
दिव्यराष्ट्र, जयपुर: विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी (वीजीयू), जयपुर, 11 और 12 अक्टूबर 2025 को प्रतिष्ठित तीसरी आर.के. रस्तोगी मेमोरियल राष्ट्रीय नेगोशिएशन प्रतियोगिता की मेजबानी करने जा रही है। यह राष्ट्रीय स्तर की विधि प्रतियोगिता देशभर के 36 से अधिक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के कानून के छात्रों को एक साथ लाकर उन्हें अपने नेगोशिएशन (बातचीत) तथा वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution – ADR) कौशल को परखने, सीखने और निखारने का एक सशक्त मंच प्रदान करेगी। विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी का यह आयोजन न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है, बल्कि भावी विधिविदों में व्यावहारिक न्यायिक दक्षता और सहयोगात्मक विवाद समाधान की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है।
प्रतियोगिता का उद्घाटन समारोह 11 अक्टूबर को अत्यंत गरिमामय वातावरण में आयोजित होगा, जिसकी शोभा देश की प्रतिष्ठित न्यायिक हस्तियाँ बढ़ाएँगी। माननीय न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायाधीश, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे, जबकि माननीय न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय, विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह में पधारेंगे। उनकी उपस्थिति आधुनिक न्यायिक व्यवस्था में एडीआर की बढ़ती प्रासंगिकता को उजागर करती है, क्योंकि आज के समय में विवादों का शीघ्र, प्रभावी और सौहार्दपूर्ण समाधान न्यायिक तंत्र की मजबूती के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है।
इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजदीपक रस्तोगी, भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, ने बातचीत (Negotiation) की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बातचीत, एडीआर का एक अमूल्य माध्यम है। यह न केवल एक लागत-प्रभावी और समय-बचत करने वाला उपाय है, बल्कि न्यायालयों पर बढ़ते बोझ को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि जब विवादों को आपसी समझ और सहयोग से सुलझाया जाता है, तो यह न केवल त्वरित न्याय सुनिश्चित करता है बल्कि समाज के ताने-बाने को भी मजबूत बनाता है।
प्रो. (डॉ.) एन.डी. माथुर, अध्यक्ष (कुलपति), विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी, ने कहा कि आर.के. रस्तोगी मेमोरियल नेगोशिएशन प्रतियोगिता वीजीयू की एक प्रमुख शैक्षणिक पहल है, जो कानून के छात्रों के लिए सीखने और अनुभव प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है। उन्होंने बताया कि यह आयोजन न केवल विधि विद्यार्थियों को शैक्षणिक दृष्टि से समृद्ध करता है, बल्कि उन्हें न्यायिक व्यवस्था के व्यावहारिक पक्ष को समझने, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा वरिष्ठ अधिवक्ताओं से प्रत्यक्ष संवाद करने का अवसर भी देता है। इससे विद्यार्थियों को कक्षा से परे एक व्यावहारिक और वास्तविक अनुभव प्राप्त होता है, जो उनके भविष्य के विधिक करियर के लिए अमूल्य है।
विधि विभाग की विभागाध्यक्ष एवं प्रतियोगिता की सह-संयोजक डॉ. शिल्पा राव रस्तोगी ने बताया कि इस वर्ष की प्रतियोगिता में देशभर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से 36 से अधिक टीमों की अभूतपूर्व भागीदारी प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि यह न केवल इस आयोजन की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि कानूनी बिरादरी में नेगोशिएशन और एडीआर कौशल का महत्व तेजी से बढ़ रहा है।
(प्रो.) डॉ. पी.पी. मित्रा, डीन, फैकल्टी ऑफ लॉ एवं कार्यक्रम के संयोजक, ने कहा कि यह प्रतियोगिता विधि छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का ऐसा मंच है, जहां वे अपने संवाद कौशल, वकालत और समस्या-समाधान की क्षमता को प्रदर्शित कर सकते हैं। प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों को एक सिमुलेटेड (काल्पनिक पर यथार्थवादी) वातावरण प्रदान करना है, जिसमें वे सहयोगात्मक विवाद समाधान की कला में निपुणता प्राप्त करें। यह कौशल न केवल भविष्य के कानूनी पेशेवरों के लिए अनिवार्य है, बल्कि समाज में न्याय और शांति की संस्कृति को भी सशक्त करता है।
विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी की यह पहल शिक्षा, अनुसंधान और व्यावहारिक प्रशिक्षण के बीच सेतु निर्माण का उदाहरण प्रस्तुत करती है। विश्वविद्यालय लगातार इस दिशा में प्रयासरत है कि उसके विद्यार्थी केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि व्यवहारिक रूप से सक्षम, संवाद-कुशल और समाजोन्मुख विधिविद बनें। आर.के. रस्तोगी मेमोरियल नेगोशिएशन प्रतियोगिता इस दृष्टिकोण का सजीव उदाहरण है, जो आने वाले वर्षों में भारतीय कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में एक मानक स्थापित करने की क्षमता रखती है।