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कॉपर वाइंडिंग तकनीक ज्यादा बेहतर

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गर्मियों में तापमान बढ़ने के साथ एक बार फिर से छत वाले पंखे कूंलिंग के लिए ज़रूरी हो गए हैं। घर हो या दुकान, स्कूल हो या ऑफिस ये पंखे गर्मी के लम्बे दिनों में राहत भरी ठंडक देते हैं। हमारे देश में जलवायु परिवर्तन की वजह से लू चलना आम बात हो गई है, ऐसे में पंखे अब सीज़नल अप्लायन्स नहीं रहे- ये रोज़मर्रा की ज़रूरत बन चुके हैं। आधुनिक पंखे जो कुछ ही सालों में खराब होने लगते हैं, उनके बजाए पुराने मॉडलों के अंदर बेहतरीन मटीरियल लगाया जाता था, जिसकी वजह से वे सालों-साल चलते रहते थे। आज के दौर में उर्जा प्रभावी कूलिंग की मांग बढ़ गई है, ऐसे में ज़रूरी हो गया है कि हम फिर से उन्हीं पंखों को अपनाएं जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।

कॉपर वाइंडिंग वाले पंखे के परफोर्मेन्स और खर्च के बारे में बात करते हुए श्री आशीष मालवीय, डीजीएम-उजाला, एनर्जी एफिशिएन्ट सर्विसेज़ लिमिटेड ने कहा, ‘‘कॉपर की बिजली और उष्मा संचालनशीलता बेहतर होती है, इसलिए पंखा लम्बे समय तक भरोसेमंद परफोर्मेन्स देता है। इस तरह टिकाउ होने की वजह से इसी लागत कम हो जाती है और यह ज़्यादा फायदेमंद होता है। इन सभी फायदों की वजह से कॉपर वाइंडिंग वाले पंखे ज़्यादा उर्जा प्रभावी होते हैं, ये ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएन्सी (बीईई) द्वारा सर्टिफाईड 3 स्टार या हाई-रेटेड मॉडल्स में आते हैं। इनकी तुलना में एलुमिनियम वाइंडिंग वाले पंखे नॉन-स्टार या 1-स्टार मॉडल्स में आते हैं जो कम उर्जा प्रभावी होते हैं। कॉपर के पंखे 35 से 60 फीसदी ज़्यादा प्रभावी होते हैं और बिजली के सालाना बिल में रु 400 -500 तक की बचत करते हैं।

दशकों पहले स्कूलों और सार्वजनिक इमारतों में जो पंखे लगाए गए थे, वे आज भी चल रहे हैं। इसके बजाए घरों और ऑफिसों में लगे नए पंखे जल्दी खराब हो जाते हैं, शोर करने लगते हैं और इन्हें बार-बार मरम्मत की ज़रूरत पड़ती है। नए और पुराने पंखों में एक मुख्य अंतर है इनके भीतर मौजूद मोटर वाइंडिंग का। पुराने पंखों में कॉपर वाइंडिंग का इस्तेमाल किया जाता था। जिसकी वजह से ये उर्जा प्रभावी, भरोसेमंद होते हैं और बेहतर परफोर्मेन्स देते हैं।

एलुमिनियम के बजाए कॉपर की विद्युत संचालनशीलता 39 फीसदी अधिक होती है, इसलिए ये उर्जा के प्रवाह में ज़्यादा प्रभावी होते हैं। इससे रेज़िस्टेन्स कम होता है और मोटर में हीट कम बनती है, जिसकी वजह से ये लम्बे समय तक चलते रहते हैं। कॉपर वाइंडिंग वाले पंखों में बिजली की खपत कम होती है और ये लम्बे समय तक चलते रहने पर भी अच्छी कूलिंग देते हैं।

कॉपर वाइंडिंग वाले पंखे लम्बे समय तक भरोसेमंद परफोर्मेनस देते हैं। उच्च गुणवत्ता की कॉपर वाइंडिंग के खराब होने की संभावना 1 फीसदी से भी कम होती है। जबकि एलुमिनियम वाइंडिंग के खराब होने की संभावना 2 से 7 फीसदी के बीच होती है। इस तरह कॉपर का इस्तेमाल करने से पंखा जल्दी खराब नहीं होता, मरम्मत की ज़रूरत कम हो जाती है और वारंटी पीरियड खत्म होने के बाद मरम्मत में रु 300 से 600 तक की बचत होती है।

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