(लर्निंग स्पाइरल के फाउंडर मनीष मोहता द्वारा दिव्यराष्ट्र के लिए)
आज की तेजी से बदलती दुनिया में, शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे हैं, जिसमें तकनीकी प्रगति प्रमुख कारण है। इन बदलावों में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पारंपरिक प्रश्नपत्र बनाने की प्रक्रिया में अब बदलाव आ रहा हैं। दशकों से प्रश्न पत्र छात्रों के ज्ञान का विश्लेषण करने का महत्वपूर्ण साधन रहे हैं, लेकिन शिक्षकों और संस्थानों को इन्हें बनाने की मैन्युअल प्रक्रिया में हमेशा से मुश्किल होती रही है। लेकिन आज तकनीक, खासकर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (एआई), इस प्रक्रिया को अधिक कुशल, गतिशील और आधुनिक शिक्षा प्रणाली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बदल रही है।
टेक्नोलॉजी शिक्षा संस्थाओं को सवाल-जवाब वाले पुराने दृष्टिकोण से बाहर निकालने में मदद कर रही है। पहले, प्रश्न पत्र शिक्षक या परीक्षा बोर्ड द्वारा मैन्युअल रूप से बनाए जाते थे, जो अक्सर पूर्वोत्तर प्रश्न पत्रों और निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित होते थे। यह विधि उस समय प्रभावी थी, लेकिन इसमें कई सीमाएँ हैं। यह बहुत समय लेने वाला काम है, मानवीय गलती होने की संभावना रहती है और प्रश्नों में प्रकार की कमी है। शिक्षक को यह सुनिश्चित करना कठिन लगता है कि सभी कौशल की परीक्षा हो रही है या नहीं? साथ ही, इसमें रटने (रटकर याद करने) पर अधिक जोर दिया गया था, क्योंकि विद्यार्थी पुराने पैटर्न के आधार पर प्रश्नों का अनुमान लगाते हैं। लेकिन टेक्नोलॉजी के एकीकरण से ये सीमाएँ दूर हो रही हैं और परीक्षाओं का एक नया दृष्टिकोण सामने आ रहा है।
यह बदलाव आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (एआई) से हुआ है। अब विशाल डेटाबेस से सवाल उठाने वाले प्रश्न पत्र वास्तविक समय में एआई-चालित सिस्टम बना रहे हैं। ये सिस्टम विविध और अप्रत्याशित प्रश्न बनाते हैं, जिससे विद्यार्थी कई विषयों और कौशलों पर अभ्यास कर सकें। एआई यह भी मदद करता है कि शिक्षक जानबूझकर या अनजाने में कुछ विशिष्ट विषयों या सवालों का पक्ष नहीं लेते। एआई प्रश्नों को विद्यार्थियों के प्रदर्शन स्तर के अनुसार ढाल सकता है, इससे विद्यार्थियों को चुनौतीपूर्ण परीक्षाएं दी जा सकती हैं जो उनकी क्षमता के अनुरूप हैं।
टेक्नोलॉजी प्रश्नों को तैयार करने और प्रस्तुत करने में भी मदद मिलती है। एआई की मदद से प्रश्न पत्रों को श्रवण, दृश्य या स्पर्शात्मक (हाथों से सीखने वाले) छात्रों के लिए बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, दृश्य सीखने वाले विद्यार्थियों को ग्राफ या छवि आधारित प्रश्न दिए जा सकते हैं, जबकि तार्किक सोच में निपुण विद्यार्थियों को अधिक अमूर्त या समस्या समाधान वाले प्रश्न दिए जा सकते हैं। यह बदलाव, जिसमें मानक परीक्षाओं से व्यक्तिगत अभ्यास की ओर रुझान है, एक समावेशी शिक्षण वातावरण बना रहा है, जहां सभी विद्यार्थियों को उनकी विशिष्ट क्षमताओं और सीखने की प्राथमिकताओं के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है।
शिक्षा संस्थानों में प्रश्नपत्र बनाने की स्वचालित प्रक्रिया ने समय और संसाधनों को भी प्रभावित किया है। अब एआई-चालित सिस्टम प्रश्न पत्रों को मिनटों में तैयार करते हैं, जिससे शिक्षकों को अन्य महत्वपूर्ण शिक्षण कार्यों पर अधिक समय मिलता है. पहले प्रश्न पत्र बनाने में हफ्तों लग जाते थे। अब निरंतर मूल्यांकन का मॉडल बनाया जा रहा है, जो केवल मध्यावधि या साल के अंत की परीक्षाओं पर निर्भर नहीं है, जिससे इस प्रशासनिक बोझ में कमी से अधिक बार अस्सेस्मेंट भी संभव हो सकते हैं। निरंतर मूल्यांकन न केवल सीखने को बेहतर बनाता है, बल्कि छात्रों पर दबाव कम करता है क्योंकि यह नियमित, प्रतिक्रिया और सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है और उच्च दांव वाली परीक्षाओं से बचाता है
साथ ही, ग्रेडिंग (अंक देने) की प्रक्रिया, जो पहले पारंपरिक तरीकों में देरी और गलतियों की संभावना थी, को आईटी ने क्रांतिकारी रूप से बदल दी है। एआई-संचालित ग्रेडिंग सिस्टम परीक्षा स्क्रिप्ट को स्वचालित रूप से जांचते हैं, जिससे मानवीय गलतियाँ कम होती हैं और अंक एकरूप होते हैं। ये सिस्टम को बहुविकल्पीय सवालों से लेकर छोटे जवाबों और निबंधों तक का विश्लेषण कर सकते हैं, जिसमें वाक्य संरचना, तर्क और संपूर्णता का विश्लेषण करने वाले नेचुरल लैंग्वेज अल्गोरिदम का उपयोग किया गया है।