दिव्यराष्ट्र के लिए डॉ. दिक्षिता अंजवानी
भारत ने शिक्षा को हमेशा से सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति का आधार माना है। स्वतंत्रता के बाद अनेक शिक्षा नीतियाँ बनीं – 1968 और 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीतियाँ तथा 1992 का संशोधन – किंतु 21वीं सदी के बदलते वैश्विक परिदृश्य में शिक्षा प्रणाली के व्यापक पुनर्गठन की आवश्यकता महसूस हुई। इसी संदर्भ में 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) लागू हुई, जिसने शिक्षा को ज्ञान-आधारित समाज, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और सतत विकास की दिशा में पुनर्गठित करने का संकल्प लिया।
दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2015 में सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDGs) घोषित किए, जिनका उद्देश्य 2030 तक गरीबी उन्मूलन, असमानता घटाना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वास्थ्य और पर्यावरण संतुलन जैसे क्षेत्रों में वैश्विक प्रगति करना है। NEP 2020 इन लक्ष्यों से गहराई से जुड़ी हुई है, क्योंकि यह शिक्षा को केवल ज्ञानार्जन तक सीमित नहीं रखती, बल्कि कौशल विकास, जीवन मूल्यों, नवाचार और वैश्विक नागरिकता की भावना को भी प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार यह नीति भारत को ‘नया भारत’ और विश्व को ‘सतत भविष्य’ की दिशा में आगे बढ़ाने का आधार बनती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) का सार
NEP 2020 भारत की शिक्षा प्रणाली का व्यापक खाका प्रस्तुत करती है। इसमें स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास, शिक्षक प्रशिक्षण, समावेशन और तकनीकी नवाचार जैसे क्षेत्रों में परिवर्तन का खाका है। स्कूल शिक्षा के स्तर पर 5+3+3+4 संरचना प्रस्तुत की गई है, जिसमें प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE), मातृभाषा आधारित शिक्षा, बहुभाषिकता और सतत एवं समग्र मूल्यांकन जैसे प्रावधान हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मल्टीडिसिप्लिनरी संस्थानों को बढ़ावा, शोध और नवाचार के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF), और विदेशी विश्वविद्यालयों को आमंत्रण जैसी नीतियाँ प्रस्तावित हैं। कौशल विकास को प्राथमिकता देते हुए 6वीं कक्षा से व्यावसायिक शिक्षा, कोडिंग, डिजिटल साक्षरता और उद्यमिता प्रशिक्षण का प्रावधान किया गया है। शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण में 4 वर्ष का एकीकृत B.Ed. कार्यक्रम तथा सतत व्यावसायिक विकास की व्यवस्था है। वंचित वर्गों, ग्रामीण क्षेत्रों और दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए विशेष नीतियाँ लागू की गई हैं ताकि शिक्षा में समानता और सामाजिक न्याय स्थापित किया जा सके। इसके साथ ही डिजिटल अवसंरचना, ऑनलाइन शिक्षा और वर्चुअल लैब्स का भी समावेश किया गया है। इस प्रकार, NEP 2020 शिक्षा को केवल शैक्षिक ढाँचे तक सीमित नहीं रखती, बल्कि इसे आर्थिक विकास, सामाजिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता से जोड़ती है।
सतत विकास लक्ष्य (SDGs) का परिचय
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को 2015 से 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनका प्रत्यक्ष संबंध शिक्षा और उससे जुड़े क्षेत्रों से है। इनमें SDG 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा), SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), SDG 5 (लैंगिक समानता), SDG 8 (अच्छा कार्य और आर्थिक विकास), SDG 9 (उद्योग, नवाचार और अवसंरचना), SDG 10 (असमानताओं में कमी) और SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) प्रमुख हैं। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा नीति का इन लक्ष्यों से सामंजस्य आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा ही अन्य सभी लक्ष्यों की प्राप्ति का आधार है।
शिक्षा न केवल व्यक्तिगत स्तर पर ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, बल्कि यह सामाजिक समानता, लैंगिक न्याय, स्वास्थ्य जागरूकता और नवाचार की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के लिए, यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी वर्गों तक पहुँचेगी, तो स्वास्थ्य और पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, महिलाएँ आत्मनिर्भर बनेंगी, युवा रोजगारोन्मुख होंगे और उद्योगों को प्रशिक्षित कार्यबल प्राप्त होगा। इसी प्रकार, पर्यावरण शिक्षा जलवायु परिवर्तन से निपटने की सामूहिक चेतना विकसित करती है। इसलिए, SDGs में शिक्षा को केंद्रीय धुरी के रूप में माना गया है, जिसके बिना सतत विकास की वैश्विक परिकल्पना अधूरी रहेगी।
NEP 2020 और SDGs : तुलनात्मक अध्ययन
