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वन विभाग और एनसीआईएस की कार्यशाला

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अरावली पर्वत माला के संरक्षण पर गुलाबी नगर में चिंतन

जयपुर, दिव्यराष्ट्र/राजस्थान वन विभाग और द नेचर कंजरवेंसी इन इंडिया (एनसीआईएस) द्वारा जयपुर मेमंगलवार से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य अरावली पर्वतमाला के संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा करना रहा। कार्यशाला में विभिन्न संरक्षण संगठनों, सरकारी विभागों और संबंधित हितधारकों ने भाग लिया।

कार्यशाला में अरावली संरक्षण के लिए एक समग्र रणनीति और हस्तक्षेप योजना तैयार करने पर ज़ोर दिया गया, जिससे जैव विविधता और स्थानीय समुदायों दोनों को लाभ मिल सके।

प्रमुख वक्ता व भागीदारों में शामिल रहे*
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डॉ. अंजलि अचायरा, एमडी टीएनसी इन इंडिया (एनसीआईएस) ने कहा,
“अरावली ग्रीन वॉल प्रोग्राम प्रकृति संरक्षण के लिए एक सहयोगात्मक पहल है, जिसे एमओईएफसीसी और राज्य सरकारों के सहयोग से चलाया जा रहा है। यह कार्यक्रम परिदृश्य-आधारित पुनर्स्थापन, जैव विविधता संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा, ताजे जल संरक्षण और समुदाय-केंद्रित समाधान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।”

अरिजीत बनर्जी पीसीसीएफ एच ओ एफएफ , राजस्थान ने कहा,
“अरावली की भौगोलिक रचना अद्वितीय है और इसमें कई विशिष्ट प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसके संरक्षण के लिए ऊर्जा, जल संरक्षण और भूमि क्षरण जैसे बहुआयामी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ठोस क्रियान्वयन की आवश्यकता है।”

डॉ. अनुराग भारद्वाज, पी सी सी एफ , डब्ल्यू एफएंड एफ एस और एनसीआईएस, आई टी ने कहा,
“हमारा लक्ष्य है – मिट्टी की उर्वरता, जल उपलब्धता और जलवायु लचीलापन को बढ़ाना, जिससे स्थानीय समुदायों को पारिस्थितिकीय सेवाएं और आजीविका के अवसर मिल सकें।”

डॉ. सुदीप्त चटर्जी, निदेशक कार्यक्रम, एनसीआईएस ने कहा,
“अरावली भारत की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक है, जो गुजरात से लेकर दिल्ली तक फैली है। 692 किमी लंबी यह श्रृंखला पारिस्थितिकीय और सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारा ध्यान राजस्थान पर केंद्रित है, जहां अरावली का 80% भाग स्थित है।”

अरावली ग्रीन वॉल परियोजना को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य है – थार रेगिस्तान के विस्तार और मरुस्थलीकरण को रोकना, वनीकरण, जल स्रोत पुनर्स्थापन, और पारिस्थितिकी संतुलन को पुनर्जीवित करना।

मुख्य चुनौतियाँ*

खनन, शहरीकरण और परियोजनाओं से पारिस्थितिक विखंडन

जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की हानि

आक्रामक प्रजातियों का प्रसार

संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क से बाहर की जैव विविधता का संकट

कार्यशाला के उद्देश्य*

वन विभाग, अन्य एजेंसियों और हितधारकों को एक मंच पर लाना

नीति चर्चा और सिफारिशों के माध्यम से संरक्षण योजनाओं को मजबूत बनाना

एमओईएफसीसी द्वारा परिकल्पित अरावली ग्रीन वॉल परियोजना की दिशा में विचार-विमर्श और आगे की रणनीति बनाना

अपेक्षित परिणाम*

प्रमुख हितधारकों के बीच सहयोग की संरचना तैयार करना

साझा रणनीतियाँ बनाना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना*

राजस्थान में ग्रीन वॉल परियोजना की प्रभावी क्रियान्वयन के लिए चुनौतियों की बेहतर समझ

द नेचर कंजरवेंसी (टीएनसी) एक वैश्विक पर्यावरणीय गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1951 में हुई थी। भारत में दा नेचर कंजरवेंसी इंडिया सोल्यूशन (एनसीआईएस) देश की पारिस्थितिकीय विविधता को सुरक्षित रखते हुए सतत विकास के मार्ग पर कार्य करता है।

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