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87% पश्चिमी भारत के लोग मच्छरों की परेशानी को पारिवारिक स्वास्थ्य जोखिमों से जोड़ते हैं

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गुडनाइट सर्वे में खुलासा

 

पश्चिम भारत में, सभी आयु वर्गों में, लगभग 61% वयस्क, मच्छरों की उपस्थिति को बेचैन रातों के प्रमुख कारणों में से एक मानते हैं

 

मुंबई, दिव्यराष्ट्र/पश्चिम भारत में 87% लोग मानते हैं कि नींद में खलल, विशेष रूप से बच्चों में, उनके परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण को सीधे प्रभावित कर रहा है। विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल) से पहले, यह महत्वपूर्ण खुलासा सामने आया है एक सर्वे रिपोर्ट से, जिसे गुडनाइट ने जारी किया है, जो गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जेसीपीएल) का भारत का प्रमुख घरेलू कीटनाशक ब्रांड है।

‘एक मच्छर, अनगिनत खतरे’ नामक इस पैन-इंडिया सर्वे को गुडनाइट ने कमीशन किया था, और मार्केट रिसर्च फर्म युगोव द्वारा इसे लॉन्च किया गया है। यह अखिल भारतीय सर्वे सार्वजनिक दृष्टिकोण का अध्ययन करता है, और मच्छर जनित बीमारियों के जोखिम का आकलन करता है। यह चिंता सभी क्षेत्रों में स्थिर बनी हुई है, जिसमें पूर्व और पश्चिम भारत के 87% उत्तरदाताओं ने और दक्षिण के 86% लोगों ने समान विचार साझा किए हैं।

अध्ययन के अनुसार, नींद की कमी भारतीय परिवारों में एक गंभीर समस्या बन गई है, जहां वयस्क हर रात लगभग 2 घंटे की नींद खोते हैं तो वहीं बच्चे अपनी अनुशंसित नींद से लगभग 4 घंटे वंचित रह जाते हैं।

यह लगातार नींद की कमी गंभीर प्रभाव डाल रही है — लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर रही है, तनाव का स्तर बढ़ा रही है, और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा रही है, विशेषकर मलेरिया और डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियों के लिए।

पश्चिम भारत में, वयस्कों में नींद में खलल के प्रमुख कारणों में से एक बनकर उभरे हैं मच्छर। यहां सभी आयु वर्गों में लगभग 61% लोगों ने मच्छरों की उपस्थिति को बेचैन रातों का एक प्रमुख कारण बताया है। बच्चों में प्रभाव और भी गंभीर है, माता-पिता रिपोर्ट करते हैं कि मच्छरों के काटने और उनके लगातार भिनभिनाने से बच्चों की नींद सबसे अधिक प्रभावित होती है. यहां तक कि बीमारियों और पढ़ाई के तनाव से भी यह समस्या कहीं आगे निकल गई है।

 

 

गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर – इंडिया, अश्विन मूर्ति कहते हैं*

‘गुडनाइट का ‘वन मच्छर, अनगिनत खतरे’ एक राष्ट्रव्यापी सर्वे रिपोर्ट है, जो सार्वजनिक दृष्टिकोण को गहराई से समझती है और मच्छर जनित बीमारियों से जुड़े जोखिमों का मूल्यांकन करती है। ऐसी पहलों व प्रयासों के माध्यम से हमारा लक्ष्य है भारत में मच्छरों की समस्या को लेकर जागरूकता बढ़ाना, परिवारों को कार्रवाई के लिए प्रेरित करना, और देश को किफायती लेकिन अभिनव समाधान प्रदान करना। भारत में, हर साल 4 करोड़ (40 मिलियन) से अधिक नागरिक मलेरिया, डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियों से प्रभावित होते हैं। बीमारी के कारण काम, स्कूल, सामाजिक और पेशेवर जिम्मेदारियों से अनुपस्थिति, स्वास्थ्य व्यय, और उत्पादकता में कमी सभी आर्थिक हानि में योगदान करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बनाए रखने और जीडीपी स्कोर को टिकाए रखने के लिए, जमीनी स्तर पर एक स्वस्थ और सशक्त कार्यबल की जरूरत होती है। इसका व्यावहारिक समाधान यह है कि हमें सही तरीके से मच्छर जनित बीमारियों की बढ़ती प्रवृत्ति को नियंत्रित करना होगा।’

थकान से परे, खराब नींद के प्रभाव दूरगामी होते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ भीचेतावनी देते हैं कि नींद की कमी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली को कमजोर कर सकती है, जिससे व्यक्ति संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। उनमें मच्छर जनित बीमारियां भी शामिल हैं। यह भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और दिन के दौरान एकाग्रता में कमी होती है।

गुडनाइट रिपोर्ट से मिले इन निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, डॉ. कीर्ति सबनीस, संक्रामक रोग विशेषज्ञ, फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड, मुंबई, ने कहा, ‘यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एक अकेला मच्छर भी जानलेवा बीमारियों को फैला सकता है।

ये छोटे, भिनभिनाते कीट मलेरिया, डेंगू और कई अन्य रोगों के चुपचाप प्रसार के पीछे जिम्मेदार हैं। ये प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं, जिससे व्यक्ति अन्य बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

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