मज़दूर दिवस पर विशेष,,,,
मैं मज़दूर हूं मजबूर नहीं
गरीबी, भूख, प्यास सहता हूं, पसीना बहाता हूं,
सूरज की अग्नि में सिकता नहाता हूं,
लोगों की नजरों में दीनहीन कंगाल कहलाता हूं,
मैं मज़दूर हूं मजबूर नहीं, मुझे गर्व हैं अपने आप पर !
वैसे तो हर इंसान जो कर्म करे,वह श्रमिक है मजदूर है, लेकिन मन से काम करे, औरों के दबाव में, मजबूर होकर नहीं करें, बगैर मेहनताना से काम करे या रुपये लेकर काम करे, मजदूर ही कहलायेगा, मैं वही
मैं मज़दूर हूं मजबूर नहीं, मुझे गर्व हैं अपने आप पर !
वर्तमान में मजदूरों का शोषण होता हैं,
और मजबूरों का शोषण होता हैं,
इनके दम पर ही अमीर धन्ना सेठ बने हैं,
इनके दम पर उनकी बंगला, कारें हैं,
मजदूरों के दम पर बनती सरकारें हैं,
मैं मज़दूर हूं मजबूर नहीं, मुझे गर्व हैं
अपने आप पर …….!
– मदन वर्मा ” माणिक “
इंदौर, मध्यप्रदेश