
भारत में 2025 तक कैंसर के कुल मामलों के बढ़कर 15.7 लाख हो जाने का अनुमान है
मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ अपोलो कैंसर सेंटर्स (एसीसी) ने महिलाओं के लिए निवारक ऑन्कोलॉजी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाते हुए, आज एंड-ओ चेक पेश किया, जो 45 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए प्रारंभिक स्तर पर रोग की पहचान करने का व्यापक कार्यक्रम है। यह पहल दो सबसे प्रचलित स्त्री रोग संबंधी कैंसर – एंडोमेट्रियल और डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) – का प्रारंभिक और अपेक्षाकृत अधिक उपचार योग्य अवस्था में पता लगाने के लिए की गई है।
डिम्बग्रंथि का (ओवेरियन) कैंसर, जिसे अक्सर ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है। यह 55 से 64 वर्ष की आयु की महिलाओं को प्रभावित करता है, जिसका औसत निदान 63 वर्ष की आयु में होता है। यदि इसका समय पर पता चल जाए, तो 5 साल की जीवित रहने की दर 90% से अधिक हो जाती है। भारत में, 2025 तक कैंसर के कुल मामलों के बढ़कर 1.57 मिलियन (15.7 लाख) हो जाने का अनुमान है, जिसमें डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) और गर्भाशय (यूटेराइन) के कैंसर महिलाओं को प्रभावित करने वाले शीर्ष 5 कैंसर में शामिल होंगे। आयु-मानकीकृत घटना दर डिम्बग्रंथि के (ओवेरियन) कैंसर 4.6 प्रति 100,000 और कॉर्पस गर्भाशय (यूटेराइन) कैंसर 2.5 प्रति 100,000 होने का अनुमान है।2 इसमें योगदान देने वाले कारकों में प्रजनन पैटर्न में बदलाव, शहरी जीवनशैली और चयापचय (मेटाबोलिज्म) संबंधी परेशानियों में बढ़ोतरी शामिल है, जिससे स्पष्ट है कि उच्च जोखिम वाली आबादी में लक्षित पहचान की तत्काल आवश्यकता है।
हालांकि एंडोमेट्रियल कैंसर अक्सर अप्रत्याशित रक्तस्राव या असामान्य स्राव जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होता है, कई महिलाएं इन लक्षणों की जल्दी नहीं बता पातीं, जिससे निदान में देरी होती है और उचित तरीके से इलाज नहीं हो पाता है। एंड-ओ चेक को उच्च जोखिम वाली आबादी में शीघ्र पहचान, लक्षणों के बारे में जागरूकता और समय पर इलाज शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर तैयार किया गया है, जिससे महिलाओं को उनके स्त्री रोग संबंधी स्वास्थ्य के लिए सक्रिय कदम उठाने में मदद मिलती है।
दिनेश माधवन, अध्यक्ष, ग्रुप ऑन्कोलॉजी एंड इंटरनेशनल, अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज लिमिटेड ने लॉन्च के अवसर पर कहा,”कैंसर देखभाल में जीवन की गुणवत्ता और इसमें सुधार लाने के लिहाज़ से रोग की जल्दी पहचान हमारे लिए सबसे बड़ी सहायक है है। एंड ओ चेक, उपचार से हटकर स्क्रीनिंग और शीघ्र निदान की ओर एक सक्रिय कदम है, जिससे कैंसर प्रबंधन टीमों द्वारा समय पर पहचान और सटीक उपचार संभव हो पाता है।”
डॉ. ऋचा बंसल – कंसल्टेंट गायनेक ऑन्कोलॉजी (स्त्री रोग कैंसर विज्ञान), लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी, अपोलो कैंसर सेंटर्स, नवी मुंबई ने कहा,”45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, इसलिए बेहतर इलाज के लिए शीघ्र पहचान ज़रूरी है। वैश्विक आंकड़े बताते हैं कि शरीर में एक ही जगह पर सीमित (स्थानीयकृत) बीमारी के लिए 5 साल तक जीवित रहने की दर लगभग 96% है। हालांकि, निदान में देरी होने पर जीवित रहने की दर में काफी कम हो जाती है, जो समय पर पहचान के महत्व को रेखांकित करता है। प्रमुख जोखिम कारकों में मोटापा, मधुमेह, समय से पहले मासिक धर्म, देर से रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) शामिल हैं, जो भारतीय महिलाओं में अधिक बढ़ रहे हैं।”
डॉ. बिंदु केएस – वरिष्ठ कंसलटेंट, प्रसूति एवं स्त्री रोग एवं रोबोटिक सर्जरी विभाग, अपोलो हॉस्पिटल्स, नवी मुंबई ने कहा,”स्त्री रोग संबंधी कैंसर का शीघ्र पता लगाने में रेडियोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एंड-ओ चेक के ज़रिये, हम ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) को निदान उपकरण के रूप में जोड़ रहे हैं ताकि उन सूक्ष्म बदलाओं की पहचान करने में मदद मिल सके जो प्रारंभिक चरण के डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) या एंडोमेट्रियल कैंसर का संकेत दे सकते हैं। प्रारंभिक इमेजिंग से डॉक्टर को तुरंत इलाज शुरू करने में मदद मिलती है, जिससे रोगियों के लिए उपचार के विकल्प और परिणाम बेहतर होते हैं।”