को बढ़ाने वाली चीज़े – जैसे कि धुआँ रहित तंबाकू, सुपारी और शराब का एक साथ सेवन – खास कर जहां निवारक देखभाल बहुत कम है ऐसे वंचित समुदायों में ज़्यादा पायी जाती हैं। यह बीमारी 31-50 वर्ष की उम्र के लोगों को तेज़ी से प्रभावित कर रही है, इन लोगों का खराब पोषण खतरे को और बढ़ा रहा है।

श्री अरुणेश पुनेथा, रीजनल सीईओ वेस्टर्न रीजन, अपोलो हॉस्पिटल्स ने बताया,”यह पहल कुल ऑन्कोलॉजी देखभाल में अपोलो के नेतृत्व को दर्शाती है। हमारा मिशन इलाज तक सीमित नहीं है – हमारा उद्देश्य लोगों को उनके स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखने के लिए उपकरणों और ज्ञान से लैस करना है। स्थानीय समुदाय और हमारे कॉर्पोरेट भागीदारों के साथ हमारा जुड़ाव जल्द से जल्द जांच के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस अभियान के साथ, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई तंबाकू का सेवन करने वालों से आग्रह करता है कि वे उनकी आदतों की वास्तविक लागत का पुनर्मूल्यांकन करें – न केवल स्वास्थ्य के संदर्भ में, बल्कि भावनात्मक कल्याण के बारे में भी। यह अभियान रोकथाम के लिए सबसे शक्तिशाली उपकरणों के रूप में जल्द से जल्द पहचान और जीवनशैली में दीर्घकालिक बदलाव के मूल्य को पुष्ट करता है।”

तंबाकू की लत से उबरने के इच्छुक व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने के लिए, इस पहल के तहत, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने स्थानीय सामुदायिक समूहों और कॉर्पोरेट भागीदारों के साथ हाथ मिलाए हैं। यह सहयोग शारीरिक स्वास्थ्य उपायों को मानसिक और भावनात्मक कल्याण सहायता के साथ जोड़ता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here