जयपुर, मार्च 15 2025 – डीबीएस बैंक इंडिया ने हकदर्शक के साथ मिलकर भारत के गांवों में महिला उद्यमियों की अभिलाषाओं, चुनौतियों और वित्तीय व्यवहार पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट, 2025 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले जारी की गई है, और यह 2024 में डीबीएस बैंक इंडिया द्वारा शुरू किए गए ‘वुमन एंड फाइनेंस’ (WAF) अध्ययन पर आधारित है। इसमें तीन रिपोर्ट्स शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं और फाइनेंस को लेकर उनके नजरिये से संबंधित अनोखी जानकारी देती है।
पहले दो रिपोर्ट्स में शहरी भारत की महिलाओं के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसमें उनकी बचत और निवेश की आदतों, कॅरियर की पसंद और नौकरी में उन्हें आने वाली चुनौतियों पर फोकस किया गया था। तीसरी रिपोर्ट भारतीय महानगरों में महिला उद्यमियों पर केंद्रित थी, जिसमें उन मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई थी जहां उन्हें व्यापार को सक्षम बनाने के लिए समर्थन और अवसरों की आवश्यकता होती है।
हकदर्शक द्वारा किये गये वर्तमान अध्ययन में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के ग्रामीण जिलों में 411 महिला उद्यमियों का सर्वे किया गया, जिनमें से 402 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की सदस्य थीं। इसे पांच फोकस ग्रुप डिस्कशन (एफजीडी) से प्राप्त गुणात्मक जानकारी से सपोर्ट मिला, और इससे उनके अनुभवों समझने में काफी मदद मिली।
वित्तीय निर्णय लेने की प्रक्रिया
सर्वे में पता चला है कि गांवों में रहने वाली महिला उद्यमियों के व्यवहार में काफी बदलाव हो रहा है और वे वित्तीय स्वतंत्रता का रुख कर रही हैं। 18% महिलाएं अकेले, जबकि 47% अपने पति के साथ मिलकर वित्तीय निर्णय लेती हैं। 24% ने कहा कि उनके पति ही सारे वित्तीय निर्णय लेते हैं, और बाकी 11% अपने परिवार के सदस्यों से सलाह लेती हैं। यह दिखाता है कि प्रगति हो रही है, लेकिन अभी भी पारंपरिक नियम बने हुए हैं।
समझदारी भरी बचत की आदतें
लगभग 90% महिलाएं अपनी आय का कुछ हिस्सा जरूर बचाती हैं। इनमें से 57% अपनी मासिक आय का 20% से कम बचाती हैं, जबकि 33% महिलाएं 20% से 50% के बीच बचाती हैं। 5% अपनी आय का 50% से ज्यादा बचाती हैं, जबकि बाकी महिलाओं को यह नहीं पता कि वे कितना बचाती हैं, इससे उन्हें फाइनेंस से जुड़ी जानकारियां देने और योजना बनाने की जरूरत का पता चलता है। बचत करने वालों में से, 56% बैंक में जमा करते हैं, 39% स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की बचत योजनाओं में भाग लेते हैं, और 18% बिना निवेश किए अपने पास कैश रखते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी), और सोने में निवेश ज्यादा कॉमन नहीं है, केवल 11% और 5% महिलाएं इन तरीकों को चुनती हैं। लगभग 64% महिलाएं अपने व्यवसाय के मुनाफे को फिर से अपने व्यवसाय में लगाती हैं, जो व्यवसाय के विस्तार और विकास की ओर मजबूत रुझान दिखाता है।
बैंकिंग प्राथमिकताएं
सर्वे में शामिल ग्रामीण महिला उद्यमी बैंकिंग के पारंपरिक तरीकों को पसंद करती हैं। 89% महिलाएं आमने-सामने बैंकिंग को पसंद करती हैं, जो डिजिटल सेवाओं की बढ़ती उपलब्धता के बावजूद पारंपरिक चैनलों पर उनकी निर्भरता को दर्शाता है। 99% महिलाओं के पास बैंक खाता होने के बावजूद, केवल 38% अपने व्यवसाय के लिए डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करती हैं। इन डिजिटल उपयोगकर्ताओं में से, 70% केवल यूपीआई का उपयोग करती हैं, 20% यूपीआई के साथ मोबाइल या इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करती हैं, और 10% केवल मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग या अन्य डिजिटल सेवाओं का इस्तेमाल करती हैं। ये आंकड़ें डिजिटल वित्तीय जानकारी और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने का एक बड़ा अवसर दिखाते हैं, जिससे ग्रामीण उद्यमी डिजिटल बैंकिंग के लाभों का पूरी तरह से उपयोग कर सकें।
ऋण की सुविधाओं तक पहुंच
