भरतपुर,, दिव्यराष्ट्र/आयुर्वेद दुनिया की पहली प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। वर्तमान के आधुनिक युग में तमाम चिकित्सा पद्धतियों की मौजूदगी के उपरांत भी आयुर्वेद को सबसे भरोसेमंद और मानव को पूर्ण रोग मुक्त करने वाली दोष रहित चिकित्सा पद्धति माना जाता है जिसे दुनिया के तमाम मुल्क अपना रहे हैं। आयुर्वेद में प्रकृति प्रदत्त वनस्पति, खनिज, रसायन से ही तमाम साध्य- असाध्य रोगों के उपचार की व्यवस्था है इसलिए इसे सस्ती , सुगम और सर्व सुलभ माना गया है। आयुर्वेद का मूल मंत्र है “स्वस्थसय स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं च”अर्थात आयुर्वेद स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा और रोगी व्यक्ति के रोग शमन पर आधारित जीवन शैली का विज्ञान है। आयुर्वेद के इसी सिद्धांत को ध्येय बनाकर स्वस्थ समाज के निर्माण की अवधारणा को साकार करने में लगे हुए हैं राजकीय आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के उपाधीक्षक वैद्य चंद्र प्रकाश दीक्षित ।
राजकीय आयुर्वेद सेवा में चिकित्सक पद पर 1991 में नियुक्ति से ही उन्होंने निश्चय कर लिया कि वह आयुर्वेद के महान ज्ञाताओं चरक, सुश्रुत द्वारा योग्य चिकित्सक के लिए वर्णित गुणों को चिकित्सीय सेवा में आत्मसात करते हुए आयुर्वेद के सिद्धांतों उसकी उपयोगिता और महत्व को स्थापित करते हुए स्वस्थ मानवता के निर्माण के लिए कार्य करेंगे। उन्होंने महसूस किया कि रोगी के उपचार के साथ ही महत्व संवाद और संदेश का है यदि लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर आहार, विहार, योग व औषधि के समन्वित प्रयोग की शिक्षा दी जाए तो बेहतर परिणाम होंगे। उनका मानना है कि रोगग्रस्त होकर उपचार कराने से बेहतर है कि ऐसी जीवन शैली अपनाई जाए जिससे बीमार होने की नौबत ही ना आए। यह सहज सरल और सुगम हो। इसी अनुभव और स्व प्रेरित भाव से उपजी परिकल्पना को साकार करने के लिए एक जन जागरण मॉडल तैयार किया गया जिसमें आयुर्वेद विभाग की ओर से नियमित समयावधि में शिविरों, कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए इसके लिए उन्होंने एक कैलेंडर तैयार किया और विभाग से स्वीकृति प्राप्त की। अब इन शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन निर्वाध रूप से किया जा रहा है जिनमें निशुल्क चिकित्सा, परामर्श, निशुल्क दवा वितरण के साथ-साथ स्वस्थ समाज ,सजग नागरिक की भावना के साथ ही आरोग्य जीवन दर्शन को व्यावहारिक रूप देने का कार्य किया जा रहा है।
इन शिविरों में विषय वार रोग विशेष शिविर जैसे पाचन , श्वसन मधुमेह , स्त्री रोग, ब्लड प्रेशर के साथ ही बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं बल बढ़ाने हेतु स्वर्ण प्राशन की खुराक पिलाने का कार्यक्रम, नशा मुक्ति अभियान, बालिका रक्ताल्पता निवारण अभियान तथा पर्यावरण सुरक्षा व वृक्षारोपण जैसे सामाजिक कार्यों का संचालन भी हो रहा है। क्योंकि उनका मानना है कि चिकित्सक का कार्य केवल रोग मिटाना ही नहीं आरोग्य की रक्षा और स्वस्थ पीढ़ियों का निर्माण भी है तथा यही लोक कल्याण की साधना है। यही वजह है कि भरतपुर के नागरिक उनकी पहल के बारे में कहते हैं कि