अर्थ समिट नाबार्ड और आईएएमएआई की एक पहल
हैदराबाद, दिव्यराष्ट्र:/ तेलंगाना सरकार के विशेष मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय विशेष परियोजनाएँ (स्पीड), निवेश एवं उद्योग प्रकोष्ठ के जयेश रंजन ने कहा कि प्रौद्योगिकी में किसानों की आय दोगुनी करने की क्षमता है और धान, मक्का तथा कपास उगाने वाले किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि तेलंगाना ने पहले ही 80 से अधिक ऐसी तकनीकों की पहचान कर ली है, जो इन फसलों के विभिन्न चरणों में उपयोगी हो सकती हैं। ये तकनीकें कृषि विश्वविद्यालयों के खेतों पर परीक्षण के चरण में हैं, उन्होंने जोड़ा।
रंजन ने ‘स्ट्रैटेजिक इनोवेशन कॉरिडोर्स: ग्रामीण भारत के लिए उच्च-प्रभाव डिजिटल और औद्योगिक विकास मार्गों का निर्माण’ विषय पर इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के अध्यक्ष डॉ. शुभो रे के साथ बातचीत की।
रंजन ने विभिन्न नवाचार कार्यक्रमों, विशेषकर राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होंने कहा, “हैदराबाद में दो दर्जन से अधिक इनोवेशन सेंटर हैं, जो एग्रीटेक को बढ़ावा देते हैं। यह वह राज्य है जिसने दिखाया है कि सरकार स्टार्टअप्स को कैसे समर्थन दे सकती है। रंजन ने कहा कि हमने संस्थानों के निर्माण और इन संस्थानों को संचालित करने के लिए प्रतिभा लाने में सैकड़ों करोड़ रुपये का निवेश किया है। नाबार्ड हमारे स्टार्टअप कार्यों का बहुत बड़ा समर्थक रहा है,”।
उन्होंने अपने विशेष प्रोजेक्ट ‘तेलंगाना राइजिंग विज़न 2047’ के बारे में भी बताया। यह 120 पन्नों का एक दस्तावेज़ है, जिसे वर्तमान राज्य सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर 9 दिसंबर को जारी किया जाएगा। यह दस्तावेज़ किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए विभिन्न पहलों की पहचान करता है।
जब डॉ. रे ने उनसे निजी निवेश आकर्षित करने की योजनाओं के बारे में पूछा, तो श्री रंजन ने कहा कि ‘तेलंगाना राइजिंग विज़न 2047’ दस्तावेज़ पूंजी आकर्षित करने में मदद करेगा।
नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन-शहरों का अर्थ समिट 2025–26 21 नवंबर 2025 को समाप्त हुए हैदराबाद सम्मेलन के साथ प्रारंभ हुआ। दो दिवसीय हैदराबाद समिट में दक्षिण, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत के नीति-निर्माताओं, स्टार्टअप्स, वित्तीय संस्थानों, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, क्लाइमेट-टेक इनोवेटर्स और ऊर्जा उद्यमों को एक साथ लाया गया, ताकि ग्रामीण भारत के भविष्य की पुनर्कल्पना की जा सके। अगले दो संस्करण गांधीनगर और दिल्ली में आयोजित किए जाएंगे।
इस समिट को कई प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय शामिल हैं। इन संस्थानों की भागीदारी तकनीक और नीति के समन्वय के माध्यम से ग्रामीण विकास को मजबूत करने के लिए एक संगठित प्रयास को दर्शाती है।
‘ग्लोबल परिवर्तन के लिए ग्रामीण नवाचार को सशक्त बनाना’ थीम पर केंद्रित, हैदराबाद संस्करण 20–21 नवंबर 2025 को हिटेक्स एग्ज़िबिशन सेंटर में आयोजित किया गया। इसमें 2,000+ प्रतिभागियों, 80+ वक्ताओं और पैनलिस्टों, 50+ प्रदर्शकों, 25+ सत्रों, 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की भागीदारी, और 1 प्रमुख हैकाथॉन का आयोजन हुआ।
अर्थ समिट के दूसरे दिन में कीनोट , फ़ायर्साइड चैट, पैनल चर्चाएँ और इम्पैक्ट सत्र शामिल थे। इन सत्रों में प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें शामिल हैं: जयेश रंजन (विशेष मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय – विशेष परियोजनाएँ (स्पीड), निवेश एवं उद्योग प्रकोष्ठ, तेलंगाना सरकार), संजय कुमार (विशेष मुख्य सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार, तेलंगाना सरकार), डॉ. अजय कुमार सूद (उप प्रबंध निदेशक, नाबार्ड), डॉ. शुभो रे, अध्यक्ष (आईएएमएआई)
अर्थ समिट 2025–26 की प्रमुख झलकियाँ*
अनुमानित प्रतिनिधि – 10,000 , वक्ताओं की संख्या – 500+ , प्रदर्शक – 250+ ,वर्कशॉप / मास्टरक्लास / शोकेस – 30+, हैकाथॉन – 2
नाबार्ड के बारे में
नाबार्ड भारत का सबसे बड़ा डेवलपमेंट बैंक है, जिसकी स्थापना 1982 में संसद के एक अधिनियम के तहत की गई थी, ताकि निरंतर और समान कृषि एवं ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया जा सके। चार दशकों से अधिक के अपने सफर में, यह प्रमुख विकास वित्तीय संस्था कृषि वित्त, बुनियादी ढांचे का विकास, बैंकिंग तकनीक, स्वयं सहायता समूह ( और संयुक्त ऋण समूह के माध्यम से सूक्ष्म वित्त और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देकर भारतीय गांवों में लोगों की जिंदगी बदल चुकी है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में सहभागी वित्तीय और गैर-वित्तीय पहलों, नवाचार, तकनीक और संस्थागत विकास के माध्यम से देश के निर्माण में लगातार योगदान देती रही है।
आईएएमएआई के बारे में*
इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई ) एक गैर-लाभकारी उद्योग संगठन है, जिसमें 700 से अधिक सदस्य हैं, जिनमें भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां तथा स्टार्टअप शामिल हैं। आईएएमएआई ने भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह मुक्त और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए प्रगतिशील और सहायक कानूनों का समर्थन करता है। आईएएमएआई का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट और डिजिटल अर्थव्यवस्था की प्रगति सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख कार्यक्षेत्रों में सार्वजनिक नीति और एडवोकेसी, बी2बी सम्मेलनों का आयोजन, शोध कार्य, स्टार्टअप का प्रचार-प्रसार, उपभोक्ता विश्वास और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।