वर्ल्ड हिंदू इकोनॉमिक फोरम 2025 में उद्योगपति एच.एम. बांगुर
मुंबई, दिव्यराष्ट्र:/ “नवाचार, आत्मनिर्भरता और समृद्धि” विषय पर आधारित दो दिवसीय वर्ल्ड हिंदू इकोनॉमिक फोरम (डब्लू एच इ एफ) 2025 का औपचारिक उद्घाटन शुक्रवार को मुंबई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने किया। उद्घाटन सत्र में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, डब्लू एच इ एफ के संस्थापक स्वामी विज्ञानानंद, आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेश शर्मा, हरि मोहन बांगुर, चेयरमैन, श्री सीमेंट लिमिटेड तथा सज्जन जिंदल, चेयरमैन, जेएसडब्ल्यू ग्रुप सहित देश के प्रमुख उद्योगपति, नीति-निर्माता, स्टार्टअप संस्थापक, बिजनेस लीडर्स और निवेशक उपस्थित रहे।
उद्घाटन दिवस का एक प्रमुख आकर्षण हरि मोहन बांगुर का संबोधन रहा। उन्होंने भारत की प्रतिभा, संसाधनों और प्रौद्योगिकी में निहित अंतर्निहित शक्ति पर बल देते हुए कहा कि नेतृत्व या प्रेरणा के लिए देश को बाहर देखने की आवश्यकता नहीं है। इस अवसर पर उन्होंने महाराष्ट्र में ₹2,000 करोड़ के निवेश के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक आशय पत्र भी सौंपा।
भारतीय आर्थिक चिंतन की नैतिक आधारशिला पर प्रकाश डालते हुए बांगुर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में “धर्म ही अर्थ का मार्गदर्शन करता है” और लाभ के साथ उत्तरदायित्व का होना अनिवार्य है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आर्थिक प्रगति केवल मुनाफे तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि सामाजिक दायित्वों से भी जुड़ी होनी चाहिए। उन्होंने कहा “हमें मैकाले आधारित शिक्षा प्रणाली से बाहर निकलकर अपने प्राचीन मूल्यों में पुनः निवेश करना होगा। सदियों तक विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 30 प्रतिशत रही, लेकिन यूरोपीय शक्तियों के आगमन के साथ अनेक नकारात्मक घटनाएँ घटीं और देश का बड़े पैमाने पर शोषण हुआ।” उन्होंने आगे कहा कि एक हिंदू इकोनॉमिक फोरम की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जिसका अब गठन हो चुका है और यह प्रभावी ढंग से कार्य कर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, “इस फोरम को सफल होने में एक वर्ष लगे या दस वर्ष, अंततः यह अवश्य सफल होगा।”
नवाचार और ऊर्जा दक्षता के विषय पर बोलते हुए बांगुर ने श्री सीमेंट के तकनीकी अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि भारत में सामान्यतः बिजली संयंत्र 60 प्रतिशत से कम क्षमता उपयोग पर संचालन के लिए अनुपयुक्त माने जाते हैं। श्री बांगुर ने कहा, “हमारे इंजीनियरों ने कुछ नवाचारी तकनीकी परिवर्तन किए, जिससे बिजली संयंत्रों की न्यूनतम क्षमता उपयोग सीमा को कम किया जा सका। इसके परिणामस्वरूप हम 30 प्रतिशत क्षमता उपयोग पर भी बिजली संयंत्र सफलतापूर्वक चला पाए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नवाचार से अनावश्यक कोयले की खपत में उल्लेखनीय कमी आई, जिससे ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण संरक्षण दोनों को बढ़ावा मिला। इस पहल की सराहना करते हुए ऊर्जा मंत्रालय ने भी इसमें रुचि दिखाई और श्री सीमेंट के इंजीनियरों से यह जानने के लिए संपर्क किया कि यह तकनीकी सुधार किस प्रकार संभव हुआ। विचारधारा में परिवर्तन का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “हमें स्वयं को बंधनों से मुक्त करना होगा और अपनी सोच तथा शिक्षा प्रणाली में नवाचार लाना होगा।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वर्ल्ड हिंदू इकोनॉमिक फोरम को सहयोग और संवाद का एक महत्वपूर्ण मंच बताया। उन्होंने कहा, “वर्ल्ड हिंदू इकोनॉमिक फोरम संपर्क और सहयोग स्थापित करने का एक प्रभावी माध्यम है। हमारी आर्थिक प्रणाली के मूल में एक अंतर्निहित हिंदू दर्शन है। यदि हम इसे सही रूप में समझें, तो हम एक समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभरेंगे, सामाजिक समरसता को मजबूत करेंगे और वैश्विक मंच पर सार्थक योगदान देंगे।”
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और आर्थिक विकास में राज्यों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी अलग पहचान और स्थान बनाया है। जब हमारा देश विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तब प्रत्येक राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका है। नवाचार और तीव्र आर्थिक विकास की बात करें तो मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है, जहां 8.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। खनन, ऊर्जा, पर्यटन, धार्मिक पर्यटन सहित अनेक क्षेत्रों में मध्य प्रदेश निरंतर आगे बढ़ रहा है।”