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एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक ने रचा इतिहास: आरबीआई से यूनिवर्सल बैंक बनने की सैद्धांतिक अनुमति प्राप्त

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भारत के बैंकिंग इतिहास में दर्ज होने वाला एक ऐतिहासिक अवसर सामने आया है। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (AU SFB) को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से यूनिवर्सल बैंक बनने की सैद्धांतिक अनुमति मिल गई है। इस नोटिफिकेशन के साथ, एयू यूनिवर्सल बैंक बनने की अनुमति पाने वाला भारत का पहला स्मॉल फाइनेंस बैंक बन गया है, बैंक ने अपने उद्देश्य, प्रतिबद्धता और अनुशासन से इस उपलब्धि को आकार दिया है।

यह नियामकीय अनुमति एयू के मजबूत बिज़नेस मॉडल, सुदृढ़ प्रशासन, और वित्तीय समावेशन के प्रति इसके दीर्घकालिक समर्पण की दृढ़ता से पुष्टि करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह उपलब्धि एयू की संपूर्ण बैंक के रूप में विकास यात्रा की पुष्टि करती है, एक ऐसा बैंक जो आज के ग्राहकों की उम्मीदों के अनुरूप रिटेल, व्यापारिक और डिजिटल समाधानों सहित संपूर्ण बैंकिंग प्रोडक्ट और सेवाएं पेश करता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक के नोटिफिकेशन के अनुसार, एयू अब अपने परिवर्तन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए ज़रूरी नियामकीय और संचालन संबंधी शर्तों को पूरा करने की दिशा में काम करना शुरू करेगा। इस परिवर्तन के लिए आवेदन 3 सितंबर 2024 को जमा किया गया था, स्वैच्छिक रूप से स्मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंक में परिवर्तित करने के आरबीआई की ‘ऑन टैप’ लाइसेंसिंग दिशानिर्देश (अगस्त 2016) और अप्रैल 2024 फ्रेमवर्क के तहत।

एयू के असाधारण सफर के केंद्र में एयू के संस्थापक, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री संजय अग्रवाल हैं, जिनकी कहानी भारत की उद्यमशीलता की भावना की मिसाल है। 1996 में, महज 26 साल की उम्र में, जयपुर के एक गोल्ड मेडलिस्ट चार्टर्ड अकाउंटेंट, पहले पीढ़ी के उद्यमी और क्रिकेट प्रेमी श्री अग्रवाल ने पारंपरिक कॉर्पोरेट करियर को ठुकराकर एक फाइनेंस कंपनी शुरू की। उनका एकमात्र विश्वास था कि भारत के सुविधाओं से वंचित और बिना बैंकिंग सुविधा वाले नागरिक भी सम्मानजनक वित्तीय सेवाओं के हकदार हैं। उनके पास कोई संस्थागत पूंजी नहीं थी और न ही विरासत में कोई पहचान मिली थी, फिर भी श्री अग्रवाल ने एक लेंडिंग कंपनी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छोटे उद्यमियों को वाहन फाइनेंसिंग की सुविधा मुहैया कराना था। जो सफर एक साधारण से सपने के साथ शुरुआत हुआ था, वह आज दृढ़ निष्ठा की केस स्टडी, निरंतर विकास, सटीक क्रियान्वयन और संस्थागत निर्माण की मास्टरक्लास बन चुका है।

एयू बैंक के संस्थापक, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री संजय अग्रवाल ने कहा: “भारतीय रिज़र्व बैंक से यूनिवर्सल बैंक बनने की सैद्धांतिक अनुमति प्राप्त कर हमने इतिहास रच दिया है। यह पड़ाव केवल एक नियामकीय उपलब्धि नहीं है, बल्कि हमारे उद्देश्य, हमारे संयम और हमारे जुनून को और भी मजबूत करता है।

एयू सिर्फ एक बैंक नहीं है – एयू एक मिशन है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा है, “भारत केवल एक बाज़ार नहीं है, भारत एक मिशन है।” एयू में, हम हर दिन इस मिशन को जीते आए हैं। हमारा सफर हमेशा बैंकिंग से कहीं आगे रहा है – यह एक समावेशी, सशक्त और उद्यमशील भारत के निर्माण की कहानी है।

हम भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने ऐसा पारदर्शी और समर्थ इकोसिस्टम तैयार किया जिसमें एयू जैसे संस्थान ईमानदारी के साथ विकास कर सकें। यह उपलब्धि उन सभी हितधारकों को समर्पित है जिन्होंने हमारा साथ देकर इस सफर को संभव बनाया – हमारे ग्राहक, जिनके विश्वास ने हमें गढ़ा; हमारे एम्प्लॉयीज, जिनकी एनर्जी हमारी प्रेरणा रही; हमारे निवेशक और साझेदार, जिन्होंने हमारे मॉडल पर यकीन किया; और हमारे निदेशक मंडल, जिनका मार्गदर्शन इस सफर में बेहद अहम रहा।

यह स्वीकृति सिर्फ़ हमारी विकास क्षमता को नहीं दर्शाता, बल्कि ज़िम्मेदारी से आगे बढ़ने की हमारी प्रतिबद्धता को भी मान्यता देता है। यह इस बात का प्रमाण है कि AU ने अपनी व्यापक पहुंच, विवेकपूर्ण सेवा और हर आर्थिक स्तिथि में मज़बूती से टिके रहने की क्षमता के बल पर यह स्थान हासिल किया है। इस नए अध्याय में कदम रखते हुए, हम विनम्रता, जिम्मेदारी और एक स्थानीय संस्थान के गौरव के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जो हमारे लोगों, हमारे राष्ट्र और विकसित भारत 2047 के विजन की सेवा के लिए तैयार है।”

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