
दिव्यराष्ट्र, मुंबई: ऑल इंडिया नोटबुक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन प्रधानमंत्री और भारत सरकार का जीएसटी 2.0 सुधारों के तहत कर प्रणाली को सरल बनाने और आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए उठाए गए साहसिक कदमों हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करता है। हालांकि, वर्तमान में जो स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसमें नोटबुक पर 0% जीएसटी और आसियान मुक्त व्यापार समझौते (ASEAN FTA) के तहत 0% कस्टम ड्यूटी लगाई गई है, वह भारतीय नोटबुक उद्योग के लिए विनाशकारी साबित हो रही है।
एसोसिएशन ने वाणिज्य मंत्री श्री पियूष गोयल तथा जीएसटी परिषद को विस्तृत पत्र भेजकर इस समस्या के तत्काल समाधान की अपील की है। एसोसिएशन ने पहले भी सीबीआइसी प्रमुख श्री संजय कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में फाइनेंस भवन, नई दिल्ली में सुश्री तन्वी सोनी को एक ज्ञापन सौंपा था।
भारतीय नोटबुक उद्योग सस्ती शिक्षा को सुलभ बनाने के साथ-साथ लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है। यदि वर्तमान स्थिति को रोका नहीं गया, तो अनेक लघु और मध्यम उद्योग बंद हो जाएंगे, जिससे शिक्षा व्यवस्था और रोजगार ढांचा दोनों को अपूरणीय क्षति होगी।
आसियान समझौते के अंतर्गत इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देशों से आयात पर कोई सीमा शुल्क नहीं लगता। अब, 0% जीएसटी के कारण, इन आयातों पर आईजीएसटी भी नहीं लगेगा, जिसका मतलब यह है कि इन पर कोई काउंटरवेलिंग ड्यूटी भी नहीं लगेगी — जिससे ये पूरी तरह से ड्यूटी मुक्त होकर भारतीय उत्पादों की तुलना में सस्ते हो जाते हैं, जबकि भारत में घरेलू मांग को पूरा करने की पूरी क्षमता मौजूद है।
हाल ही में, शिक्षा क्षेत्र में लागत को कम करने के उद्देश्य से नोटबुक में प्रयुक्त कागज पर जीएसटी को 0% किया गया था। परंतु व्यावहारिक रूप में, इस निर्णय के कई अनपेक्षित दुष्परिणाम सामने आए हैं।
भारतीय नोटबुक निर्माण में उपयोग होने वाले पेपरबोर्ड और अन्य कच्चे माल जैसे पैकेजिंग सामग्री, गोंद, तार, पैकिंग फिल्म आदि पर 18% जीएसटी लागू होता है, जो भारतीय निर्माताओं को वहन करना पड़ता है, जबकि उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता। साथ ही, नोटबुक उद्योग में उपयोग होने वाला कोटेड पेपरबोर्ड, जिस पर पहले 12% जीएसटी था, अब 18% हो गया है, जिससे लागत और बढ़ गई है।