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जीवन के प्रत्येक पक्ष को उजागर करने वाला ग्रंथ है गीता : प्रो. शतांशु

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विवि में गीता जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

सीकर। दिव्यराष्ट्र/पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय में गीता जयंती पर बुधवार को ‘श्रीमद्‌भागवद गीता में व्यक्तित्व-विकास के सूत्र’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती और पंडित दीनदयाल उपाध्यायजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया गया। शेखावाटी विवि के कुलपति प्रो.(डॉ.) अनिल कुमार राय ने आगंतुक अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।

शेखावाटी विवि के योग विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. सोमदेव शतांशु, कुलपति, अपेक्स यूनिवर्सिटी जयपुर और पूर्व कुलपति, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार थे। इस अवसर पर प्रो. शतांशु ने कहा कि जीवन के प्रत्येक पक्ष को उजागर करने वाला ग्रंथ गीता है। समाज का नेतृत्च देने की ताकत गीता में है। उन्होंने कहा कि परिपूर्ण पुरुष बनने के लिए श्रीकृष्ण को अपनाना होगा। प्रो. शतांशु ने गीता के श्लोकों के महत्त्व को बताते हुए कहा कि उनमें समस्त संसार और मानव जाति के कल्याण का मार्ग छुपा हुआ है।
गीता के हर श्लोक में संपूर्ण ज्ञान : प्रो. राय
अध्यक्षीय उदृबोधन में कुलपति प्रो. अनिल कुमार राय ने कहा कि गीता के हर श्लोक में व्यक्तित्व विकास के सूत्र मिलते है और इनमें संपूर्ण ज्ञान समाहित है। उन्होंने गीता एवं भगवद्गीता में अंतर को बताते हुए सभी को गीता जयंती की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सभी को गीता के उपदेशों का पालन करने का आग्रह किया। प्रो. राय ने कहा कि भगवद गीता हमें सिखाती है कि हम अपने कर्मों के माध्यम से अपने भाग्य का निर्माण करना चाहिए। हमें कर्म करने में लगे रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। ज्ञान योग हमें आत्मज्ञान प्राप्त करने और अहंकार को त्यागने का उपदेश देता है।
दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. उधम सिंह, सहायक आचार्य, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार का थे। विशिष्ट अतिथि डॉ. चेतन दाधीच और डॉ. विद्याधर जोशी सहायक आचार्य, सेठ जीबी पोदृार कॉलेज नवलगढ़ थे। उन्होने गीता में व्यक्तित्व-विकास के सूत्र पर प्रकाश डाला। योग विभाग के डॉ. रमेश चंद ने संगोष्ठी की रूपरेखा बताई और संचालन किया।

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