महाराष्ट्र में पहली बार इस तरह की उपलब्धि हासिल हुई
मुंबई, दिव्यराष्ट्र*– नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल ने महाराष्ट्र में पहली बार 10 साल के बच्चे में दुर्लभ जन्मजात हृदय दोष—साइनस वेनोसस एट्रियल सेप्टल डेफेक्ट (एसवी-एएसडी) का कम से कम चीरफाड़ करने वाला ट्रांसकैथेटर तरीका अपनाकर सफल इलाज किया। यह अस्पताल और डॉक्टरों की टीम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सालों तक कोई लक्षण न दिखने के बाद, बच्ची का यह हृदय दोष तब पता चला जब दिल की धड़कन में अजीब सी आवाज़ (मर्मर) सुनाई दी। इसके बाद बच्ची को अस्पताल के ओपीडी में डॉक्टर को दिखाया गया, जहाँ इकोकार्डियोग्राफी और सीटी एंजियोग्राम से दोष की सही जानकारी मिली।
एसवी-एएसडी एक खास चुनौती है क्योंकि इसमें फेफड़ों की एक नस (पल्मोनरी वेन) जो आमतौर पर ऑक्सीजन वाला खून बाएँ एट्रियम तक ले जाती है, असामान्य होती है। पहले इस तरह के मामलों में सिर्फ खुला सर्जिकल ऑपरेशन ही विकल्प था, क्योंकि संरचना बहुत जटिल होती थी। लेकिन एसआरसीसी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल की टीम ने इसे कम से कम चीरफाडं करने वाली ट्रांसकैथेटर तकनीक से किया, जिसमें कवर्ड स्टेंट तकनीक इस्तेमाल किया गया और फ्लोरोस्कोपी, एंजियोग्राफी और ट्रांसओइसोफेजियल इको जैसी एडवांस्ड इमेजिंग तकनीकों का सहारा लिया गया।
इस प्रक्रिया में विशेष ध्यान रखा गया कि फेफड़ों की नसों (पल्मोनरी वेन्स) का खून सही तरीके से बहता रहे, दिल की साइनस रिद्म बनी रहे और सुपीरियर वेना कावा में रक्त प्रवाह सुचारू रहे। यह प्रक्रिया लगभग तीन घंटे चली। ऑपरेशन के तुरंत बाद बच्चे को वेंटिलेटर से हटाया गया, रातभर आईसीयू में निगरानी रखी गई, और तीसरे दिन बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. प्रिया प्रधान, सीनियर कंसल्टेंट – पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल, मुंबई ने कहा, “इस मामले में 10 साल के बच्ची में साइनस वेनोसस एएसडी, एक दुर्लभ जन्मजात हृदय दोष था। आम तौर पर ऐसे मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत होती थी, लेकिन हमने इसे न्यूनतम चीरफाड़ (मिनिमली इनवेसिव) प्रक्रिया के जरिए सफलतापूर्वक बंद किया, जिससे सर्जरी के जोखिम और लंबे रिकवरी समय से बचा जा सका। बच्चे में फेफड़ों की नसों (पल्मोनरी वेन्स) के सामान्य प्रवाह को बनाए रखते हुए पूरी तरह दोष का इलाज करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।”
डॉ. जुबिन परेरा, फैसिलिटी डायरेक्टर, नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल, मुंबई ने कहा: “साइनस वेनोसस एएसडी स्टेंटिंग एक अत्यधिक उन्नत और दुर्लभ प्रक्रिया है। 2016 से अब तक दुनिया में केवल लगभग 381 मरीजों और 54 केंद्रों में ही यह की गई है। 10 साल के बच्ची में यह करना बेहद असामान्य है। इस सफल प्रक्रिया के बाद अब हम साइनस वेनोसस एएसडी स्टेंटिंग के लिए एक विशेष प्रोग्राम शुरू कर सकते हैं, जो महाराष्ट्र में बच्चों के लिए विश्वस्तरीय, कम से कम चीरफाड़ वाली हृदय देखभाल उपलब्ध कराएगा।”
यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया अस्पताल के बच्चों में जटिल जन्मजात हृदय दोषों के लिए एडवांस्ड पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजी उपचार और अत्याधुनिक, न्यूनतम इनवेसिव देखभाल प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।