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नेवर मार्क योरसेल्फ इन लेबल – डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन

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जेईसीआरसी में हुआ सर्वेपल्ली राधाकृष्णन मेमोरियल लेक्चर जहां भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन रहे मुख्य अतिथि
जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ जेईसीआरसी में स्कूल ऑफ हयूमैनिटिज़ की ओर से आयोजित हुआ सर्वेपल्ली राधाकृष्णन मेमोरियल लेक्चर जहां डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस महत्वपूर्ण अवसर पर चर्चा का विषय “वेब 3.0 दशक के आर्थिक परिदृश्य: चुनौतियाँ और अवसर” था।
इस कार्यक्रम में जयपुर और दिल्ली से कई प्रमुख व्यक्ति, सरकारी अधिकारी, शिक्षाविद् और कॉर्पोरेट नेताओं ने भाग लिया।

डॉ. अनंथा नागेश्वरन ने वेब 3.0 के भविष्य पर एक प्रेरणादायक संबोधन दिया। उन्होंने इस नए डिजिटल युग में उत्पन्न हो रही तकनीकी चुनौतियों और अवसरों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। डॉ. नागेश्वरन ने विशेष रूप से यह बात की कि तकनीकी उन्नति के साथ-साथ मानवीय संवाद को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर स्थानीय भाषाओं में। उन्होंने व्यक्तिगत भलाई, जैसे मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य को इस डिजिटल युग के अनुकूल होने के लिए आवश्यक बताया।

इसके अलावा, डॉ. नागेश्वरन ने कृषि को आधुनिक बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग करते हुए भी इंसानी पहलू को बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए कृषि में नई तकनीक को अपनाने के लिए नियमों में बदलाव की जरूरत है।
नेवर मार्क योरसेल्फ इन लेबल

फायरसाइड चैट के दौरान जब डॉ. वी. अनंथा नागस्वरन से पूछा गया कि कॉर्पोरेट, अकादमिक और सिविल सर्विसेज में से कौनसी फील्ड उनके लिए खास है, तो उन्होंने एक महत्वपूर्ण और विचारणीय उत्तर दिया।

डॉ. नागेश्वरन ने कहा कि हमें अपने आप को किसी एक टैगलाइन या लेबल में नहीं बांधना चाहिए। उनका मानना है कि किसी भी व्यक्ति को एक विशेष क्षेत्र के साथ सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें अपने कौशल और क्षमताओं को व्यापक दृष्टिकोण से देखना चाहिए।

उन्होंने बताया कि हर क्षेत्र में काम करने के अपने-अपने फायदे और चुनौतियाँ होती हैं। इसलिए, किसी एक क्षेत्र को खास मानने की बजाय, हमें अपनी विशेषज्ञता और अनुभव को विविध दृष्टिकोण से समझना और उसका उपयोग करना चाहिए। उनका यह विचार व्यक्त करता है कि सफलता और विकास केवल एक ही क्षेत्र में नहीं, बल्कि कई अलग-अलग क्षेत्रों में काम करके भी हासिल किया जा सकता है।

कार्यक्रम में डिजिटल स्ट्रेटेजीस हेड, धीमंत अग्रवाल, ने कहां की डिजिटल दुनिया में नई तकनीकों और तरीकों को अपनाना हमें अधिक अवसर प्रदान करता है और किसी एक विशेष क्षेत्र के दायरे में खुद को सीमित करने की बजाय, हमें विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता और नवोन्मेष को दिखाना चाहिए। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम लगातार सीखते रहें और नए क्षेत्रों को अपनाने के लिए खुले रहें। उनका यह दृष्टिकोण डॉ. नागस्वरन की बातों को और भी सशक्त बनाता है, जो किसी भी एक क्षेत्र में खुद को सीमित न करने और अवसरों को खुलकर अपनाने पर जोर देता है।

जेईसीआरसी विश्वविद्यालय की एसोसिएट डीन लिबरल स्टडीज, अंजू गुप्ता ने इस कार्यक्रम में बताया कि तकनीक और इंसानी रिश्तों के बीच एक अच्छा संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जितना हम नई तकनीक को अपनाएं, उतना ही हमें अपने व्यक्तिगत और मानवीय संबंधों को भी महत्व देना चाहिए।

कार्यक्रम में डॉ. नागेश्वरन और प्रसिद्ध डिप्लोमेट एवं टेड वक्ता आर सिद्धार्थ के बीच एक फायरसाइड चैट का भी आयोजन हुआ, जिसमें वेब 3.0 के आर्थिक प्रभावों पर गहरी बातचीत की गई।

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