
भारत 2047 कॉन्क्लेव में बोले डॉ महेश चंद्र शर्मा
जयपुर। भारत में बेरोजगारी का कारण वर्तमान शिक्षा पद्धति है। जब तक वर्तमान शिक्षा पद्धति को बदला नहीं जाएगा तब तक भारत में बेरोजगारी का प्रभाव बना रहेगा। यह विचार डॉ महेशचंद्र शर्मा ने व्यक्त किए। वे राजस्थान प्रौढ शिक्षण समिति में युवा चिंतन – भारत 2047 कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में राज्य भर से आए युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी वर्ष 2047 में भारत कैसा होगा कैसा होना चाहिए इस पर अपने विचार व्यक्त किए।
युवा चिंतन-भारत 2047 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति के कारण अधिकतर जो बेरोजगारी है वह शिक्षित भारतीयों में ही है। पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े हुए और कम शिक्षित व्यक्तियों में बेरोजगारी की समस्या नहीं है। इसलिए बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए हमें वर्तमान समय के अनुरूप भारतीय शिक्षा पद्धति विकसित करनी होगी। वर्तमान में संगठित रोजगार व्यवस्था में अधिक से अधिक 10 प्रतिशत भारतीय ही हैं बाकी तो 90 प्रतिशत जाति आधारित रोजगार में ही लगे हुए हैं। आधुनिक समय में जाति को ना तो ग्लोरिफाई करने की जरूरत है नहीं गरियाने की आवश्यकता है। पहले हमारे अधिकतर लोग साक्षर नहीं होने के बावजूद भी मंदिरों के माध्यम से और श्रुति परंपरा के माध्यम से संत परंपरा के माध्यम से शिक्षा से जुड़े हुए थे। हमारे देश के किसानों को कहावतों के माध्यम से भूगोल को वर्षा और अन्य सभी बातों का ज्ञान था।
प्राचीन भारत पर बोलते हुए डॉक्टर शर्मा ने कहा कि हमारे ऋषियों ने पूरे विश्व को एक इकाई माना और वसुधैव कुटुंबकम का विचार दिया। वहीं पश्चिम में नेशन स्टेट के विचार में भौगोलिक सीमा को राष्ट्र माना गया। हमारी परंपरा में भारत वह है जो भरता है पोषण करता है। विष्णु पुराण के अनुसार समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में भारत भूमि और यहां रहने वाले लोगों को भारत की संतान माना गया। इसीलिए वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे सृजित हुए। भारत एक जन एक संस्कृति के कारण एक राष्ट्र था। वही अंग्रेजों ने इस विचार को नहीं माना और नेशन स्टेट को ही प्राथमिकता देते हुए भारत को सब कॉन्टिनेंट कहा। आज भी कई लोग उपनिवेशवादी मानसिकता के कारण ऐसा ही विचार रखते हैं।
वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में हो या समाज के क्षेत्र में अधिक शोध को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि हम भारतीय विचार के आधार पर अपने समाज को आधुनिकता के हिसाब से गढ़ पाएं। कार्यक्रम में किशन प्रणय की पुस्तक चंबल का विमोचन भी किया गया। पुस्तक विमोचन के अवसर पर वरिष्ठ व्यंग्यकार यशवंत व्यास, राजस्थान प्रौढ शिक्षण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बोड़ा, एम्स जोधपुर के प्रेसिडेंट डॉक्टर एस एस अग्रवाल, श्रवण सिंह राठौड़, राजेश मेठी शामिल हुए। साहित्यकार किशन प्रणय ने पुस्तक में से कविताओं का पाठ भी किया।
इससे पहले कार्यक्रम में युवाओं ने वर्ष 2047 में भारत कैसा होना चाहिए विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। इसमें देवकरण सैनी ने शिक्षा और करियर, सीए लखोटिया ने वित्तीय योजना, मनु काम्बोज ने राजस्थान में युवा नीति, बाड़मेर से आए नेहपाल सिंह राठौड़ ने सोलर प्लांट के कारण भू व्यवस्था में परिवर्तन के बारे में बताया। दीपेश जोशी ने इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से हो रहे नुकसान को देखते हुए जागरूकता की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम का समापन रविवार को होगा। इसमें डॉ महेशचंद्र शर्मा भारत गाथा – उत्तरार्द्ध पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। साथ ही युवा और सामाजिक कार्यकर्ता भारत 2047 के बारे में भावी योजनाओं पर अपना मत प्रकट करेंगे।