• यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज़ (ईएएसडी) ने वैश्विक स्तर पर जीवन बदलने वाले कार्य के लिए भारतीय डायबिटीज़ विशेषज्ञ को किया सम्मानित
नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र/: भारत के प्रसिद्ध डायबिटोलॉजिस्ट और डॉ. मोहन्स डायबिटीज़ स्पेशियलिटीज़ सेंटर व मद्रास डायबिटीज़ रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. वी. मोहन को यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज़ (ईएएसडी) द्वारा प्रतिष्ठित ईएएसडी डायबिटीज़ ग्लोबल इम्पैक्ट प्राइज़ 2025 से सम्मानित किया गया है।
यह पुरस्कार पाने वाले वे पहले व्यक्ति हैं।
यह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान, जो पहली बार प्रदान किया जा रहा है, डॉ. वी. मोहन के क्लीनिकल और ट्रांसलेशनल डायबिटीज़ रिसर्च में दशकों लंबे योगदान को मान्यता देता है। उनके कार्यों ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस पुरस्कार को औपचारिक रूप से सितंबर 2025 में ऑस्ट्रिया के विएना शहर में आयोजित होने वाली EASD की 61वीं वार्षिक बैठक के दौरान प्रदान किया जाएगा, जहां डॉ. मोहन पहला डायबिटीज़ ग्लोबल प्राइज़ लेक्चर भी देंगे।
पुरस्कार समिति का सर्वसम्मत फैसला डॉ. वी. मोहन के काम के व्यापक असर को दर्शाता है। उनका योगदान न सिर्फ रिसर्च के क्षेत्र में अहम रहा है, बल्कि उन्होंने गांव-गांव तक जागरूकता फैलाने, डायबिटीज़ से जुड़ी स्वास्थ्य नीतियों को मजबूती देने और नई पीढ़ी के डॉक्टरों को तैयार करने में भी बड़ी भूमिका निभाई है।
पुरस्कार मिलने पर डॉ. मोहन्स डायबिटीज़ स्पेशियलिटीज़ सेंटर एवं मद्रास डायबिटीज़ रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. वी. मोहन ने कहा: “ईएएसडी डायबिटीज़ ग्लोबल इम्पैक्ट प्राइज़ 2025 का पहला सम्मान पाकर मैं बहुत आभारी हूं। मैं यह पुरस्कार अपने परिवार और मेरी टीम को समर्पित करता हूं, जिनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता हमें भारत जैसे देश में, जहां डायबिटीज़ एक बड़ी चुनौती है, रिसर्च और बेहतर इलाज की दिशा में काम जारी रखने की प्रेरणा देती है। हम विज्ञान और संवेदनशील देखभाल के माध्यम से मिलकर दुनिया भर में डायबिटीज़ से जूझ रहे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।”
डॉ. वी. मोहन ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में डायबिटीज़ रिसर्च की दुनिया में कदम रखा था। आज उनके नाम पर 1,780 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हैं, जिन्हें दुनियाभर में 2.32 लाख से ज़्यादा बार दूसरे वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता अपने रिसर्च में स्रोत के तौर पर इस्तेमाल कर चुके हैं। उनका एच-इंडेक्स 167 है—जो किसी भी भारतीय डॉक्टर के लिए अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। उन्होंने एक निजी केंद्र से काम करते हुए भी डायबिटीज़ देखभाल के क्षेत्र में कई नई बुलंदियां हासिल की हैं और इस क्षेत्र में गुणवत्ता की नई मिसालें कायम की हैं।
अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के अलावा, डॉ. वी. मोहन ने हज़ारों डॉक्टरों, न्यूट्रिशनिस्ट्स और डायबिटीज़ एजुकेटर्स को प्रशिक्षित कर देश के दूर-दराज़ क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण डायबिटीज़ देखभाल पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है। वे एक सम्मानित लेखक और जनस्वास्थ्य के सक्रिय समर्थक भी हैं। वह विज्ञान को आम लोगों की ज़िंदगी से जोड़ने और उसे आसान व उपयोगी बनाने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं।
ईएएसडी द्वारा दिया गया यह ऐतिहासिक सम्मान न केवल डायबिटोलॉजी के क्षेत्र में डॉ. मोहन की अग्रणी भूमिका की पुष्टि करता है, बल्कि वैश्विक मेडिकल रिसर्च और हेल्थकेयर इनोवेशन में भारत की बढ़ती उपस्थिति पर भी रौशनी डालता है।