
धूम्रपान छोड़ने से लेकर वैक्सीनेशन तक सभी सेवाएँ एक ही स्थान पर
कोलकाता, दिव्यराष्ट्र/ विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर मणिपाल हॉस्पिटल्स कोलकाता ने धूम्रपान त्याग क्लिनिक और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन व वैक्सीनेशन क्लिनिक की औपचारिक शुरुआत की। इन नई सेवाओं के साथ अस्पताल की श्वसन–देखभाल सुविधाएँ और अधिक व्यापक तथा सशक्त बन गई हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध क्रिकेटर और प्रस्तुतकर्ता झूलन गोस्वामी उपस्थित रहीं। उनके साथ प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक गौतम घोष, फुटबॉल खिलाड़ी गौतम सरकार, सांसद सायनी घोष, विधायक सुजीत बसु और कई आईएएस–आईपीएस अधिकारी तथा खेल जगत के विशिष्ट व्यक्तित्वों की उपस्थिति ने फेफड़ों के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता अभियान को और अधिक प्रभावशाली बनाया।
नए धूम्रपान त्याग क्लिनिक में लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए व्यवस्थित काउंसलिंग, व्यवहारगत समर्थन, दवाइयों की सहायता और नियमित फॉलो–अप जैसी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। वहीं, पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन और वैक्सीनेशन क्लिनिक में मरीजों की शारीरिक स्थिति के अनुरूप विशेष रिहैबिलिटेशन योजनाएँ, श्वास–व्यायाम और वैज्ञानिक रूप से निर्धारित वैक्सीनेशन कार्यक्रम प्रदान किए जाएँगे। ये सुविधाएँ खास तौर पर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो फेफड़ों के संक्रमण या लंबे समय से चल रही श्वसन–समस्याओं के जोखिम में हैं। इन पहलों के माध्यम से मणिपाल हॉस्पिटल्स यह दिखाता है कि वह उपचार के साथ-साथ रोग–निवारण और मरीज–केंद्रित सेवाओं को भी उतना ही महत्व देता है।
कार्यक्रम की शुरुआत अस्पताल के विभिन्न यूनिटों के पल्मोनोलॉजी विशेषज्ञों द्वारा आयोजित एक खुली चर्चा से हुई। इसमें सीओपीडी के शुरुआती लक्षण, पर्यावरणीय कारण, समय पर पहचान, धूम्रपान छोड़ने की आवश्यकता और वैक्सीनेशन के महत्व पर सरल और स्पष्ट जानकारी दी गई। इस चर्चा ने आम लोगों को फेफड़ों की देखभाल के प्रति अधिक जागरूक और जिम्मेदार होने में मदद की।
क्लिनिकों के उद्घाटन के बाद वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्टों के साथ एक महत्वपूर्ण पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस चर्चा में बढ़ते सीओपीडी मामलों, धूम्रपान त्याग के व्यवहारगत और चिकित्सकीय पहलुओं तथा फेफड़ों के रोगों की रोकथाम में वैक्सीनेशन की बढ़ती आवश्यकता पर विस्तार से बात की गई। पैनल में डॉ. देवराज जाश, डॉ. सुरंजन मुखर्जी, डॉ. अर्णब बेरा, डॉ. मौमिता चटर्जी और डॉ. आयुष गोयल शामिल थे। डॉक्टरों ने सरल भाषा में बताया कि उचित समय पर काउंसलिंग, नियमित देखभाल और वैक्सीनेशन के माध्यम से फेफड़ों के रोगों को काफी हद तक नियंत्रित और रोका जा सकता है।
चर्चा के दौरान डॉ. मौमिता चटर्जी, कंसल्टेंट – पल्मोनोलॉजी ने कहा कि भारत में दुनिया के लगभग 12 प्रतिशत धूम्रपान करने वाले लोग रहते हैं और हर साल धूम्रपान से 10 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है। धूम्रपान सीओपीडी का सबसे बड़ा कारण है और देश में 5 करोड़ 50 लाख से अधिक लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। उन्होंने बताया कि सही काउंसलिंग और चिकित्सकीय सहायता से धूम्रपान छोड़ने में सफलता की संभावना कई गुना बढ़ जाती है और बीमारी की प्रगति धीमी हो जाती है। नई पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन और वैक्सीनेशन सेवाओं के जुड़ने से मरीजों को अब और अधिक संपूर्ण देखभाल मिल सकेगी, जिससे उनकी फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कम करने और जीवन–गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी।
डॉ. आयुष गोयल, कंसल्टेंट – पल्मोनोलॉजी,ने कहा कि कई बार फेफड़ों की बीमारियों का पता तभी चलता है जब लक्षण बहुत बढ़ जाते हैं, इसलिए रोकथाम बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि इन्फ्लुएंजा और न्यूमोकोकल वैक्सीन बुजुर्गों, धूम्रपान करने वालों, फेफड़ों की पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। दमा, धूम्रपान की आदत या बार–बार संक्रमण होने वाले युवाओं को भी ये वैक्सीन दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
अंत में, डॉ. अयनव देवगुप्ता, रीजनल सीओओ (ईस्ट), मणिपाल हॉस्पिटल्स ने कहा कि सीओपीडी भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है और आईसीएमआर के अनुसार देश में होने वाली कुल मौतों में से लगभग 10 प्रतिशत के लिए यह रोग जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि इन नई सेवाओं के माध्यम से मरीजों को शुरुआती मार्गदर्शन, सही सलाह और एक ही स्थान पर व्यापक उपचार उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे फेफड़ों की बीमारियों का प्रबंधन और भी बेहतर हो सकेगा।
इन नई पल्मोनरी सेवाओं की शुरुआत के साथ मणिपाल हॉस्पिटल्स कोलकाता ने वैज्ञानिक, रोकथाम–आधारित और मरीज–केंद्रित श्वसन–चिकित्सा को एक नई दिशा दी है। धूम्रपान त्याग, रिहैबिलिटेशन और वैक्सीनेशन — इन तीन महत्वपूर्ण सेवाओं के एक साथ उपलब्ध होने से मरीजों को अब अधिक प्रभावी, संपूर्ण और दीर्घकालिक फेफड़ों की देखभाल मिल सकेगी।





