नईदिल्ली,, दिव्यराष्ट्र/अमृता विश्व विद्यापीठम को दूसरी इंटरनेशनल सुनामी परिचर्चा में अपने सुनामी राहत प्रयासों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली, जो संयुक्त राष्ट्र के तहत यूनेस्को इंटरगवर्नमेंटल ओशनोग्राफिक कमीशन (आईओसी) द्वारा आयोजित किया गया था। 2004 की सुनामी की 20वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बांदा आचे में आयोजित परिचर्चा में वैश्विक विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और मानवीय संगठनों को “आचे थैंक्स द वर्ल्ड” थीम के ज़रिए एक साथ लाया गया था।
यूनिवर्सिटी और माता अमृतानंदमयी मठ का प्रतिनिधित्व करते हुए, अमृता विश्व विद्यापीठम की प्रोवोस्ट डॉ. मनीषा रमेश ने 2004 के आपदा के दौरान किए गए महत्वपूर्ण राहत और मानवीय कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “हमारी चांसलर माता अमृतानंदमयी देवी के नेतृत्व में की गई पहलों को प्रभावकारी आपदा प्रतिक्रिया के वैश्विक मॉडल के रूप में पहचान मिली है, जिसने विभिन्न देशों और शोध निकायों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और उसकी प्रशंसा की है। इन प्रयासों का अध्ययन और चर्चा दो दशकों के बाद भी
जेंटेशन के लिए स्टाल लगाए गए थे, जिसमें सुनामी के दौरान यूनिवर्सिटी और मठ द्वारा किए गए व्यापजारी है, जो हमारे काम के स्थायी प्रभाव और महत्व को दर्शाता है।”
परिचर्चा में फोटोग्राफ़ और वीडियो प्रेक बचाव और राहत कार्यों का लिखित प्रमाण दिखाया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ. मनीषा के साथ अमृता स्कूल फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स रिसर्च डिवीजन की प्रमुख डॉ. सुधा अर्लिकाट्टी और प्रतिनिधि एम. नितिन कुमार और साई हरिचंदना एककिराला शामिल थे। परिचर्चा की आगे की कार्यवाही के रूप में अमृता टीम ने भूकंप और सुनामी सेंटर के एडमिरल मूसा जूलियस से भी मुलाकात की।