NEP 2020 और SDGs के बीच गहरा सामंजस्य देखा जा सकता है। SDG 4 यानी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के संदर्भ में NEP 2020 का मूल उद्देश्य है सभी को समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना। नीति में SC/ST, OBC, दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान हैं तथा 3 से 18 वर्ष तक शिक्षा को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देकर रोजगारपरकता पर भी ध्यान दिया गया है। यह लक्ष्य सीधे SDG 4 से मेल खाता है।
SDG 3 यानी अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण से NEP 2020 भी जुड़ता है क्योंकि इसमें मानसिक स्वास्थ्य, खेलकूद और पोषण पर जोर दिया गया है। स्कूलों में स्वास्थ्य कार्ड और स्वास्थ्य शिक्षा का प्रावधान भी इसी दिशा में है। SDG 5 अर्थात लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए NEP 2020 में महिला शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है, STEM क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने के उपाय किए गए हैं और महिलाओं के लिए सुरक्षित एवं लचीली डिजिटल शिक्षा की संभावनाएँ खोली गई हैं।
आर्थिक विकास और रोजगार यानी SDG 8 को समर्थन देने के लिए NEP 2020 में 6वीं कक्षा से व्यावसायिक शिक्षा, उद्यमिता और कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। यह सीधे रोजगार बाजार को ध्यान में रखते हुए शिक्षा को पुनर्गठित करने का प्रयास है। SDG 9 यानी उद्योग, नवाचार और अवसंरचना के संदर्भ में NEP 2020 में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना, उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार और शोध पर बल, टेक्नोलॉजी हब और इनक्यूबेशन सेंटर की योजना शामिल हैं।
असमानताओं को कम करने यानी SDG 10 के लिए NEP 2020 गरीब और अमीर, ग्रामीण और शहरी शिक्षा के बीच की खाई को पाटने की दिशा में डिजिटल अवसंरचना और समान अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास करती है, हालांकि डिजिटल डिवाइड अभी भी चुनौती बना हुआ है। जलवायु कार्रवाई यानी SDG 13 के संदर्भ में NEP 2020 में पर्यावरण शिक्षा और सतत विकास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है ताकि छात्रों में प्रकृति-प्रेम, संरक्षण और जिम्मेदार नागरिकता की प्रवृत्ति विकसित हो सके।
इसके अतिरिक्त, यह नीति SDG 17 यानी वैश्विक साझेदारी को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करती है, क्योंकि इसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग, छात्र-शोध विनिमय कार्यक्रम और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से वैश्विक शिक्षा नेटवर्क से जुड़ने की संभावना निहित है। इस प्रकार NEP 2020, SDGs की प्राप्ति में भारत की सशक्त भूमिका सुनिश्चित करने वाला एक व्यापक खाका प्रस्तुत करती है।
विश्लेषण और समकालीन संदर्भ
तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो NEP 2020 के अनेक बिंदु सीधे SDGs से मेल खाते हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, रोजगार और नवाचार के संदर्भ में यह नीति SDGs का समर्थन करती है। हालांकि, इसके क्रियान्वयन में अनेक चुनौतियाँ भी सामने आती हैं। डिजिटल डिवाइड, संसाधनों की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक-अभाव और पर्याप्त वित्तीय निवेश की अनुपलब्धता नीति की सबसे बड़ी बाधाएँ हैं। कोविड-19 महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा की उपयोगिता के साथ-साथ उसकी सीमाएँ भी स्पष्ट हुई हैं। वहीं, वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारतीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग सुधारने की आवश्यकता बनी हुई है।
हालाँकि NEP 2020 और SDGs के सामंजस्य के बावजूद अनेक चुनौतियाँ बनी हुई हैं। सबसे बड़ी चुनौती डिजिटल खाई की है, जो ग्रामीण और गरीब बच्चों को समान अवसर से वंचित करती है। शिक्षक प्रशिक्षण भी एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि नए डिजिटल और कौशल आधारित शिक्षण के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं हो पाई है। वित्तपोषण की दृष्टि से भी शिक्षा पर पर्याप्त सरकारी निवेश की कमी है और अभी GDP का 6% शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य अधूरा है। नीति और क्रियान्वयन के बीच भी बड़ा अंतर दिखाई देता है और मातृभाषा आधारित शिक्षा की व्यावहारिक चुनौतियाँ भी सामने आती हैं।
स्पष्ट है कि NEP 2020 और SDGs दोनों का उद्देश्य है समावेशी, समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से सतत विकास सुनिश्चित करना। तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि NEP 2020 न केवल SDG 4 बल्कि SDG 3, 5, 8, 9, 10 और 13 को भी सुदृढ़ करती है। हालाँकि डिजिटल असमानता, शिक्षक-अभाव, वित्तीय निवेश की कमी और ग्रामीण शिक्षा की कमजोर स्थिति जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। यदि इन समस्याओं का समाधान किया जाए तो NEP 2020 भारत को 2030 तक SDGs हासिल करने में मदद करेगी और शिक्षा के माध्यम से एक आत्मनिर्भर तथा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी राष्ट्र के निर्माण की दिशा में निर्णायक कदम सिद्ध होगी।