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पंजीकृत ट्रेडमार्क के समान फुटवियर का निर्माण एवं व्यापार करने का मामला

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कोर्ट ने प्रतिवादी को निर्माण एवं व्यवसाय करने पर लगाया प्रतिबंध

बाजार में भेजा गया माल भी अपने खर्चे पर वापस मंगवाकर करना होगा नष्ट

जयपुर। दिव्यराष्ट्र* पंजीकृत ट्रेडमार्क बीओएससीओ के समान बीओबीसीओ फुटवियर का निर्माण करने एवं व्यापार करने से जुड़े प्रकरण में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रम संख्या-03, जयपुर जिला विद्यानंद शुक्ला ने विपक्षी/प्रतिवादी मैसर्स तन्वी पोलिमर्स दिल्ली को उपरोक्त समान उत्पाद के निर्माण करने एवं व्यवसाय करने पर प्रतिबंध लगाते हुए अवैध ट्रेडमार्क बीओबीसीओ को अपने खर्चे पर बाजार से मंगवाकर नष्ट करने के आदेश दिए हैं। इस संबंध में वादी फर्म वीकेआई एक्सटेंशन बढारना, जयपुर स्थित मैसर्स स्पोर्ट्स इंटरनेशनल मालिक/प्रोपराइटर सौरभ बैराठी ने अदालत में 9, सितंबर, 2016 को प्रतिवादी मैसर्स तन्वी पोलिमर्स के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।
एडवोकेट विनय कुमार सिंघल ने वादी-प्रार्थी फर्म मैसर्स स्पोर्ट्स इंटरनेशनल की ओर से पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि वादी फर्म को वर्ष 2009 से बीओबीसीओ के नाम से फुटवियर निर्माण एवं विक्रय करने का एकाधिकार संपूर्ण भारतवर्ष के लिए प्राप्त हैं। गत दिनों प्रतिवादी ने वादी फर्म की नकल करते हुए फुटवियर निर्माण एवं विक्रय करने का कार्य प्रारंभ किया है। उक्त ट्रेडमार्क बीओबीसीओ का उपयोग करना ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा-29 के तहत पंजीकृत ट्रेडमार्क अतिलंघन की परिभाषा में आता है, क्योंकि प्रतिवादी ने वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क बीओएससीओ के डिसेप्टवली सिमिलर ट्रेडमार्क बीओबीसीओ के तहत सामान प्रकार का व्यवसाय प्रारंभ किया गया है। अधिवक्ता विनय कुमार सिंघल ने कोर्ट को यह भी बताया कि प्रतिवादी का ट्रेडमार्क बोलने, देखने एवं सुनने में वादी के ट्रेडमार्क से समानता लिए हुए हैं। जिससे जन साधारण में भ्रम पैदा होने की संभावना है। प्रतिवादी का ट्रेडमार्क वादी के ट्रेडमार्क के सदृश्य व समान है, जिसका उपयोग कर प्रतिवादी, वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क की ख्याति, प्रतिष्ठा आदि का फायदा उठाकर अपना व्यवसाय संचालित कर रहा हैं। दोनों उत्पाद समरूप होने से आम जनता के मानस में भ्रम उत्पन्न करने के लिए यह पर्याप्त हैं। ऐसे में प्रतिवादी को निर्माण करने एवं भेजे गए माल को अपने खर्चे पर वापस मंगवाकर नष्ट करने के आदेश दिए जाए। जिसे अदालत ने स्वीकार कर निर्माण करने पर प्रतिबंध लगा दिए तथा माल को बाजार से वापस मंगवाकर नष्ट कर रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए हैं।

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