Home समाज आदिवासी रंजीता की चॉइस को जयपुर ने किया पूरा

आदिवासी रंजीता की चॉइस को जयपुर ने किया पूरा

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जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ छत्तीसगढ़ की 19 वर्षीया आदिवासी युवती रंजीता वासम के पिता चंदु वासम की नक्सलियों ने पंद्रह वर्ष पूर्व बेरहमी से हत्या कर दी थी. रंजीता की माता गौरी के लिए दो छोटे छोटे बच्चों का लालन-पालन करना चुनौतीपूर्ण हो गया. बड़ा बच्चा पढ़ाई छोडकर बाल श्रमिक बन गया और बिजली वायरिंग के काम में लग गया. लेकिन परिवार के अच्छे दिन लौट नहीं पाए. परिवार अभी भी संघर्ष में है.

रंजीता ने 12 वीं तक कि पढ़ाई की है. वह स्वयं आगे बढ़ना चाहती है, पढ़ना चाहती है और अपने छोटे भाई को भी आगे पढ़ाने का अरमान रखती है. वो अपने इलाके में कम्पुटर चॉइस सेंटर खोलने का सपना संजोए थी लेकिन उसके लिए उसके पास पैसा नहीं था.

गृह मंत्रालय के सौजन्य से
नेहरू युवा केंद्र द्वारा हाल ही में आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का आयोजन जयपुर में किया गया. इसी कार्यक्रम में रंजीता को जयपुर आने का अवसर मिला.इस कार्यक्रम में आदिवासी युवाओं को भगवान
महावीर विकलांग सहायता समिति की विजिट एवं इसके संस्थापक पद्मविभूषण डी आर मेहता से संवाद करने का मौका मिला. संवाद पांच ऐसे युवाओं से भी हुआ जिसमें उनके परिवार में उनके पिता, भाई,चाचा की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. इसमें रंजीता के परिवार की स्थिति ज्यादा चुनौतीपूर्ण थी.
संवाद में रंजीता ने बताया कि उसकी चॉइस अपने इलाके में कंप्युटर का चॉइस सेंटर शुरू करने का है ताकि अपनी पढ़ाई जारी रख सके और अपने छोटे भाई को भी पढ़ा सके. कैरियर बना सके.

मेहता ने भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति और प्राकृत भारती की ओर से रंजीता को उसकी चॉइस को पूरा करने के लिए कंप्युटर सेट, लेमिनेशन मशीन उपहार में देना तय किया.

नेहरू युवा केंद्र संगठन के क्षेत्रीय निदेशक डॉ भुवनेश जैन के अनुसार नेहरू युवा केंद्र छत्तीसगढ़ के राज्य निदेशक अतुल निकम,जिला युवा अधिकारी,दांतेवाड़ा शिवम,जिला युवा अधिकारी जगदलपुर अंजलि ने समिति की ओर से कंप्युटर सेट रंजीता को उपहार में आज प्रदान कर दिया है. रंजीता ने मेहता को फोन कर खुशी जाहिर की. मेहता ने शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया. क्षेत्रीय निदेशक डॉ जैन एवं राज्य निदेशक किशन लाल पारचा ने भी रंजीता को बधाई दी.

जयपुर फुट निःशुल्क लगाने वाली भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति ने रंजीता को कंप्युटर सेट के रूप मे पांव दिए है जिससे वह अपने पाँवों पर खड़ी हो पाए. रंजीता को भरोसा है कि उनके परिवार के अच्छे दिन अब आने वाले है. रंजीता ने जयपुर को धन्यवाद कहा है।

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