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स्वस्थ आंत से जीवन शैली को कारगर बनाए

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नई दिल्ली,, दिव्यराष्ट्र/ स्वस्थ आंत के लिए सुबह के पोषण से अपने पाचन तंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है निदेशक, अनुसंधान एवं विकास, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया बाजार, डॉ श्याम राम कृष्णन का कहना है कि एमवे
स्वास्थ्य से जुड़े नए-नए ट्रेंड आते और जाते रहते हैं, लेकिन एक सत्य अटल रहता है कि स्वस्थ आंत ही समग्र स्वास्थ्य का मूल आधार है। आंत को स्वस्थ बनाना कोई जटिल कार्य नहीं है; यह फैशनेबल दिखावटी आहार या पेचीदा रूटीन पर निर्भर नहीं करता, बल्कि आपकी सुबह की साधारण आदतों पर टिका होता है। शरीर के लिए जरुरी प्रमुख पोषक तत्वों- प्रोटीन, प्रोबायोटिक्स और फाइबर पर ध्यान देकर आप अपनी सुबह को सबसे प्रभावी आंत-चिकित्सा अनुष्ठान में बदल सकते हैं।
डॉ. श्याम रामकृष्णन, निदेशक, अनुसंधान एवं विकास, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया बाजार, एमवे के अनुसार आपकी सुबह की आदतें आपके लिए दिन भर की ऊर्जा और मानसिक स्थिति को निर्धारित करती हैं। आंत के स्वास्थ्य के लिए, खासतौर पर दिन का पहला भोजन बेहद महत्वपूर्ण होता है। संतुलित नाश्ता, जिसमें प्रोटीन, प्रोबायोटिक्स और फाइबर शामिल हों, न सिर्फ पाचन प्रक्रिया और चयापचय को प्रारंभ करता है, बल्कि शरीर के अंदरूनी वातावरण को पूरे दिन भर आंत के लिए अनुकूल बनाए रखता है।
प्रोटीन से शुरुआत करें: प्रोटीन समग्र आंत-स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य हैं। यह आंत के ऊतकों को बनाए रखने और मरम्मत में मदद करती हैं, अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देता है और आंत की दीवार को मजबूत करती हैं। दाल, मेवे और बीज जैसे पौध-आधारित (प्लांट बेस्ड) प्रोटीन, ऐसे सभी आवश्यक अमीनो एसिड प्रदान कर सकते हैं, जो आंत को संपूर्ण पोषण देते हैं और दिनभर ऊर्जा प्रदान करते हैं।
प्रोबायोटिक्स का सेवन आंत के लिए अत्यंत लाभकारी है: अपने नाश्ते में दही, किण्वित सब्जियाँ या पारंपरिक भारतीय किण्वित व्यंजन के रूप में कुछ प्रोबायोटिक्स शामिल करें। ये मित्र बैक्टीरिया की आपूर्ति करते हैं, जो आंत में स्वस्थ बैक्टीरिया के कॉलोनाइजेशन को बढ़ावा देते हैं। प्रोबायोटिक्स न सिर्फ आंत में बैक्टीरिया की आबादी को संतुलित करते हैं, बल्कि अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों के लिए बाधा के रूप में काम करने की आंत की कार्यप्रणाली को मजबूत करके प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को भी सशक्त बनाते हैं। हर सुबह इन आंत-अनुकूल बैक्टीरिया को अपने आहार में शामिल करना पाचन स्वास्थ्य में क्रांतिकारी सुधार ला सकता है।
फाइबर आंत का सबसे अच्छा साथी: फाइबर स्वास्थ्यवर्धक पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है। यह प्रीबायोटिक का कार्य करता है, जो आंत में अच्छे बैक्टीरिया के लिए पोषण का स्रोत होता है। घुलनशील फाइबर पानी में घुल जाता है और रक्त शर्करा तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है, जबकि अघुलनशील फाइबर मल को समुचित ठोस मात्रा और भारीपन देता है, जिससे पाचन प्रक्रिया सुचारू रहती है। फाइबर युक्त नाश्ता न सिर्फ आंत की कार्यक्षमता सुधारता है, बल्कि सुबह के घंटो के दौरान भूख नियंत्रण और ऊर्जा स्तर बनाए रखने में भी सहायक होता है।
सुबह की दिनचर्या में जल का सेवन बेहद महत्वपूर्ण है। जागने के तुरंत बाद गुनगुना पानी पीना पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और पेरिस्टाल्सिस (खाद्य पदार्थ को पाचन मार्ग में नीचे ले जाने वाली तरंग जैसी संकुचन प्रक्रिया) को बढ़ावा देता है। पानी में नींबू का रस मिलाना इसकी डिटॉक्सिंग क्षमता को और बढ़ाता है, जिससे आंत की सफाई होती है और दिनभर के लिए पाचन तंत्र तैयार हो जाता है।
अब हम कह सकते हैं कि, आंत का स्वस्थ रहना सिर्फ इस पर निर्भर नहीं करता कि आप क्या खाते हैं, बल्कि यह भी महत्वपूर्ण है कि आप कैसे खाते हैं। इसलिए नाश्ते के लिए समय निकालें, और बिना किसी व्यवधान के धीरे-धीरे खाएँ। हर निवाले को अच्छी तरह चबाएँ, ताकि पाचन और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर तरीके से हो। सचेत रहते हुए, यानि मन लगाकर भोजन करने से आंत के स्वास्थ्य को अधिकतम लाभ मिलता है।
सुबह की ये आदतें सिर्फ एक दिनचर्या नहीं हैं, बल्कि स्वस्थ और संतुलित जीवन का आधार हैं। जब आप हर सुबह प्रोटीन, प्रोबायोटिक्स, फाइबर और हाइड्रेटिंग पेय पदार्थों से अपने शरीर को पोषण देते हैं, तो आप अपनी आंत को ऐसे आवश्यक उपकरण प्रदान करते हैं, जिससे वह अपने सर्वोत्तम स्तर पर कार्य कर सके। इन सरल लेकिन प्रभावशाली आदतों से न सिर्फ आंत के स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि इनके असर से दिन भर आपकी मनोदशा (मूड) ठीक रहती है, ऊर्जा स्तर अच्छा रहता है और मानसिक शांति बनी रहती है।
निरंतरता के साथ इन आदतों को अपनाना सिर्फ आंत को स्वस्थ नहीं करता, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाता है। आंत का स्वास्थ्य और समग्र स्वास्थ्य इतने गहराई से जुड़े हुए हैं कि इन आदतों का प्रभाव प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) से लेकर, मानसिक स्पष्टता पर भी पड़ता है। इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप सिर्फ आंत को ही पोषण नहीं देते हैं, बल्कि स्वयं को खुशहाल और स्वस्थ बनाकर अपने जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में निवेश भी करते हैं। इन्हें अपनाएँ और स्वयं अनुभव करें कि कैसे ये दिन-प्रतिदिन आपके शरीर और मन का कायाकल्प कर सकती हैं।

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