
-जयपुर डायलॉग 2025 संपन्न
-तीन दिन 42 सत्रों में शत्रुबोध और आत्मबोध पर किया मंथन
-तीखे सवाल-जवाबों के बीच
सनातन विरोधियों और विपक्ष को दिया कड़ा संदेश
जयपुर, दिव्यराष्ट्र*। राष्ट्रवादियों का महाकुंभ तीन दिवसीय जयपुर डायलॉग 2025 रविवार को गरमा गरम संवादों और तीखी बहस के साथ संपन्न हो गया। शत्रुबोध थीम पर तीसरे दिन भी विषय विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों ने विभिन्न सत्रों धर्म, सनातन, भ्रष्टाचार, धर्मांतरण और हिंदू विरोधी गतिविधियों पर जमकर प्रहार किया।
प्रथम सत्र में भारत के राजनीतिक भविष्य को लेकर वक्ताओं ने चर्चा करते हुए कहा कि भारत का भविष्य क्या होगा। विशेष रूप से मोदी-योगी और हिमंता कौन भारत का भविष्य में नेतृत्व करेगा। इस सत्र में मोदी के बाद के राजनीतिक नेतृत्व को लेकर अमिताभ अग्निहोत्री, ओमकार चौधरी, प्रखर श्रीवास्तव, कंचन गुप्ता, नीरज अत्री, अवनीश शर्मा ने अपनी राय रखी और बताया कि यह किसने सोचा था कि मोदी तीसरी बार भी प्रधानमंत्री का दायित्व संभालेंगे। बीते 11 वर्ष में इतना बदलाव आया यह किसने सोचा था। यह बहुत ही सोच का विषय है। मोदी और योगी को धार्मिक लीडर भी कह सकते हैं और देश का फ्यूचर भी यही हो सकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से भारत की यात्रा जिस दिशा में बढ़ी उसे और आगे ले जाने की जरूरत है। इस सत्र का संचालन हर्ष कुमार ने किया।
दूसरे सत्र में सिविलाइजेशन शत्रुबोध विषय पर डॉ. ओमेंद्र रत्नू, शेफाली वैद्य, एस्थर धनराज, संदीप बालाकृष्णा और कार्तिक गौर ने कहा कि देश की घटिया इतिहासकारों ने सत्य को हमारे गले उतारा और झूठ गढ़ा गया। हिंदुओं पर अत्याचार हुए लेकिन 120 करोड हिंदू हमारी सफलता है हमें सतत संघर्ष करना होगा। हमें हिंदू समाज पर गर्व करना चाहिए।
तीसरे सत्र में राजनीतिक शत्रु दिशा और देश को बांटने की राजनीति पर तुहीन सिन्हा, पल्लवी घोष, अभिजीत अययर मित्रा, शहजाद पूनावाला, बाबा रामदास, बी ड़ी मूंदड़ा और पत्रकार अभिषेक तिवारी ने इतिहास के संदर्भ देकर सनातन विरोधियों और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और गांधी परिवार की ओर से जातीयता, भेदभाव और समानता के मुद्दों को उठाया और विरोधियों की जमकर पोल खोली।
चौथे और आखिरी सत्र में शत्रुबोध से शत्रुनाश विषय पर आर जगन्नाथ, भाऊ तोरसेकर,अवनीश पीएन शर्मा, तहसीन पूनावाला, जयपुर दल के चेयरपर्सन संजय दीक्षित और अनुपम मिश्रा ने शत्रुओं की पहचान के बाद उनके खात्मे की जरूरत पर बल दिया। वक्त होने कहा कि हमें पहले शत्रु को पहचाना होगा और फिर उसको खत्म करने की रणनीति बनानी होगी। इस सत्र में विश्वगुरु मिशन के तहत डिजिटल अखंड भारत के नाम से सनातन धर्म नॉलेज को प्लेटफार्म के माध्यम से शिक्षा संस्थानों में नई पीढ़ी को जोड़ने वाले वर्ल्ड फास्ट एआई फोर सनातन का ऐप लॉन्च किया गया। इस संबंध में बंगाल से आए पिनाकी गांगुली ने विस्तार से जानकारी दी। मंच संचालन प्रणय भारद्वाज ने किया।
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आत्मनिर्भर डिफेंस
