भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के समाधान को समर्पित दो दिवसीय प्रतियोगिता
— अस्पतालों में हिंसा रोकने के लिए ए I-पावर्ड सुरक्षा सिस्टम, बुजुर्गों के लिए स्मार्ट मेडिसिन डिस्पेंसर जैसे प्रॉब्लम स्टेटमेंट पर दिए सॉल्यूशन
जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय राष्ट्रीय हेल्थकेयर हैकाथॉन’25 का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जो भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों के समाधान को समर्पित है। इस हैकाथॉन में 25 प्रॉब्लम स्टेटमेंट्स पर ध्यान दिया जाएगा जो शहर के विभिन्न हस्पताल से ली गई है। हैकाथॉन का लक्ष्य मेडिकल क्षेत्र में इनोवेशन तथा ए आई को बढावा देना और रोगियों के वास्तविक जीवन की समस्याओं का हल प्रदान करना है जिससे नई तकनीकों, उत्पादों या सेवाओं का विकास हो सके।
इस प्रतियोगिता में डॉ. पूर्वीश एम. पारीक (महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के क्लिनिकल हेमेटोलॉजी हेड और प्रोफेसर) एवं डॉ. अब्दुल गफूर (सीनियर कंसलटेंट एंड एडजंक्ट प्रोफ़ेसर इन इंफेक्शंस डिजीजेज, अपोलो हॉस्पिटल्स, चेन्नई) मुख्य अतिथि रहे। इन्हीं के साथ एडवाइजरी बोर्ड में 25 अलग–अलग अस्पताल के दिग्गज डॉक्टर्स शामिल रहें जिनमें कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल हैदराबाद, अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई, एम्स नई दिल्ली के वरिष्ठ डॉक्टर, सैन फ्रांसिस्को और न्यू जर्सी के सफल एंटरप्रेन्योर्स और रूस के प्रोफेसर ने अपनी सहमति प्रदान की है। हैकाथॉन के दौरान मूल्यांकन 10 जूरी सदस्यों द्वारा किया जाएगा जो ईएचसीसी, एपेक्स हॉस्पिटल, फोर्टिस हॉस्पिटल, मणिपाल हॉस्पिटल, सीके बिड़ला हॉस्पिटल आदि अस्पतालों से है जिनका कैडर एनएबीएच एसेसर से लेकर ग्रुप हेड मेडिकल ऑपरेशंस, डर्मेटोलॉजिस्ट, मैक्सिलोफेशल सर्जन और सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट तक है।
पहली बार, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी मेडिकल साइंस के छात्र एक साथ टीम बनाकर 36 घंटे तक लगातार चिकित्सा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं के निष्कर्ष पर काम करेंगे। इस प्रतियोगिता में विजेताओं को 2 लाख तक के नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।
इसी दौरान मुख्य अतिथि डॉ. पूर्वीश एम. पारीक ने कहा कि “एआई ने बिना आभास दिए हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है”, जैसे ‘मेमोरीज टुगेदर’ में तस्वीरें टेक्नोलॉजी से अपने आप कोलाज बना देती है। उन्होंने एक प्रेजेंटेशन द्वारा हेल्थकेयर में लागू हुई नई तकनीकों के बारे में बताया जिसमें पता चला कि कैसे इनोवेशन और टेक्नोलोजी के माध्यम से कैंसर रोगी की भी लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ रही है और आज के दौर में मानव शरीर के 62% अंग आर्टिफिशियल बनाए जा सकते है। उन्होंने दा विनसी, मॉलिक्युलर टेस्टिंग, प्रोटोटाइप रोबोसर्जन आदि जैसी तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी।
डॉ. अब्दुल गफूर ने अपने संबोधन में कहा कि परिवर्तन के लिए इनोवेशन बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में नीतियों, तकनीक और इनोवेशन की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि एंटीबायोटिक्स के बढ़ते उपयोग को कम करने के लिए वैकल्पिक समाधान और नई डायग्नोस्टिक तकनीकों का विकास जरूरी है। उन्होंने इनोवेटिव एंटरप्रेन्योरशिप को स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव का माध्यम बताते हुए कहा कि डॉक्टरों को स्टार्टअप्स में टीम का सक्रिय हिस्सा बनाया जाना चाहिए, न कि केवल सलाहकार के रूप में रखा जाए।
जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर विक्टर गंभीर ने बताया कि इस समारोह में एसएमएस, एनआईएमएस, ईएचसीसी, केईएम हॉस्पिटल मुंबई जैसे संस्थानों के 150 से ज्यादा छात्र-टीमों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा, एनएबीएच असैसर्स और पुल्मोनोलॉजी के विशेषज्ञ भी शामिल हुए, जो इस आयोजन की सफलता का प्रमाण है।
अर्पित अग्रवाल (वाइस चेयरपर्सन, जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी) ने स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और कुशल दिमागों का सम्मेलन होने की महत्त्वपूर्णता बताई। उन्होंने (नेशनल हेल्थकेयर हैकाथॉन) में 150 से ज्यादा टीमों में से 70 से ज्यादा टीमों को चुने जाने की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में 100 मिलियन लोग स्वास्थ्य सेवा से जुड़ेंगे, और ए आई के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा पर 2000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जो 2030 तक बढ़कर 15000 करोड़ रुपये हो सकते हैं और इस तरह की प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों समेत मेडिकल में आने वाली बड़ी समस्याओं का हल निकालने में मदद करेगी |