जांच में दिल में छेद का पता चला, अपोलो ने 46 वर्षीय मरीज़ में मुंबई क्षेत्र का पहला एएसडी स्टेंटिंग किया
नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/- अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में मुंबई के, 46 वर्षीय मरीज़ पर साइनस वेनोसस एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) स्टेंटिंग सफलतापूर्वक की। मुंबई और नवी मुंबई में यह प्रक्रिया पहली बार की गयी। जन्मजात हृदय दोषों के इलाज में यह एक बड़ा कदम है, जिसने जटिल और गंभीर हृदय स्थितियों वाले मरीज़ों के लिए नई आशा प्रदान की।
नियमित जांच में निकला जीवन बदलने वाला निदान-मुंबई के पश्चिमी उपनगर के निवासी, 46 वर्षीय सुनील के हेल्थ चेकअप दौरान के, एक चौंकाने वाला निशान मिला। उनका ईसीजी असामान्य आया, इसलिए की गयी आगे की जांच में पार्शियल अनोमलुस पल्मोनरी वेनोसस कनेक्शन (पीएपीवीसी) के साथ एक बड़ा साइनस वेनोसस एट्रियल सेप्टल दोष (एएसडी) पाया गया दिल में छेद – यह एक दुर्लभ जन्मजात हृदय दोष जो वर्षों तक ध्यान में नहीं आया था। एएसडी के सभी मामलों में से केवल 5% साइनस वेनोसस एएसडी के होते हैं, 1,500 जीवित जन्मों में से 1 केस इसका होता है। श्री सुनील और उनके परिवार इस निदान ने चौंका दिया, लेकिन इसने अपोलो अस्पताल नवी मुंबई में उन्नत उपचार का मार्ग भी प्रशस्त किया।
सुनील (मरीज) ने कहा,”मैंने कभी नहीं सोचा था कि अप्रैल में एक रेगुलर हेल्थ चेकअप में ऐसी ज़िन्दगी बदल देने वाली समस्या सामने आएगी। जांच के दौरान, मेरे ह्रदय में कुछ असामान्यताएं पाई गईं, और आगे की जांच से पता चला कि मेरे ह्रदय में छेद है। एक डॉक्टर ने विशेषज्ञ डॉ. भूषण चव्हाण से सलाह लेने की सिफारिश की, और उन्होंने मुझे एएसडी स्टेंटिंग करवाने की सलाह दी। मेरी रिकवरी बहुत अच्छे से हुई, और अब मेरा स्वास्थ्य उनकी विशेषज्ञता का प्रमाण है। मैं पूरी तरह से ठीक हो गया हूँ, काम पर वापस आ गया हूँ, और बिना किसी दिक्कत के सामान्य जीवन जी रहा हूँ।”
कार्डियक देखभाल में क्रांति लाने वाला अभिनव इलाज-29 जुलाई को सुनील ने पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. भूषण चव्हाण की विशेषज्ञ देखभाल लेना शुरू किया। यह मिनिमल इन्वेसिव तकनीक है, जो अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में अत्याधुनिक कैथ लैब में हुई, इसमें जीओआरई-टैक्स पैच से ढके तारों से बने विशेष रूप से अनुकूलित 69 सेमी-लंबाई, 14 मिमी-व्यास वाले स्टेंट को लगाया गया। इस स्टेंट को हृदय के दाईं ओर से रक्त प्रवाह को बाईं ओर पुनर्निर्देशित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, यह स्टेंट ऑक्सीजन युक्त और ऑक्सीजन रहित रक्त के मिश्रण को प्रभावी ढंग से रोकता है – यह मिश्रण काफी ज़्यादा खतरनाक होता है, गंभीर जटिलताओं या यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है।
डॉ.भूषण चव्हाण, सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक कार्डिओलॉजी, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने बताया,”यह प्रक्रिया साइनस वेनोसस एएसडी के मरीज़ों के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता है। इसकी सफलता ने क्लिनिकल उत्कृष्टता के लिए हमारी प्रतिबद्धता को, साथ ही अभिनव, कम इन्वेसिव तकनीकों के साथ मरीज़ों को मिलने वाले परिणामों को बेहतर बनाने के लिए हमारे समर्पण को भी दर्शाया है। जीवन रक्षक समाधान प्रदान करना हमारा उद्देश्य है जो प्रत्येक मरीज़ के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। प्रक्रिया के तुरंत बाद मरीज़ को एक्सट्यूबेट किया गया और वह केवल दो दिनों के भीतर घर लौट गए। उन्होंने चार से पांच दिनों के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू कर दीं, उन्हें सिर्फ एक सरल एंटीकोएग्यूलेशन दवाई लेनी पड़ेगी।‘’