युद्ध कला में आमूल चूल परिवर्तन हो चुका है। वर्तमान में तकनीक के साथ सेना को कदमतान करना होगा। आत्मनिर्भर डिफेंस सेशन में लेफ्टिनेंट जरनल डी पी पांडेय, कर्नल मयंक चौबे, कर्नल अजय रैना और मेजर जरनल सुधाकर जी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान गोला बारूद के बजाय तकनीक का शानदार उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नेवी ने कहा कि अब वे सभी मेक इन इंडिया शिप का ही उपयोग करेंगे। सियाचिन में जॉर्ज स्नो स्कूटर की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी को सेना की जरूरत को समझाना पड़ेगा। बढ़ता भारत की चर्चा करते हुए कहा कि भारत से सैन्य उपकरण बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट भी होने लगे हैं। रूस की सेना को यूपी की फैक्टरी में बने जूते एक्सपोर्ट किया जा रहा है तो अमरीकी सेना को बेंगलुरु की फैक्टरी से बुलेट प्रूफ जैकेट आपूर्ति किया जा रहा है।
नई पीढ़ी की सेना को विकसित किए जाने में युवा शक्ति के स्टार्टअप ने सहायता प्रदान की है। यह संतोष की बात है कि प्राइवेट और सरकारी डिफेंस सेक्टर पूर्व सैन्य विशेषज्ञों की सलाह ले रहे हैं।
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इंडियंस कमिंग बैक टू भारत?
पहले मुगल और बाद में अंग्रेजों के शासन में हमारी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई। लेकिन आजादी के बाद बीते 8 दशक में भी हम इसे पटरी पर नहीं ला सके, जो अब तक का सबसे बड़ा नुकसान है। सेशन में संक्रांत शानू, सी के राजू, राज वेदम और विजय सरदाना ने कहा कि हमारी गुरुकुल व्यवस्था खत्म हो गई। इतिहास को न सिर्फ कमजोर किया गया बल्कि बादल भी दिया गया। लिहाजा भारत की शैक्षिक प्रतिभाएं पलायन कर विदेशों को समृद्ध कर रही है। जबकि यह हमारा बौद्धिक अधिकार था। चीन प्रत्येक सेक्टर में अपने देश के टॉपर्स को पहचान कर अलग से ट्रेनिंग करवाता है। इससे वह सुपर स्पेशलिस्ट बन जाते हैं। भारत को तब तक काम करने की जरूरत है, जब तक दूसरे देश इसे विश्व गुरु मानने लगे।
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डज हिंदू इकोसिस्टम एक्जिस्ट
नाम बदले बिना धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। यह और ज्यादा खतरनाक है। धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हमारे आसपास रहने वाले परिवारों का ध्यान रखना होगा। उनकी जरूरत और परेशानियों को पहचान कर योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाना होगा। सैशन में अमी ग़नात्रा, बाबा रामदास और संजय दीक्षित ने कहा कि बच्चों में शत्रुबोध विकसित करना होगा। समाज की बैठकों में महिलाओं और बच्चों की संख्या बढ़ानी होगी। सोशल मीडिया और पोस्ट पॉडकास्ट से चेतना तो आई है, पर इसे शत प्रतिशत तक लाना होगा। सरकार के भरोसे न रहकर आत्मसुरक्षा स्वयं को करनी होगी। सुरक्षा का इको सिस्टम बनाना होगा। उन्होंने कहा कि जो चीज तलवार के रास्ते आई है वह उसी रास्ते आएगी, बाद हमें उसी तरीके से जवाब देना होगा।





