यदि हौसला मजबूत हो तो रास्ते में कितनी ही बाधाएं आए लेकिन, इंसान अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेता है। ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है एलन क्लासरूम स्टूडेंट दिव्यांश ने। फेफडों की गंभीर बीमारी न्यूमोथौरेक्स से पीड़ित होने के बावजूद ना सिर्फ मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 2024 को क्रेक किया बल्कि ऑल इंडिया रैंक 01 हासिल कर उन लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर दिया जो छोटी-छोटी मुसीबतों के आगे हार मान जाते हैं। दिव्यांश ने बताया कि परिवार हरियाणा के चरखी दादरी से है, मेरे पापा जितेन्द्र भारतीय सेना में नायब सूबेदार और मां मुकेश देवी गृहिणी हैं, चाचा भी सेना में हैं। इसके पहले भी मेरे परिवार में लोग आर्मी में रहकर देश की सेवा करते आए हैं। उनको देखकर मैं भी सेना में जाना चाहता था और एनडीए का एग्जाम देने का मन था। मैंने पापा को मन की बात बताई तो उन्होनें कहा परिवार के लोग देश की सेवा में लगे हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करो। उन्होनें अपने दोस्तों से बात की और बोले कि नीट की तैयारी के लिए एलन कोटा बेस्ट है। इसके बाद मैं 15 जून 2023 को कोटा आया और एलन में एडमिशन लिया।
दिव्यांश ने बताया कि जब पापा ने कोटा भेजा तो थोड़ा अटपटा लगा था लेकिन यहां आकर देखा कि पढ़ाई के लिए इससे अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती। एलन में एडमिशन लेने के बाद पढ़ाई करने का इतना मन किया कि मजा आता था। यहां नेशनल लेवल का कम्पीटिशन मिलता है, जिससे हम एक दूसरे से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, इसके लिए पढ़ते हैं। टीचर्स पर विश्वास रखिए।
कॉम्पिटिशन बहुत था लेकिन, मैंने अन्य स्टूडेंट्स को देखकर परेशान होने की जगह सिर्फ टीचर्स की गाइडेंस को फॉलो किया और मेरे पहले माइनर टेस्ट में ही 720 में से 720 मार्क्स आए थे। इससे मेरा आत्मविश्वास मजबूत हुआ। टीचर्स ने बोला था कि मोबाइल से मन भटकता है। इसलिए मैंने स्मार्ट फोन की जगह कीपैड वाला साधारण फोन इस्तेमाल किया। अभी तक भी किसी सोशल मीडिया पर मेरा एकाउंट नहीं है। दिव्यांश ने बताया कि कोटा आने के बाद जुलाई 2023 में मुझे सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी। जांच में पता चला कि मुझे न्यूमोथौरेक्स हो गया। इस बीमारी में लंग्स फट जाते हैं। मेरा एक साइड का फेफड़ा फट गया था और एक ही फेफड़े से सांस लेता था। एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में भर्ती रहा। इस दौरान एलन की समय-समय पर मिलने अस्पताल आती और मुझे मोटिवेट करते रहती थी। इसके बाद मैं घर आया और माइनर टेस्ट की तैयारी में जुट गया। एक सप्ताह हॉस्पिटल में खराब हो चुका था। मैंने सोचा कि स्कोर चाहे कुछ भी आए लेकिन, मुझे अपना बेस्ट करना है और 720 में से 686 स्कोर हासिल किया।
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इलाज के लिए चंडीगढ़-दिल्ली गया
दिव्यांश ने बताया कि दूसरे माइनर टेस्ट के अगले दिन फिर बीमार हो गया। बीमारी बढ़ती चली गई। इसके बाद पापा मुझे आर्मी हॉस्पिटल चंडीगढ़ लेकर गए। वहां दो सप्ताह भर्ती रहा लेकिन, आराम नहीं आया। इसके बाद दिल्ली लेकर गए। वहां भी दो सप्ताह तक रहा। मैं 1 जुलाई को बीमार हुआ था और कोटा, चंडीगढ व दिल्ली में इलाज कराने के बाद सितंबर में वापिस कोटा आया।
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न्यूरोथौरेक्स खत्म हुआ तो डेंगू हुआ
दिव्यांश ने बताया कि तीन महीने तक उपचार के बाद पढ़ाई शुरु करने वापिस कोटा आया लेकिन, यहां आते ही डेंगू हो गया। एक सप्ताह उसमें लग गया। मैं ठीक हुआ तो मम्मी को डेंगू हो गया। उनकी देखभाल की। रोजाना हॉस्पिटल खाना देने जाता था। मैं 15 सितंबर को वापिस कोचिंग गया। इतना समय निकल गया कि मेरी उम्मीद खत्म हो गई थी लेकिन टीचर्स ने मेरा वेलकम किया और उनके सपोर्ट से एक बार फिर जीरो से शुरुआत की। करीब 10-15 दिन मुझे समझने में लगे। दूसरे स्टूडेंट्स तो सिलेबस में काफी आगे निकल चुके थे लेकिन मैंने उन पर ध्यान देने की जगह खुद पर विश्वास रखा और टीचर्स को फॉलो किया।
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यदि दो दिन में पढ़ा हुआ भूल गए तो क्या डॉक्टर बनना…
5 मई 2024 को नीट का एग्जाम था और 2 मई को मेरा नीट का सिलेबस पूरा हुआ था। दो दिन बचे थे। मैंने टीचर्स की बात मानी और 3 व 4 मई को बिल्कुल पढ़ाई नहीं की। हालांकि मन में आता था कि रिवीजन कर लूं, कही सब कुछ भूल नहीं जाऊं। फिर मन में आया कि ‘तीन दिन में पढ़ा हुआ भूल गया तो फिर क्या डॉक्टर बनना…’ आराम से फुटबॉल खेली। 5 मई को यही सोचकर पेपर देने गया कि जितने मार्क्स आएंगे, भगवान की दया से बहुत हैं।