पालीतणा , दिव्यराष्ट्र/ प्रज्ञा पुरुष आचार्य श्री जिनकांतिसागरसूरीश्वरजी म.सा के शिष्य पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत युगदिवाकर, श्री गुणियाजी तीर्थ जिर्णोद्धार प्रेरक आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के माताजी महाराज साध्वी रत्ना माताजी महाराज
श्री रतनमालाश्रीजी म.सा. का 12-दिसंबर-24 को दोपहर बोलते-बोलते एकदम समाधि पूर्वक स्वर्गवास होगया। माताजी की भागवती दीक्षा पुत्र एवं पुत्री सहित पालीताणा कि जिनहरी विहार धर्मशाला के प्रांगण मैं संपन्न हुई थी और उसी भूमि पर साध्वीवर्या ने अपनी अन्तिम श्वास ली।
माताजी कि 84 वर्ष की उम्र एवं 52 वर्ष का दीक्षा पर्याय था ।
उन्होंने ने अपना संपूर्ण जीवन आराधना, तप, जप में व्यतीत किया था । आराधना साधना के साथ स्वाध्याय मैं ही वे हमेशा व्यस्त रहते थे। पूज्य गच्छाधिपति श्री के साथ सूरत में भव्य चातुर्मास संपन्न करने के बाद आपश्री की भावना थी कि मुझे एक बार गिरिराज की स्पर्शना करनी है और मौन ग्यारस को तलेटी के दर्शन किये एवं बारस के दिन अपने प्राणों का विसर्जन किया। स्वर्गवास होने पर सकल श्रीसंघ की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए 13 तारीख को अग्नि संस्कार किया गया। स्वर्गवास की संपूर्ण रात्रि नवकार महामंत्र की धून के साथ जाप हुआ ।
इस अवसर पर तपागच्छ के
गच्छाधिपति विजयनित्यानन्दसूरि , अचलगच्छ के गणिवर्य राजरत्नसागर .,तपागच्छीय मुनि जयभद्रविजयजी ., त्रिस्तुतिक सम्प्रदाय के मुनि चारित्ररत्नविजयजी ने आकर वासक्षेप किया।
माताजी रतनमालाश्री के अग्निसंस्कार के चढावों के लाभ प्राप्त करने वाले परिवार में
अग्निसंस्कार का लाभ – संघवी शांतिदेवी पुखराजजी तेजराजजी गुलेच्छा, मोकलसर, बेंगलोर को,
अन्तिम गुरुपूजन का लाभ – बाडमेर जैन श्री संघ, पर्वत पाटिया, सूरत को
,मुख्य कलश का लाभ – संघवी शांतिदेवी पुखराज तेजराज गुलेच्छा, मोकलसर, बेंगलोर को,
दूसरे कलश का लाभ – संघमाता इचरजबाई, चम्पालाल, विजयराज डोसी, खजवाना, बेंगलोर को एवं
•तीसरे कलश का लाभ – संघवी अशोककुमार मानमल भंसाली, गढ़ सिवाना, अहमदाबाद को
चौथे कलश का लाभ – गोदावरी देवी व्यापारीलाल, रतनलाल, हितेश हालावाले बाडमेर, अहमदाबाद को,
पाँचवे कलश का लाभ – मेहता पुखराज सुमेरमल तातेड, पादरू, अहमदाबाद।
प्रथम कन्धे का लाभ – संघमाता इचरजबाई चम्पालाल, विजयराजजी डोसी, खजवाना, बेंगलोर,
दूसरे कन्धे का लाभ – बाबुलाल गिरधारीलाल, महावीर मेहता, मोकलसर, बेंगलोर को
तीसरे कन्धे का लाभ – हिन्दूमल, हमीरमल, सुरेश लूनिया, धोरिमन्ना, चेन्नई, को
चौथे कन्धे का लाभ – भूरचन्द, बाबूलाल लूनिया, धोरिमन्ना, अहमदाबाद
गुलाल उडाने का लाभ – पुष्पा जैन पाली, मुम्बई
* दोणी का लाभ – कुशल-कान्ति खरतरगच्छ जैन संघ पाल-सूरत
•प्रथम दीवी का लाभ – संघवी पृथ्वीराज कुशलराज गुलेच्छा, मोकलसर, बेंगलोर
•दूसरी दीवी का लाभ – कमलादेवी हीराचंदजी बाफना, मोकलसर, सूरत
इसी के साथ जीवदया में आगंतुकों द्वारा लाभ लिया गया।
श्री जिन हरी विहार धर्मशाला में गुणानुवाद सभा आयोजित की गई l
श्रद्धांजलि सभा में गच्छाधिपतिश्री ने माताजी के प्रति भाव व्यक्त करते हुए कहा कि सोचा नहीं था की आज का दिन श्रद्धांजलि के लिए होगा। इसी के साथ में गणि श्री
मेहुलप्रभसागरजी म.सा ,मुनि समयप्रभसागरजी म.सा, मुनि मयुखप्रभसागरजी ने भी अपनी भावनाएं संवेदनाएं की । बहिन डॉ.
विद्युत्प्रभाश्री ने अपने भावों को व्यक्त करते हुए कहा की 60 वर्ष की स्मृतियों को कुछ मिनट में कुछ शब्दों में व्यक्त कर पाना अशक्य है। क्योंकि मेरी मां अभिमान मुक्त और अधिकार मुक्त थी यह दो गुण उसके जीवन के सबसे अनुठे व सबसे निराले थे
। साध्वी मुदितप्रज्ञाश्री , साध्वी डॉ. नीलांजनाश्री , साध्वी विश्वज्योतिश्री , साध्वी मुक्तांजनाश्री साध्वी प्रियश्रद्धांजनाश्री ने भी अपने-अपने भाव समर्पित करते किए