निशुल्क जांच, औषधि और स्वास्थ्य परामर्श से लोगों में आयुर्वेद के प्रति विश्वास बढ़ा है और यह समझ में आने लगा है कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आधुनिक युग में भी पूर्ण कारगर है। इसी पहल का परिणाम है कि भरतपुर के जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में भरतपुर के अलावा पड़ोसी उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद तथा राजस्थान के अलवर धौलपुर और हरियाणा नूह मेवात के मरीज यहां उपचार करने आते हैं। हालांकि ऐसे सामुदायिक जनहित के उपक्रमों में सबसे बड़ी चुनौती संसाधन और स्थायित्व की होती है लेकिन डॉक्टर चंद्र प्रकाश दीक्षित की पहल ने यह सिद्ध किया है कि यदि चिकित्सक में दया, दक्षता और धर्म युक्त विवेक हो तो सीमित संसाधनों में बड़ा परिवर्तन संभव है। आयुर्वेद के सिद्धांत, शास्त्र और सेवा भावना के प्राचीन सत्य को पुनर्जीवित करना एक चिकित्सक के लिए साधना से कम नहीं है उसके लिए समय और स्व निधि का समर्पण जरूरी है।
इसके लिए उन्होंने स्वयं विभिन्न रोगों जैसे डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्त्री रोग आदि के उपचार बचाव हेतु छोटी-छोटी पुस्तक लिखी बुकलेट, पंपलेट आदि अपनी स्व अर्जित राशि से खर्च कर छपाई शिविरों में वितरित किया जाता है। उनके इस अभियान का रोचक पहलू यह है कि घर की रसोई में उपलब्ध मसालों से खांसी, जुकाम, बुखार तथा मौसमी बीमारियों एवं पाचन संबंधी विकारों का उपचार करना बताया जाता है कि कैसे हल्दी, जीरा, अजवाइन, लौंग, दालचीनी, हरण ,अदरक आदि के उपयोग से इन बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। चिकित्सीय कार्य में दक्षता मर्मज्ञता और आयुर्वेद के प्रति समर्पण को देखते हुए गुजरात में 1994 के दौरान सूरत में फैले प्लेग को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर चंद्र प्रकाश दीक्षित की सेवाएं ली गई जिसमें उन्होंने बेहतरीन सेवाएं प्रदान कर प्लेग नियंत्रण में प्रभावी भूमिका निभाई। कोरोना काल के दौरान भी प्रधानमंत्री के सलाहकार डी सी कटोच को सुझाव प्रेषित किए जिन्हें केंद्र सरकार ने अपनी एडवाइजरी में शामिल किया। कोरोना काल में लोगों में इम्यूनिटी बढ़ाने तथा बच्चों को मजबूत बनाने के लिए कार्य किया और बच्चों को स्वर्ण प्राशन पिलाने का अभियान शुरू किया तथा शिविरों के माध्यम से अब तक 5 वर्षों में डेढ़ लाख से अधिक बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक पिलाई जा चुकी है। भरतपुर की ऐतिहासिक जसवंत प्रदर्शनी में आयुर्वेद विभाग की स्टाॅल की शुरुआत डॉक्टर दीक्षित ने ही कराई थी जो अब तक निरंतर जारी है। आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान और स्वस्थ मानवता के निर्माण के लिए चलाए जा रहे जन जागरण अभियान को समाज ने बेहतर पहल के रूप सराहते हुए अनेक स्वयंसेवी सामाजिक ,धार्मिक, संगठनों- संस्थाओं की ओर से डॉक्टर चंद्र प्रकाश दीक्षित को सम्मानित किया गया है तथा गणतंत्र एवं स्वतंत्रता दिवस पर सरकार की ओर से सम्मानित किया गया है और आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में दिए जाने वाला महत्वपूर्ण धन्वंतरि पुरस्कार उन्हें मिल चुका है।