
दिव्यराष्ट्र, जयपुर: संकरा आई हॉस्पिटल, जयपुर ने 21 वर्षीय छात्रा काजल (परिवर्तित नाम) की दृष्टि को सफलतापूर्वक बहाल किया, जो घरेलू नुस्खों और बिना पर्चे की दवाइयों के इस्तेमाल के बाद गंभीर फंगल कॉर्नियल अल्सर से पीड़ित हो गई थी। इस दौरान उसकी 95% दृष्टि चली गई थी और स्थायी रूप से आँख खोने का खतरा उत्पन्न हो गया था।
उसकी दाहिनी आँख में मामूली जलन से शुरू हुआ यह रोग फंगल केराटाइटिस में बदल गया, यह एक गंभीर कॉर्नियल संक्रमण है जो समय पर इलाज न होने पर स्थायी अंधेपन का कारण बन सकता है।
चीफ मेडिकल ऑफिसर एवं कंसल्टेंट कैटरेक्ट, कॉर्निया और रिफ्रेक्टिव सर्जन, संकरा आई हॉस्पिटल, जयपुर डॉ. नीरज शाह, जिन्होंने उसका इलाज किया ने कहा, “नेत्र देखभाल में विशेष जागरूकता जरूरी है। आँख अत्यंत नाज़ुक अंग है और छोटी सी असुविधा भी बड़ी समस्या का रूप ले सकती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ ही सबसे उपयुक्त मार्गदर्शक होते हैं और घरेलू नुस्खों पर आँख मूँदकर भरोसा नहीं करना चाहिए”
संकरा आई हॉस्पिटल, जयपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मोतियाबिंद, कॉर्निया एवं अपवर्तक सेवाओं के सलाहकार, डॉ. नीरज शाह द्वारा काजल का चिकित्सीय पेनेट्रेटिंग केराटोप्लास्टी (कॉर्नियल प्रत्यारोपण) किया गया। समय पर की गई इस सर्जरी के बाद अब उसकी दृष्टि लगभग 90% तक लौट आई है और वह बिना संक्रमण की पुनरावृत्ति के अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर चुकी है।
काजल के मामले में सर्जिकल टीम ने ऑप्टिकल डोनर कॉर्नियल ग्राफ्ट का उपयोग किया, जिससे कई सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ी और दृष्टि में तेज़ी से सुधार हुआ। यह विशेष तकनीक संकरा आई हॉस्पिटल ने उन्नत प्रशिक्षण और संकरा आई हॉस्पिटल, कोयंबटूर के डॉ. जे.के. रेड्डी जैसे विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से विकसित की है।
संकरा आई हॉस्पिटल की क्लीनिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 30% नेत्र संक्रमण के मरीज पहले घरेलू नुस्खे आज़माने के बाद ही अस्पताल पहुँचते हैं। यह प्रवृत्ति इस बात पर बल देती है कि समय पर योग्य नेत्र चिकित्सक से परामर्श कितना आवश्यक है।