
दिव्यराष्ट्र के लिए सुनील कुमार चाष्टा सलूम्बर
साक्षरता दिवस प्रतिवर्ष 8 सितम्बर को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य शिक्षा के अधिकार और साक्षरता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन व्यक्तियों, समुदायों और वैश्विक स्तर पर सतत विकास और मानवाधिकारों के लिए साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालता है
अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की थीम डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना।
8 सितम्बर 1966 में यूनेस्को ने अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस घोषित किया था।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की महत्ता के अन्तर्गत साक्षरता एक मौलिक मानव अधिकार है जो अन्य अधिकारों तक पहुँच प्रदान करता है।
यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सतत समाजों के निर्माण के लिए आवश्यक है।
यह दिवस सरकारों, समुदायों और आम जनता को साक्षरता के महत्व के बारे में जागरूक करने और व्यक्तिगत सशक्तिकरण व सामाजिक समानता को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
इस दिन साक्षरता के क्षेत्र में प्रगति का आकलन किया जाता है और उन चुनौतियों पर भी विचार किया जाता है जिनका सामना दुनिया भर में लोग करते हैं।
समाज में साक्षरता का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से यह दिवस भारत में बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
भारत का सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मिल, प्रौढ़ शिक्षा इस दिशा में सराहनीय कदम हैं।
भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 में राष्ट्रीय साक्षरता अभियान”शुरू किया गया था।
इसका उद्देश्य निरक्षरता को समाप्त करना और प्रौढ़ शिक्षा को कार्यात्मक साक्षरता और आजीवन शिक्षा प्रदान करना था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रौढ़ शिक्षा और आजीवन सीखने की सिफारिशें शामिल हैं।
सरकार ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ और 2021-22 की बजट घोषणाओं के अनुरूप वयस्क शिक्षा के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए वित्त वर्ष 2022-2027 की अवधि के लिए न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम को मंजूरी दी है।
इसका उद्देश्य न केवल आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान करना है, बल्कि 21वीं सदी के नागरिक के लिए आवश्यक अन्य घटकों को भी शामिल करना है, जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल (वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता सहित, शिशु देखभाल तथा शिक्षा एवं परिवार कल्याण
व्यावसायिक कौशल विकास बुनियादी शिक्षा
सतत शिक्षा (कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल और मनोरंजन में समग्र प्रौढ़ शिक्षा पाठ्यक्रम।
।भारत, यूनेस्को द्वारा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस को देश भर में साक्षरता और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मनाता है। यह दिन भारत में निरक्षरता को दूर करने, गरीबी से लड़ने और नागरिकों के लिए बेहतर आजीविका व जीवन स्तर सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
साक्षरता व्यक्तिगत गरिमा, आत्म-मूल्य और सामाजिक समानता की नींव रखती है, जो एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में मदद करती है।
साक्षर और शिक्षित नागरिक देश की प्रगति में योगदान करते हैं, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
इस दिन भारत में साक्षरता दर में सुधार की आवश्यकता और स्कूलों की कमी, गरीबी, और जागरूकता की कमी जैसी बाधाओं को दूर करने के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है।