नोएडा, दिव्यराष्ट्र/एनआईयू ने अंतरराष्ट्रीयकरण और शैक्षणिक उत्कृष्टता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मलेशिया के छह प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ चार समझौता ज्ञापन और दो आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। ये साझेदारियां अनुसंधान, नवाचार और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं, जो एनआईयू के छात्रों और संकाय सदस्यों को वैश्विक अवसर प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
एनआईयू के चेयरमैन डॉ. देवेश कुमार सिंह के विजन के तहत, कुलपति प्रो. (डॉ.) उमा भारद्वाज ने व्यक्तिगत रूप से मलेशिया का दौरा कर इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए। यह पहल एनआईयू की सीमाओं से परे जाकर परिवर्तनकारी शैक्षणिक अवसर उत्पन्न करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
वैश्विक सहयोग: अनुसंधान के नए अवसरों का मार्ग*
एनआईयू के प्रतिनिधिमंडल ने मलेशिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ समझौते किए, जिनमें QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में शामिल प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं:
– यूनिवर्सिटी ऑफ मलाया (,, यू एम) – वैश्विक रैंक 65
– यूनिवर्सिटी टेक्नोलॉजी मलेशिया
वैश्विक रैंक 161 – सनवे यूनिवर्सिटी – मलेशिया के शीर्ष निजी विश्वविद्यालयों में से एक
– यूनिवर्सिटी टुनकु अब्दुल रहमान – शीर्ष 600 विश्वविद्यालयों में शामिल ।मलेशिया यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी – एक अग्रणी अनुसंधान-आधारित संस्थान
– यूनिवर्सिटी मलेशिया ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी आधारित प्रमुख विश्वविद्यालय एक सम्मानित बहु-विषयक संस्थान
प्रतिनिधिमंडल ने अन्य प्रमुख मलेशियाई विश्वविद्यालयों के साथ भी संभावित सहयोग के अवसरों का अन्वेषण किया, ताकि एनआईयू का वैश्विक शैक्षणिक नेटवर्क और अधिक विस्तारित हो सके।
सहयोग का एजेंडा: अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित*
इन समझौतों का मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों में अनुसंधान और सतत विकास को बढ़ावा देना है, जो वैश्विक और स्थानीय चुनौतियों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं।
द्विपक्षीय अनुसंधान सहयोग
– सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों पर शोध
– हाइड्रोजन उत्पादन और ऊर्जा भंडारण समाधान
– कार्बन फुटप्रिंट में कमी और सतत विकास लक्ष्यों ,(एसडीजीएस)पर अनुसंधान
– उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग कर नवाचार
– कम्प्यूटेशनल टूल्स और प्रौद्योगिकियों के लिए समाधान
हाइड्रोजन अनुसंधान पर विशेष जोर भारत में स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा। इन शोध परियोजनाओं के परिणाम भारत के सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देंगे।
2. प्रमुख शोध प्रकाशन और पेटेंट
इस साझेदारी का लक्ष्य अग्रणी शोध पत्रिकाओं में संयुक्त प्रकाशन और पेटेंट पंजीकरण को बढ़ावा देना है। एनआईयू और मलेशियाई विश्वविद्यालयों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान दोनों संस्थानों में अनुसंधान की संरचना को मजबूत करेगा।
3. नवाचार-उन्मुख अनुसंधान वातावरण का विकास
– वैश्विक और स्थानीय चुनौतियों के प्रासंगिक शोध क्षेत्रों की पहचान करना
– संस्थानों की प्राथमिकताओं के अनुसार शोध सुविधाएं स्थापित करना
– संकाय विकास और शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देना
– अनुसंधान परियोजनाओं के लिए फंडिंग एजेंसियों के साथ सक्रिय सहभागिता
वैश्विक नेटवर्क का विस्तार: एनआईयू प्रतिनिधिमंडल का प्रभावशाली दौरा
इस शैक्षणिक यात्रा के दौरान, एनआईयू के निदेशक (अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश और आउटरीच) सुधीर कुमार पांडे ने प्रो. भारद्वाज के साथ बैठकें कीं। प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श किया, जिससे संकाय और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रमों की नींव रखी गई। इन साझेदारियों से एनआईयू और मलेशियाई विश्वविद्यालयों के छात्रों व शिक्षकों को वैश्विक अनुभव और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अवसर मिलेंगे।
वैश्विक मान्यता और शैक्षणिक उत्कृष्टता की दिशा में एक साहसिक कदम
ये साझेदारियां एनआईयू की वैश्विक स्तर पर शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र बनने की महत्वाकांक्षा को प्रतिबिंबित करती हैं। विश्वविद्यालय का लक्ष्य न केवल छात्रों को वैश्विक कौशल से सशक्त बनाना है, बल्कि नवाचार और अनुसंधान के माध्यम से सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के बीच की खाई को पाटना भी है।
एनआईयू की मलेशियाई विश्वविद्यालयों के साथ ये साझेदारियां भारतीय शिक्षा जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी। इस ऐतिहासिक पहल से एनआईयू अपनी स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित करेगा और विश्वस्तरीय शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करेगा।