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परंपरा और प्रकृति का संगम

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वस्मोल ने रथ यात्रा को सम्‍मान देते हुए लॉन्‍च किया हिना क्रीम हेयर कलर

नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र/भारत के सबसे भरोसेमंद हेयर कलर ब्रांडों में से एक वस्मोल, जो पिछले 60 वर्षों से भारतीय उपभोक्ताओं के बीच अपनी विशेष जगह बनाए हुए है, ने वस्मोल हिना क्रीम हेयर कलर के लॉन्च के साथ एक नया शक्तिशाली अध्याय शुरू किया।
लॉन्च की घोषणा भुवनेश्वर के द मेफेयर लगून में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की गई, जिसमें प्रमुख मीडिया प्रतिनिधियों, ब्रांड के वरिष्ठ अधिकारियों और पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने शिरकत की। सुदर्शन पटनायक ने ब्रांड के नए अभियान और मूल्यों को दर्शाने वाली एक शानदार रेत की प्रतिमा का अनावरण किया।

जगन्नाथ रथ यात्रा के पवित्र मौके पर शुरू हुए इस कैंपेन की थीम है रोटेशन वासमोल हेनले यह सुंदरता का जश्न मनाती है, जो परंपरा और अपनी पहचान दोनों का सम्‍मान करती है। कैंपेन का सबसे खास हिस्सा 22 जून को सुदर्शन पटनायक की बनाई गई शानदार रेत की मूर्ति है। इसमें एक महिला को दो रूपों में दिखाया गया है – हेयर कलर से पहले और बाद में। एक तरफ बालों की सफेदी झलकती है, जबकि दूसरी ओर वस्मोल हिना क्रीम के इस्तेमाल के बाद बाल प्राकृतिक रूप से काले, स्वस्थ और चमकदार दिखते हैं। इस कलाकृति के केंद्र में वस्मोल हिना क्रीम हेयर कलर का पैक है और उसके ऊपर तीन रथों की आकृति रथ यात्रा की आध्यात्मिक भावना को दर्शाती है। यह परंपरा और बदलाव को एक सूत्र में पिरोती है।

वस्‍मोल की पेरेंट कंपनी, एचआरआईपीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ श्री धीरज अरोड़ा ने ब्रांड के विजन के बारे में बताते हुए कहा, “वस्मोल बीते छह दशकों से भारतीय परिवारों का हिस्सा रहा है – न सिर्फ़ आदतों में, बल्कि भावनाओं में भी। यह उत्पाद हमारे उपभोक्ताओं को एक ऐसी देखभाल प्रदान करता है जो उनकी जड़ों से जुड़ी भी है और आज की जीवनशैली के अनुकूल भी है। हमें गर्व है कि अब हर महिला आत्मविश्वास से कह सकती है – ‘सुरक्षित रहे मेरे बाल, वस्मोल हिना क्रीम हेयर कलर का कमाल।’’

कार्यक्रम में उपस्थित पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने कहा, “रेत एक ऐसा शक्तिशाली माध्यम है जो मिट्टी से निकली कहानियों को आत्मा तक पहुंचा देता है। वस्मोल जैसे ब्रांड के साथ जुड़ना, जो विरासत और सौंदर्य के गहरे भाव से जुड़ा है, मेरे लिए एक विशेष अनुभव रहा। यह कलाकृति परंपरा को सम्मान देने के साथ-साथ यह भी दर्शाती है कि कैसे ये परंपराएं आज की दुनिया में नये रूप में जीवित हैं।”

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