Home समाज श्री कृष्ण के जीवन चरित्र से नाटक में दी मानव जीवन को...

श्री कृष्ण के जीवन चरित्र से नाटक में दी मानव जीवन को सफल करने की सीख

0

मंच पर साकार हुआ कृष्ण का योगेश्वर स्वरूप
पावन चिंतन धारा आश्रम की ओर से अद्भुत नाट्य प्रस्तुति का आयोजन

जयपुर: दिव्यराष्ट्र/ राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में शनिवार को पावन चिंतन धारा आश्रम के सांस्कृतिक प्रकल्प परिवर्तन की ओर से नाट्य प्रस्तुति कृष्ण का आयोजन किया गया। आश्रम के कलाकारों ने नाटक का मंचन किया। श्री कृष्ण जिन्हें हम भगवान मानते हैं, उन्हे दिन रात भजते भी हैं, परंतु क्या हम भगवान कृष्ण के सही स्वरूप को जानते हैं? क्या हम उनके द्वारा दी गई शिक्षा को समझते हैं? इन सवालों से प्रेरणा लेकर कलाकारों ने डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ के मार्गदर्शन में यह नाटक तैयार किया। दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, लखनऊ और अमृतसर में सफल आयोजन के बाद राजस्थान में पहली बार इस नाटक का मंचन हुआ। दर्शकों ने न सिर्फ श्री कृष्ण के योगेश्वर स्वरूप से साक्षात्कार किया बल्कि मानव जीवन की सफलता का मंत्र भी आत्मसात किए।इस दौरान दर्शकों को भारतीय ज्ञान शोध संस्थान की निदेशिका एवं आदरणीय गुरु माँ डॉ. कविता अस्थाना का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

नाटक अन्याय से त्रस्त, अधर्म को देख धर्म से विमुख होते और भगवान से शिकायत रखने वाले आधुनिक युवाओं की जिज्ञासाओं से शुरू होता है। ऐसे युवा ‘श्री नारद मुनि जी’ के मार्गदर्शन में भगवान श्री कृष्ण से संसार के कल्याण के लिए प्रश्न करते हैं। कर्म क्या है, अन्याय क्यों होता है? मनुष्य को कष्ट क्यों होता है? क्या भगवान को भी कष्ट सहना पड़ा? विद्यार्थी कैसे मन को एकाग्र करें? इन सभी सवालों का हल दर्शकों को नाटक में मिलता है। स्वयं कृष्ण भगवान की योगेश्वर छवि मंच पर साकार होती है। बताया जाता है कि कृष्ण की लीलाओं का बखान किया जाता है लेकिन स्वयं कृष्ण को कितने दुख उठाने पड़े और जो संघर्ष उन्होंने किया उसके विषय में बात नहीं की जाती है। श्री कृष्ण ने नाटक में दर्शाया कि मनुष्य अपने कर्मों की पूर्ति के लिए इस संसार में आता है। मनुष्य को सद्मार्ग पर चलकर इन कर्मों की पूर्ति करनी चाहिए। मनुष्य में स्वयं ईश्वर का लघु रूप है इसलिए जब तक वह ईश्वर में आस्था रखेगा और बुरे कर्मों से दूर रहेगा उसे प्रभु यानी कृष्ण की कृपा प्राप्त होती रहेगी। नाटक के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि आत्मा अजर अमर है जो लिबास की तरह शरीर को बदलती है। कृष्ण निराकार भी है और साकार भी जिनका सर्वशक्तिशाली अस्तित्व हर युग में रहा है और रहेगा।

नाटक में अभिषेक शर्मा ने कृष्ण, श्रेयांश त्रिपाठी ने बलराम, देवव्रत शर्मा ने नारद, प्रेशा रावत ने वृद्ध महिला का किरदार निभाया। वहीं अन्वी राणा और सुहानी प्रताप सिंह ने जिज्ञासु युवा का किरदार निभाया। बच्चों और युवाओं के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक एवं चारित्रिक विकास के लिए समर्पित संस्थान पावन चिंतन धारा आश्रम का एक सांस्कृतिक प्रकल्प ‘परिवर्तन’, जिसका उद्देश्य नाटक, नृत्य, संगीत आदि के माध्यम से संस्कृति के सही स्वरूप को जनमानस तक पहुँचाना है। जिसके संस्थापक स्वयं डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ हैं।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version