सर्वे के अनुसार, 36% ग्रामीण महिला उद्यमियों ने अपनी निजी बचत से बिजनेस शुरू किया, जबकि 25% ने लोन पर भरोसा किया। इसके अलावा, 29% ने अपनी बचत को लोन के साथ मिलाकर या परिवार और दोस्तों से उधार लेकर, औपचारिक और अनौपचारिक दोनों वित्तीय स्रोतों का उपयोग किया। विशेष रूप से, इनमें से 9% महिलाओं के लिए, परिवार और दोस्त फंडिंग का प्राथमिक स्रोत थे, जो छोटे व्यवसायों का समर्थन करने में सोशल नेटवर्क की भूमिका पर जोर देते हैं।
लगभग 80% ने स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और/या दूसरी लेंडिंग चैनलों के संयोजन के माध्यम से धन प्राप्त किया, जबकि 43% केवल एसएचजी से लोन पर निर्भर थे। 15% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने सरकारी ऋण योजनाओं का उपयोग किया है। ये निष्कर्ष ग्रामीण महिला उद्यमियों के बीच इन योजनाओं की पहुंच और जागरूकता को बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं।
विकास की आकांक्षाएं
अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए, ग्रामीण उद्यमी उद्योग और सरकार (72%) से समर्थन, डिजिटलीकरण में सहायता (39%), व्यावसायिक मार्गदर्शन (35%) और नेटवर्किंग के अवसरों (32%) की तलाश करती हैं। फोकस समूहों ने उत्तरदाताओं के बीच सामुदायिक विकास के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता का खुलासा किया, जिन्होंने अपने गांवों में अन्य महिलाओं के लिए नौकरियां पैदा करने की आकांक्षा व्यक्त की।
डीबीएस बैंक इंडिया के ग्रुप स्ट्रैटेजिक मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशंस के मैनेजिंग डायरेक्टर और हेड अज़मत हबीबुल्ला ने कहा, “2024 के विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, ग्रामीण भारत में महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों में 22 से 27 मिलियन लोग काम करते हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है। इन उद्यमियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को समझना और उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक सहायता की पहचान करना आवश्यक है। ‘वुमन एंड फाइनेंस’ सीरीज़ में हमारी नई रिपोर्ट महिला उद्यमिता में तेजी लाने और विकास की बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए अहम सूचना प्रदान करती है। हमें हकदर्शक के सहयोग से इस रिपोर्ट को लॉन्च करने पर गर्व है। यह उद्देश्य से चलने वाला एक संगठन है जो इस क्षेत्र के लिए सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और सभी की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ाता है।”
हकदर्शक के को-फाउंडर और सीईओ अनिकेत डोएगर ने कहा कि “हकदर्शक में, हम ग्रामीण महिला उद्यमियों के साथ मिलकर काम करते हैं और उनकी समस्याओं को समझते हैं। हम सिर्फ उन्हें वित्तीय सेवाओं और योजनाओं तक पहुंचने में मदद नहीं करते, बल्कि उनकी वित्तीय समझ, कौशल और आत्मविश्वास को भी बढ़ाते हैं। इन मुश्किलों को समझते हुए, हमने डीबीएस बैंक इंडिया के साथ मिलकर ‘वुमन एंड फाइनेंस’ सीरीज़ के तहत इस विषय पर एक विस्तृत अध्ययन किया है। हमारा मकसद महत्वपूर्ण बातचीत को बढ़ावा देना और जानकारी की कमी को दूर करने वाले समाधान बनाना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इन महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच मिले, जिससे एक बेहतर अर्थव्यवस्था बन सके।”
डीबीएस फाउंडेशन (डीबीएसएफ) ने समय-समय पर हकदर्शक की मदद की है। 2018 में, डीबीएसएफ ने हकदर्शक को “डीबीएसएफ बिजनेस फॉर इम्पैक्ट ग्रांट” दिया और 2020 में, “डीबीएसएफ बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन इम्प्रूवमेंट ग्रांट” दिया गया। 2023 में, हकदर्शक भारत में डीबीएसएफ का कार्यक्रम भागीदार बना। उन्होंने कमजोर समुदायों के लोगों में डिजिटल और वित्तीय साक्षरता बढ़ाने का काम किया, जिससे अब तक पूरे देश में 206,400 से अधिक लोगों को फायदा हुआ है।
फरवरी 2025 में, डीबीएस फाउंडेशन ने ग्रामीण भारत पर फोकस करते हुए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए हकदर्शक के साथ एक नया कार्यक्रम शुरू किया। 5.1 मिलियन सिंगापुर डॉलर के वित्त पोषण के साथ, इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में 50,000 नैनो उद्यमियों सहित 500,000 लाभार्थियों के लिए वित्तीय लचीलेपन और सामाजिक सुरक्षा में सुधार करना है।