
दिव्यराष्ट्र, जयपुर: विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी, जयपुर के विधि संकाय द्वारा आयोजित “तृतीय वीजीयू आर.के. रस्तोगी स्मृति नेगोशिएशन प्रतियोगिता 2025” का शुभारंभ आज विश्वविद्यालय के टेक्नोलॉजी ब्लॉक ऑडिटोरियम में अत्यंत उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य विधि के विद्यार्थियों में तर्क, संवाद, वार्ता कौशल और व्यावहारिक न्यायिक समझ को प्रोत्साहित करना है।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 10 बजे दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसके बाद अतिथियों का पुष्पगुच्छों द्वारा स्वागत किया गया। उद्घाटन समारोह में देशभर के विधि महाविद्यालयों से आए प्रतिभागियों एवं संकाय सदस्यों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
इस अवसर पर माननीय श्री न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, वहीं माननीय श्री न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन श्री लालित के. पंवार, आईएएस (से.नि.) ने स्वागत भाषण में कहा कि ऐसी प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों में संवादात्मक कौशल, विधिक नैतिकता और निर्णय क्षमता को विकसित करती हैं, जो उन्हें भविष्य के कुशल विधिवेत्ता बनने में सहायता प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी सदैव छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा से जोड़ने के लिए तत्पर है।
कार्यक्रम के दौरान श्री एम.आर. बगरिया, आरएएस (से.नि.), संरक्षक, वीजीयू ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यह प्रतियोगिता विद्यार्थियों को वास्तविक न्यायिक वार्ता के अनुभव से रूबरू कराएगी। प्रो. (डा.) एन.डी. माथुर, अध्यक्ष, वीजीयू ने अपने संबोधन में कहा कि नेगोशिएशन कौशल आधुनिक न्याय व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, और इस प्रकार की प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों में आत्मविश्वास एवं तर्कशक्ति को बढ़ाती हैं।
तीसरी वी.जी.यू. आर.के. रस्तोगी मेमोरियल नेगोशिएशन प्रतियोगिता के अवसर पर संरक्षक वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि जब नेगोशिएशन असफल होता है, तब लंका दहन होता है और महाभारत होती है — यह त्रेता और द्वापर युग का शाश्वत संदेश है कि संवाद ही समाधान का प्रथम चरण है। माननीय श्री न्यायमूर्ति मनीष शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि हमें स्वर्गीय श्री आर.के. रस्तोगी जी के जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि विधि का उद्देश्य केवल विवाद नहीं, बल्कि समाज में न्याय और संतुलन की स्थापना है।
कार्यक्रम की सह-संयोजक एवं विधि विभागाध्यक्ष डा. शिल्पा राव रस्तोगी ने प्रतियोगिता की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि अगले दो दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में विभिन्न विधि संस्थानों से आई टीमों के बीच कई राउंड्स आयोजित किए जाएंगे। प्रत्येक टीम को जटिल वार्ता-आधारित मामलों पर अपने तर्क प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा।
समापन भाषण में प्रो. (डा.) पी.पी. मित्रा, डीन, विधि संकाय ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों एवं आयोजन समिति को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी छात्रों को न्यायिक उत्कृष्टता की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएँ एवं विभिन्न विधि संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।