
(डॉ भूपेंद्र सिंह शेखावत अध्यक्ष
श्री बिशन सिंह शेखावत शिक्षण एवं शोध संस्थान,)
झुंझुनू जिले से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार मुझे बताने लगे कि आदरणीय भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री के रूप में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वर्ष 1995 में झुंझुनू आए थे इस कार्यक्रम में उनके छोटे भाई बिशन सिंह शेखावत भी उनके साथ आए थे , कार्यक्रम प्रारंभ होने से पहले जिले से जुड़े एक आरपीएससी के कुछ दिनों पूर्व नियुक्त हुए एक सदस्य , अचानक उनके सामने आए, और नमस्कार करके सार्वजनिक रूप से उनके पैर छूने लगे, आरपीएससी सदस्य के इस व्यवहार को देखकर भैरों सिंह जी क्रोधित भाव में इस सदस्य से पूछने लगे कि क्या आपको मालूम है आप आरपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था के सदस्य हैं, और आरपीएससी सदस्य की क्या गरिमा होती है, इसका भी आपको एहसास नहीं है, आप जैसे व्यक्ति को आरपीएससी का सदस्य देखकर मुझे बड़ा दुख हो रहा है , और उनसे पूछने लगे कि सार्वजनिक रूप से आप मेरे पैर छूकर आम जनमानस में क्या संदेश देना चाहते हो, भैरों सिंह जी के आशा के विपरीत व्यवहार को देखकर आरपीएससी के ये सदस्य बार-बार उनसे हाथ जोड़कर अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगे , लेकिन भैरों सिंह जी ने उनकी तरफ मुड़कर भी नहीं देखा .
सार्वजनिक परीक्षाओं की गरिमा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए भैरों सिंह जी सदैव गंभीर रहे, उनकी इसी भावना के तहत राज्य में पहली बार 1992 में राजस्थान सार्वजनिक परीक्षाओं में नकल एवं अनुचित साधनों की रोकथाम के लिए एक विशेष अधिनियम लागू किया गया , इस अधिनियम के तहत प्रश्न पत्रों से
छेड़छाड़, नकल व अनुचित साधनों का प्रयोग करने के दोषी को 3 साल के कारावास व जुर्माना के सख्त प्रावधान किए गए थे, इस अधिनियम का व्यापक प्रभाव राजस्थान की परीक्षा में देखने को भी मिला, लेकिन यह अधिनियम भी क्या करें जब बाढ़ ही खेत को खाने लग जाए।
आरपीएससी की पवित्रता, गरिमा व प्रभावी कार्य प्रक्रिया पर विशेष रूप से भैरों सिंह जी का गंभीर दृष्टिकोण रहा ।
उच्च न्यायालय के हालही में आए एक फैसले को देखकर यह आश्चर्य हुआ कि राजस्थान विश्वविद्यालय में कुलपति डा देव स्वरूप के कार्यकाल में भारी राजनीतिक एवं प्रशासनिक दबाव के बावजूद भी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए चयनित न होने वाली एक महिला को भी पूर्ववर्ती सरकार में आरपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था का सदस्य नियुक्त कर दिया गया,
सब इंस्पेक्टर परीक्षा,21 में भारी मात्रा में खुले रूप से हुई अनियमितता, भ्रष्टाचार से राज्य के लाखों बेरोजगार युवाओं को न्याय की एक किरण दिखाने के लिए दृढ़ निश्चयी, राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, जिन्हें अभी कुछ दिनों पूर्व राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया वी के सिंह के कर्मठ,व ईमानदार प्रयासों के लिए उनका हार्दिक अभिनंदन