नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र/ भारत के उद्यमियों की क्षमता पर भरोसा करना और जमीन के नीचे मौजूद भारत के विशाल संसाधनों से मूल्य निकालना, विकसित भारत की कुंजी है। अनिल अग्रवाल ने कहा, “यह हमारे लिए उद्यमियों की एक नई पीढ़ी को सामने लाने का समय है। साहसी दूरदर्शी जो जिम्मेदारी से संसाधनों की खोज और दोहन करेंगे, धरती माता का सम्मान करेंगे और भारत के विकास को बढ़ावा देंगे। अगर हम अभी यह नहीं करते हैं, तो हम अपने भविष्य को सुरक्षित करने और दुनिया में संसाधन लीडर के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने के इस सुनहरे अवसर को खोने का जोखिम उठाते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों में अपार संभावनाओं के बारे में अग्रवाल ने कहा, “धरती के नीचे अपार संपदा है। भारत के पास दुनिया का सबसे बेहतरीन भूविज्ञान है, लेकिन हमारा 60% आयात तेल और गैस, सोना, तांबा, हीरे जैसे प्राकृतिक संसाधनों के कारण होता है। सभी राष्ट्र जो समृद्ध हुए हैं, वे अपने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के कारण ही समृद्ध हुए हैं, चाहे वे अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या मध्य पूर्व के देश हों। भारत को बस रिसर्च करने की जरूरत है।” भारत में तेल और गैस के साथ-साथ बॉक्साइट, कोयला, लौह अयस्क, तांबा और दुर्लभ मृदा जैसे खनिजों का प्रचुर भंडार है। अग्रवाल ने वैश्विक अनिश्चितता के बीच भी भारत की संभावनाओं के बारे में आशा व्यक्त की।